सर्वतोभद्र मंडल सबसे मुख्य मंडल है जो सभी देवताओं की पूजा के लिये भी बनाया जा सकता है तथापि कुछ अन्य देवता विशेष वेदियां भी होती हैं। सर्वतोभद्र मंडल मुख्य रूप से भगवान विष्णु की पूजा में प्रयुक्त होता है। प्रधानवेदी प्रधानदेवता के अनुसार बनायी जाती है और सर्वतोभद्र विष्णु पूजा के लिये प्रधान वेदी होती है। इस पर ब्रह्मा सहित कुल 57 देवताओं का आवाहन-पूजन किया जाता है।
वर्त्तमान काल में जिस प्रकार से वेदाधिकार से लोग च्युत होते जा रहे हैं उस संदर्भ में यही आवश्यक हो जाता है कि पौराणिक मंत्रों से ही पूजनादि का आश्रय ग्रहण करें क्योंकि अनधिकृत रूप से वेदमंत्र का प्रयोग करना दोषद ही होता है। एवं उक्त परिस्थिति में यह संकलन अत्युपयोगी सिद्ध होगा। इस आलेख में सर्वतोभद्र मंडल देवताओं का पौराणिक आवाहन और पूजन विधि व मंत्र दिया गया है।
सर्वतोभद्र मंडल – पूजन (पौराणिक) – sarvatobhadra mandal puja vidhi
सर्वतोभद्र मंडल चित्र यहाँ दिया गया है जिसे देखकर वेदी बनाया जा सकता है। किसी भी देवता की पूजा में सर्वतो भद्र मंडल बनाया जाता है। हम यहां सर्वतोभद्र मंडल पूजा विधि के पौराणिक मंत्रों को समझने जा रहे हैं और इसका वर्णन हमें लक्ष्मीनारायण संहिता के खण्डः २ (त्रेतायुगसन्तानः) के अध्याय १५१ में मिलता है। सर्वतोभद्र निर्माण विधि की जानकारी भी वहां दी गयी है जिससे सम्बंधित वीडियो भी यहां संलग्न किया गया है जिसमें सर्वतोभद्र मंडल परिचय प्राप्त होता है।
प्रागुदीच्यां गता रेखाः कुर्यादेकोनविंशतिम् ।
खण्डेन्दुस्त्रिपदः कोणे शृंखला पञ्चभिः पदैः ॥
एकादशपदा वल्ली भद्रं तु नवभिः पदैः ।
चतुर्विंशत्पदा वापी विंशत्या परिधिः पदैः ॥
मध्ये षोडशभिः कोष्ठैः पद्मष्टदलं स्मृतम् ।
श्वेतेन्दुः शृंखला कृष्णा वल्लीर्नीलेन पूरयेत् ॥
भद्राऽरुणा सिता वापी परिधिः पीतवर्णकः ।
बाह्यान्तरदलश्वेता कर्णिका पीतवर्णका ॥
परिध्यावेष्टितं पद्मं बाह्ये सत्त्वं रजस्तमः ।
तन्मध्ये स्थापयेद्देवान् ब्रह्माद्यांश्च सुरेश्वरान् ॥
देशकालौ च संकीर्त्य देवस्थापनकर्मसु ।
सर्वतोभद्रके षटपञ्चाशद्देवान् समाह्वयेत् ॥
यहां हमें जो पौराणिक मंत्रों से आवाहन-स्थापन का वर्णन मिलता है उसमें ५६ देवताओं का ही उल्लेख किया गया है “सर्वतोभद्रके षटपञ्चाशद्देवान् समाह्वयेत्”; किन्तु पूजन क्रम में ५७ हो जाते हैं। देवताओं का आवाहन-स्थापन सर्वतोभद्र में कहां करें किस दिशा में करें इसकी जानकारी यहां संलग्न वीडियो में दी गयी है यदि आपको यह जानकारी अपेक्षित हो तो यहां अवलोकन कर सकते हैं।
सर्वतोभद्र मंडल देवता आवाहन मंत्र (पौराणिक) :
१. ब्रह्मा (मध्य वापी) : ओं भूर्भुवः स्वः ब्रह्मन्निहागच्छ च तिष्ठ च। पूजयामि संस्मरामि नमामि गृह्ण पूजनम्॥ ओं भूर्भुवः स्वः ब्रह्मण इहागच्छ इह तिष्ठ। ओं भूर्भुवः स्वः ब्रह्मणे नमः ॥
२. सोम (उत्तर वापी) : ओं भूर्भुवः स्वः सोममावाहयामि च। पूजयामि संस्मरामि नमाम्यागच्छ तिष्ठ च॥ ओं भूर्भुवः स्वः सोम इहागच्छ इह तिष्ठ। ओं भूर्भुवः स्वः सोमाय नमः॥
३. ईशान (ईशान खण्ड) : ओं भूर्भुवः स्वः ईशानमाह्वयामि च। पूजयामि संस्मरामि नमाम्यागच्छ तिष्ठ च ॥ ओं भूर्भुवः स्वः ईशान इहागच्छ, इह तिष्ठ । ओं भूर्भुवः स्वः ईशानाय नमः॥

४. इन्द्र (पूर्व वापी)- ओं भूर्भुवः स्वः इन्द्रमाह्वयामि च । पूजयामि संस्मरामि नमाम्यागच्छ तिष्ठ च ॥ ओं इन्द्र, इहागच्छ, इह तिष्ठ । ओं भूर्भुवः स्वः इन्द्राय नमः॥
५. अग्नि (अग्निकोण खण्ड )- ओं भूर्भुवः स्वः अग्निमाह्वयामि च । पूजयामि संस्मरामि नमाम्यागच्छ तिष्ठ च॥ ओं भूर्भुवः स्वः अग्ने इहागच्छ, इह तिष्ठ।ओं भूर्भुवः स्वः अग्नये नमः ॥
६. यम (दक्षिण वापी)- ओं भूर्भुवः स्वः यममाह्वयामि च । पूजयामि संस्मरामि नमाम्यागच्छ तिष्ठ च ॥ ओं भूर्भुवः स्वः यम इहागच्छ, इह तिष्ठ। ओं भूर्भुवः स्वः यमाय नमः॥
७. निर्ऋति (नैर्ऋत्यकोण खण्ड)- ओं भूर्भुवः स्वः निर्ऋतिमाह्वयामि च । पूजयामि संस्मरामि नमाम्यागच्छ तिष्ठ च॥ ओं भूर्भुवः स्वः निरृत इहागच्छ, इह तिष्ठ । ओं भूर्भुवः स्वः निर्ऋतये ॥
८. वरुण (पश्चिम वापी)- ओं भूर्भुवः स्वः वरुणमाह्वयामि च । पूजयामि संस्मरामि नमाम्यागच्छ तिष्ठ च॥ ओं भूर्भुवः स्वः वरुण इहागच्छ, इह तिष्ठ। ओं भूर्भुवः स्वः वरुणाय नमः॥
९. वायु (वायुकोण खण्ड)- ओं भूर्भुवः स्वः वायुमाह्वयामि च । पूजयामि संस्मरामि नमाम्यागच्छ तिष्ठ च ॥ ओं भूर्भुवः स्वः वायु इहागच्छ, इह तिष्ठ । ओं भूर्भुवः स्वः वायवे नमः॥
