छठ पूजा का मंत्र

छठ पूजा का मंत्र

Palm Tree
Palm Tree

छठपूजा या छठ व्रत का वास्तविक नाम प्रतिहारषष्ठी व्रत है और यह भगवान सूर्य का व्रत है। षष्ठी तिथि होने से छठि व्रत या छठ व्रत कहा जाता है। छठि का तात्पर्य छठि तिथि अर्थात षष्ठी ही है।

छठ पूजा में मुख्य रूप से तीन मंत्रों का प्रयोग होता है : पहला संकल्प मंत्र, दूसरा अर्घ्य मंत्र और तीसरा नमस्कार मंत्र। आगे तीनों प्रकार के मंत्र दिये गये हैं :

संकल्प मंत्र

संकल्प मंत्र

"नमोऽद्य कार्तिक मासीय शुक्ल पक्षीयषष्ठयां तिथौ …….. (गोत्र) गोत्राया ममा …….. (नाम) देव्या इह जन्मनि जन्मान्तरे वा सकल दुःख दारिद्रय सकल पातक क्षय अपस्मार कुष्ठादि महाव्याधि सकल रोगक्षय चिरजीवि पुत्र पौत्रादि लाभ गोधन धान्यादि समृद्धि सुख सौभाग्य अवैधव्य सकल कामावाप्तिकामा अद्य श्वश्च सूर्यायार्घ्यमहं दास्ये "

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छठ पूजा में अर्घ्य देने का मंत्र

छठ पूजा में अर्घ्य देने का मंत्र

नमोऽस्तु सूर्याय सहस्रभानवे नमोऽस्तु वैश्वानरजातवेदसे। त्वमेव चार्घ्यं प्रतिगृह्ण गृह्ण देवाधिदेवाय नमो नमस्ते ॥

इसके साथ ही अर्घ्य के और भी चार मंत्र हैं जो आगे दिये गये हैं

नमो भगवते तुभ्यं नमस्ते जातवेदसे। दत्तमर्घ्यं मयाभानो त्वंगृहाण नमोऽस्तुते॥ ज्योतिर्मय विभो सूर्य तेजोराशे जगत्पते। अनुकम्पय मां भक्त्या गृहाणार्घ्यंदिवाकर॥

एहि सूर्य सहस्रांशो तेजोराशे जगत्पते । अनुकम्पयमांभक्त्या गृहाणार्घ्यंदिवाकर॥ एहि सूर्य सहस्रांशो तेजोराशे जगत्पते। गृहाणार्घ्यं मया दत्तं संज्ञया सहितप्रभो ॥

प्रणाम करने का मंत्र

जपाकुसुमसंकाशं काश्यपेयं महाद्युतिम्। ध्वान्तारिं सर्वपापघ्नं प्रणतोस्मि दिवाकरम् ॥

भगवान सूर्य को नमस्कार विशेष प्रिय है इसलिये नमस्कार अवश्य करें :