गण्डान्त योग होने पर शांति कैसे करें – gandanta dosha shanti

गण्डान्त योग होने पर शांति कैसे करें - gandanta dosha shanti

तीन प्रकार के गण्डान्त में से एक है नक्षत्र गण्डान्त। नक्षत्र गण्डान्त में यद्यपि 6 नक्षत्र आते हैं किन्तु इन सबमें सबसे अधिक अशुभ मूल नक्षत्र होता है इसी कारण इसे गंडमूल भी कहा जाता है। मूल शांति का तात्पर्य मात्र मूल नक्षत्र की शांति नहीं होती है, क्योंकि अन्य दोषद नक्षत्रों में जन्म होने पर भी एक ही विधि से शांति होती है मात्र नक्षत्र जप-पूजा-हवन-मंत्र में परिवर्तन होता है। इस कारण मूल शांति का व्यापक तात्पर्य नक्षत्र गण्डान्त शांति होता है।

मूल शांति विधि अन्य आलेख में प्रकाशित है यहां गण्डान्त योग होने पर शांति अर्थात अन्य नक्षत्रों में जन्म होने पर शांति (gandanta dosha shanti) मंत्र दिये गये हैं।

मूल स्वयं ही एक नक्षत्र है, किन्तु गण्डान्त नक्षत्रों में 6 नक्षत्रों की गणना की जाती है। गण्डान्त नक्षत्र हैं – अश्विनी, अश्लेषा, मघा, ज्येष्ठा, मूल और रेवती। जैसा का गण्डान्त के 6 नक्षत्रों में से एक मूल भी है किन्तु सर्वाधिक दोषकारक होने से इसकी प्रधानता हो जाती है और व्यावहारिक रूप से मूल शांति, मूल नक्षत्र आदि पद का प्रयोग नक्षत्र गण्डान्त के लिये ही किया जाता है।

मूल शांति विधि और मंत्र इस यहां विस्तार से बताई गयी है अर्थात अन्य गंडांत नक्षत्र में जन्म होने पर भी शांति विधि और मंत्र समान ही रहेंगे किन्तु नक्षत्र परिवर्तन होने से नक्षत्रों के देवता भी बदल जायेंगे और उनके मंत्र भी बदल जायेंगे। किन्तु इसे समझने से पहले किसी एक गंडांत नक्षत्र में जन्म होने पर उसकी पूर्ण शांति विधि और मंत्रों को समझना आवश्यक होता है और यहां क्लिक करके मूल शांति विधि का अवलोकन कर सकते हैं।

गंडांत दोष शांति मंत्र

नक्षत्रों के देवता

  1. अश्विनी – अश्विनी कुमार
  2. भरणी – काल, यम
  3. कृत्तिका – अग्नि
  4. रोहिणी – प्रजापति
  5. मृगशिरा – चन्द्रमा
  6. आर्द्रा – रूद्र
  7. पुनर्वसु – अदिति
  8. पुष्य – बृहस्पति
  9. आश्लेषा – सर्प
  10. मघा – पितर
  11. पूर्व फाल्गुनी – भग
  12. उत्तराफाल्गुनी – अर्यमा
  13. हस्त – सूर्य
  14. चित्रा – विश्वकर्मा, त्वष्टा
  1. स्वाति – वायु
  2. विशाखा – इन्द्राग्नि
  3. अनुराधा – मित्र
  4. ज्येष्ठा – इन्द्र
  5. मूल – निर्ऋति
  6. पूर्वाषाढ़ – वरुण
  7. उत्तराषाढ़ – विश्वेदेव
  8. (अभिजीत – ब्रह्मा)
  9. श्रवण – विष्णु
  10. धनिष्ठा – वसु
  11. शतभिषा – वरुण
  12. पूर्वाभाद्रपद – अजैकपाद
  13. उत्तराभाद्रपद – अहिर्बुध्न्य
  14. रेवती – पूषा

ऊपर 28 नक्षत्रों और उनके देवताओं के नाम दिये गए हैं इनमें से अभिजीत नक्षत्र कम होने पर 27 नक्षत्र हो जाते हैं और वर्त्तमान युग में 27 नक्षत्रों का ही ग्रहण किया जाता है।

