अनुपनीतों के लिये पुराणोक्त नारायण बलि करने की विधि - narayan bali vidhi

अनुपनीतों के लिये पुराणोक्त नारायण बलि करने की विधि – narayan bali vidhi

अनुपनीतों के लिये पुराणोक्त नारायण बलि करने की विधि – narayan bali vidhi : नारायण बलि दुर्मरण दोष निवारण करने हेतु किया जाने वाला श्राद्ध कर्म है। नारायण बलि में 16 पिण्ड दान किया जाता है। नाग बलि सर्प दोष या कालसर्प दोष निवारण करने हेतु की जाने वाली सर्प पूजा विधि का नाम है। नाग बलि में द्वादश प्रकार के सर्पों की विशेष विधि से पूजा आदि किया जाता है। मुख्य नारायण बलि श्राद्ध विधि “संपूर्ण कर्मकांड विधि” पर प्रकाशित है यदि उसका अवलोकन करना चाहें तो यहां क्लिक करके कर सकते हैं।

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गणपत्यथर्वशीर्ष पुरश्चरण विधि - ganpati atharvashirsha purashcharan vidhi

गणपत्यथर्वशीर्ष पुरश्चरण विधि – ganpati atharvashirsha purashcharan vidhi

गणपत्यथर्वशीर्ष पुरश्चरण विधि – ganpati atharvashirsha purashcharan vidhi : गणपत्यथर्वशीर्ष तो कर्मकांड की पुस्तकों में सरलता से उपलब्ध है और सबको मिल जाती है। किन्तु यदि इसके पुरश्चरण प्रयोग अर्थात पुरश्चरण विधि की बात करें तो ढूंढते ही रह जाते हैं। यह आलेख इसलिये विशेष महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि यहां गणपत्यथर्वशीर्ष पुरश्चरण विधि (ganpati atharvashirsha purashcharan vidhi) दी गयी है।

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प्रदक्षिणा अनुष्ठान - pradakshina

प्रदक्षिणा अनुष्ठान – pradakshina

प्रदक्षिणा अनुष्ठान – pradakshina : प्रदक्षिणा तो सभी पूजा का अंग है और कोई भी पूजा हो अंत में प्रदक्षिणा भी की ही जाती है। प्रदक्षिणा ही प्रधान हो और विशेष निर्धारित संख्या में करनी हो तो उसे देवता संबंधी प्रदक्षिणा अनुष्ठान कहते हैं।

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संपूर्ण हवन मंत्र - Sampurn havan mantra

संपूर्ण हवन मंत्र – Sampurn havan mantra

संपूर्ण हवन मंत्र – Sampurn havan mantra : सबसे पहले हमें संपूर्ण हवन मंत्र का तात्पर्य समझना होगा, हवन विधि और हवन मंत्र के अंतर को समझकर तब वास्तविक मंत्रों का अवलोकन करेंगे तो उचित होगा, अन्यथा कितने भी मंत्र क्यों न दे दिये जायें कम ही प्रतीत होंगे क्योंकि भिन्न-भिन्न पूजा में प्रधानदेवता भिन्न-भिन्न होते हैं जिससे उनके मंत्र भी भिन्न हो जाते हैं।

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गण्डान्त योग होने पर शांति कैसे करें - gandanta dosha shanti

गण्डान्त योग होने पर शांति कैसे करें – gandanta dosha shanti

गण्डान्त योग होने पर शांति कैसे करें – gandanta dosha shanti : तीन प्रकार के गण्डान्त में से एक है नक्षत्र गण्डान्त। नक्षत्र गण्डान्त में यद्यपि 6 नक्षत्र आते हैं किन्तु इन सबमें सबसे अधिक अशुभ मूल नक्षत्र होता है इसी कारण इसे गंडमूल भी कहा जाता है।

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आज का संकल्प मंत्र - aaj ka sankalp mantra

आज का संकल्प मंत्र – aaj ka sankalp mantra

आज का संकल्प मंत्र – aaj ka sankalp mantra : यहां आज का संकल्प तो दिया जा रहा है जो प्रतिदिन मध्यरात्रि को परिवर्तित भी होता है किन्तु इसका उद्देश्य यह नहीं है कि बिना पंडित के किया जाये। ब्राह्मण की आज्ञा/अनुमति के बिना किसी भी कर्म का अधिकार ही प्राप्त नहीं होता है एवं दान-दक्षिणा-ब्राह्मण भोजन के बिना कोई कर्म पूर्ण भी नहीं होता भले ही वह कोई व्रत ही क्यों न हो।

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प्रातः स्मरण मंत्र - प्रातः वंदना

नित्य प्रातःकाल पढे जाने वाले महत्वपूर्ण माङ्गलिक मंत्र : प्रातः स्मरण मंत्र

नित्य प्रातःकाल पढे जाने वाले महत्वपूर्ण माङ्गलिक मन्त्र : प्रातः स्मरण मंत्र का तात्पर्य मात्र स्मरण करना नहीं होता भले ही इसमें स्मरण शब्द ही प्रयुक्त होते हैं, किन्तु इनका सस्वर पाठ करना चाहिये। प्रातः स्मरामि गणनाथमनाथबन्धुं
सिन्दूरपूर परिशोभित गण्डयुग्मं ।
उद्दण्डविघ्न परिखण्डन चण्ड दण्ड
माखण्डलादिसुरनायक वृन्दवन्द्यं ।।

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नित्य कर्म पूजा पद्धति मंत्र

नित्यकर्म – nitya karm puja

नित्यकर्म – nitya karm puja : कोई भी जीव जब तक जीवित रहता है बिना कर्म किये नहीं रह सकता। अनेकानेक कर्मों में से कुछ ऐसे कर्म होते हैं जो प्रतिदिन किये जाते है। वो सभी कर्म जो प्रतिदिन किये जाते हैं नित्यकर्म कहलाते हैं।

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संक्षिप्त तर्पण विधि

तर्पण विधिः (मिथिलादेशीय संक्षिप्त तर्पण विधि) – Tarpan vidhi

तर्पण विधिः (मिथिलादेशीय संक्षिप्त तर्पण विधि) – Tarpan vidhi – तर्पण करने की एक विस्तृत विधि भी होती है जिसमें वेदमंत्रों का भी प्रयोग होता है और सभी देवों आदि को पृथक-पृथक जलांजलि दिया जाता है। किन्तु मिथिला में जो विशेष रूप से प्रचलित तर्पण विधि है उसे संक्षिप्त तर्पण विधि भी कहा जाता है। इसमें वेद मंत्रों का प्रयोग नहीं किया जाता है। नीचे मिथिलादेशीय संक्षिप्त तर्पण विधि दी गयी है जो विशेष उपयोगी है। 

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पूजन सामग्री

पूजन सामग्री – puja smagri

पूजन सामग्री – puja smagri : यहां पर कर्मकांड के विभिन्न पूजा, पाठ, जप, श्राद्ध आदि में लगने वाली सामग्रियों की सूची संबंधी अनुसरण पथ दिये गये हैं जिस पर अनुगमन करके उस कर्म की सामग्रियों की जानकारी प्राप्त की जा सकती है।

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