
पितृ कर्म प्रकरण – Pitri Karm
पितृ कर्म प्रकरण – Pitri Karm : पितृकर्मों से पूर्व प्रेतकर्म होता है और प्रेतत्व की निवृत्ति न होने पर पितृपद प्राप्ति ही संभव नहीं है, अर्थात किसी की मृत्यु होने पर जो श्राद्ध किया जाता है वह प्रेत के निमित्त ही किया जाता है और प्रेतकर्म ही होता है। षोडशश्राद्ध होने के एक वर्ष पश्चात् अर्थात वार्षिक श्राद्ध से पितृकर्म का आरंभ होता है। प्रथमतया प्रेतकर्म को ही देखते हैं :