मूल शांति विधि अवलोकन करने पर हमें ज्ञात होता है कि प्रधान देवता निर्ऋति की पूजा करने के पश्चात् उनके दक्षिण पार्श्व (उत्तर भाग) में पूर्व नक्षत्र के देवता इन्द्र का पूजन और वाम पार्श्व (दक्षिण भाग) में पर नक्षत्र देवता वरुण का पूजन किया जाता है और तदनंतर 24 दल पद्म पर क्रमशः वरुण से अगले देवताओं का क्रमशः आवाहन पूजन करते हुये इन्द्र से पूर्व मित्र तक किया जाता है।

अन्य गंडांत नक्षत्रों की शांति में यह क्रम स्मरण नहीं रहता और यथावत ग्रहण कर लिया जाता है किन्तु यहां मूल के अतिरिक्त अन्य 5 गण्डान्त नक्षत्रों के देवताओं और दलों पर पूजा करने की विधि व मंत्र पृथक पृथक करके दिया जायेगा जिससे सही क्रम में पूजा की जा सके। यदि आपने मूल शांति विधि का अवलोकन नहीं किया है तो आपको यह समझना कठिन हो सकता है इसलिये आगे पढ़ने और समझने से पूर्व मूल शांति विधि का अवलोकन अवश्य करें।

अश्विनी शांति विधि

  • नक्षत्र देवता : अश्विनी कुमार
  • पूर्व नक्षत्र व देवता : रेवती – पूषा
  • पर नक्षत्र व देवता : भरणी – यम
  • 24 दलों पर देवता पूजन क्रम : अग्नि से अहिर्बुधन्य पर्यन्त

नक्षत्र देवता अश्विनी मंत्र – ॐ यावांकशामधुमत्यश्विना सूनृतावती तया यज्ञम्मिमिक्षताम्॥ ॐ भूर्भुवः स्वः अश्विनौ ! इहागच्छतं, इह तिष्ठतं ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः अश्विभ्याम् नमः ॥

पूषा मंत्र – ॐ पूषन्ततवव्रते वयन्नरिष्येम कदाचन। स्तोतारस्त इह स्मसि॥ ॐ भूर्भुवः स्वः पूषण इहागच्छ इह तिष्ठ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः पूष्णे नमः ॥

यम मंत्र – ॐ यमाय त्वांगिरस्वते पितृमते स्वाहा। स्वाहा घर्माय स्वाहा धर्मः पित्रे ॥ ॐ भूर्भुवः स्वः यम इहागच्छ, इह तिष्ठ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः यमाय नमः॥

  1. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः अग्ने इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः अग्नये नमः ॥
  2. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः प्रजापते इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः प्रजापतये नमः ॥
  3. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः सोम इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः सोमाय नमः ॥
  4. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः रुद्र इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः रुद्राय नमः ॥
  5. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः अदिते इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः अदितये नमः ॥
  6. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः बृहस्पते इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः बृहस्पतये नमः ॥
  7. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः सर्पाः इहागच्छत इहतिष्ठत ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः सर्पेभ्यो नमः ॥
  8. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः पितरः इहागच्छत इहतिष्ठत ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः पितृभ्यो नमः ॥
  9. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः भग इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः भगाय नमः ॥
  10. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः अर्यमन् इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः अर्यमणे नमः ॥
  11. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः विश्वकर्मन् इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः विश्वकर्मणे नमः ॥
  12. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः सविते इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः सवित्रे नमः, ॥
  13. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः वायो इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः वायवे नमः ॥
  14. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः इन्द्राग्नौ इहागच्छतं इहतिष्ठतं ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः इन्द्राग्निभ्यां नमः॥
  15. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः मित्र इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः मित्राय नमः॥
  16. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः इन्द्र इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः इन्द्राय नमः॥
  17. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः निर्ऋते इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः निर्ऋतये नमः ॥
  18. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः वरुण इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः वरुणाय नमः ॥
  19. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः विश्वेदेवा इहागच्छ इहतिष्ठ ॥१॥ ॐ भूर्भुवः स्वः विश्वेभ्यो देवेभ्यो नमः ॥
  20. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः विष्णो इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः विष्णवे नमः ॥
  21. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः अष्टवसवः इहागच्छत इहतिष्ठत ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः अष्ट्टवसुभ्यो नमः ॥
  22. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः वरुण इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः वरुणाय नमः ॥
  23. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः अजैकपाद इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः अजैकपदे नमः ॥
  24. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः अहिर्बुध्न्य इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः अहिर्बुध्न्याय नमः ॥

