कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी का नाम देवोत्थान एकादशी है जिसे देवउठनी एकादशी भी कहा जाता है।

देवोत्थान  एकादशी मंत्र

इस एकादशी के दिन भगवान विष्णु को उठाया जाता है इसलिये इसका नाम देवोत्थान एकादशी है।

देवउठनी या देवोत्थान एकादशी में भगवान विष्णु को उठाने का तीन मंत्र है, आगे पूजा विधि और मंत्र दिये गये हैं।

सर्वप्रथम आंगन में चौरठ-सिंदूर आदि से अष्टदल व रंगोली आदि का निर्माण करे। फिर उसपर चौकी या पीढ़ा बिछाकर सुन्दर पीला कपड़ा बिछाये और उसपर चारों कोने में चार दीप जलाये। मध्य में ताम्रपात्र रखकर उसमें भगवान विष्णु की प्रतिमा, शालिग्राम अथवा तिलपुंज पर भगवान विष्णु की पूजा करे।

Palm Tree
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यदि मंत्र सहित षोडशोपचार पूजा न कर सके तो जल, पंचामृत आदि से स्नान कराकर, वस्त्र से पोंछकर, वस्त्र-यज्ञोपवीत-तुलसी चढ़ा कर पंचोपचार पूजन करे।

पंचोपचार पूजा में गंध-पुष्प-धूप-दीप और नैवेद्य अर्पित करके पुष्पांजलि अर्पित किया जाता है। तत्पश्चात शंख, घंटा आदि बजाते हुये कई लोग चौकी सहित अगले तीन मंत्रों से भगवान को उठाये :

मंत्र - १

ॐ ब्रह्मेन्द्र रुद्रैरभिवन्द्यमानो भवानृषिर्वन्दित वन्दनीयः । प्राप्ता तवेयं किल कौमुदाख्या जागृष्व जागृष्व च लोकनाथ ॥

मंत्र - २

ॐ मेघा गता निर्मलपूर्णचन्द्रः शारद्यपुष्पाणि मनोहराणि । अहं ददानीति च पुण्यहेतोर्जागृष्व जागृष्व च लोकनाथ ॥

मंत्र - ३

ॐ उत्तिष्ठोत्तिष्ठ गोविन्द त्यजनिद्रांजगत्पते। त्वया चोत्थीयमानेन उत्थितं भुवनत्रयम् ॥