आश्लेषा शांति विधि

  • नक्षत्र देवता : सर्प
  • पूर्व नक्षत्र व देवता : पुष्य – बृहस्पति
  • पर नक्षत्र व देवता : मघा – पितर
  • 24 दलों पर देवता पूजन क्रम : भग से अदिति पर्यन्त

नक्षत्र देवता सर्प मंत्र – ॐ नमोस्तु सर्पेभ्यो ये के च पृथिवीमनु येऽअन्तरिक्षे ये दिवि तेभ्यः सर्पेभ्यो नमः॥ ॐ भूर्भुवः स्वः सर्पाः इहागच्छत इह तिष्ठत ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः सर्पेभ्यो नमः ॥

बृहस्पति मंत्र – ॐ बृहस्पते अति यदर्यो अहार्द द्युमद्विभाति क्रतुमज्जनेषु । यदीदयच्छवसऋतप्रजात तदस्मासु द्रविणं धेहि चित्रम्॥ ॐ भूर्भुवः स्वः बृहस्पते इहागच्छ इह तिष्ठ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः बृहस्पतये नमः ॥

पितर मंत्र – ॐ पितृभ्यः स्वायिब्भ्यः स्वधा नमः पितामहेभ्यः स्वायिब्भ्यः स्वधा नमः प्रपितामहेभ्यः स्वायिब्भ्यः स्वधा नमः। अक्षन्न्पितरोऽमीमदन्त पितरोऽतीतृपन्त पितरः, पितरो शुन्धद्ध्वम् ॥ ॐ भूर्भुवः स्वः पितरः इहागच्छत इह तिष्ठत॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः पितृभ्यो नमः॥

  1. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः भग इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः भगाय नमः ॥
  2. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः अर्यमन् इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः अर्यमणे नमः ॥
  3. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः विश्वकर्मन् इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः विश्वकर्मणे नमः ॥
  4. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः सविते इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः सवित्रे नमः, ॥
  5. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः वायो इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः वायवे नमः ॥
  6. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः इन्द्राग्नौ इहागच्छतं इहतिष्ठतं ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः इन्द्राग्निभ्यां नमः॥
  7. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः मित्र इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः मित्राय नमः॥
  8. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः इन्द्र इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः इन्द्राय नमः॥
  9. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः निर्ऋते इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः निर्ऋतये नमः ॥
  10. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः वरुण इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः वरुणाय नमः ॥
  11. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः विश्वेदेवा इहागच्छ इहतिष्ठ ॥१॥ ॐ भूर्भुवः स्वः विश्वेभ्यो देवेभ्यो नमः ॥
  12. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः विष्णो इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः विष्णवे नमः ॥
  13. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः अष्टवसवः इहागच्छत इहतिष्ठत ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः अष्ट्टवसुभ्यो नमः ॥
  14. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः वरुण इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः वरुणाय नमः ॥
  15. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः अजैकपाद इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः अजैकपदे नमः ॥
  16. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः अहिर्बुध्न्य इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः अहिर्बुध्न्याय नमः ॥
  17. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः पूषन् इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः पूष्णे नमः॥
  18. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः अश्विनौ इहागच्छतं इहतिष्ठतं ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः अश्विभ्यां नमः ॥
  19. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः यम इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः यमाय नमः ॥
  20. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः अग्ने इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः अग्नये नमः ॥
  21. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः प्रजापते इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः प्रजापतये नमः ॥
  22. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः सोम इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः सोमाय नमः ॥
  23. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः रुद्र इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः रुद्राय नमः ॥
  24. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः अदिते इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः अदितये नमः ॥

मघा शांति विधि

  • नक्षत्र देवता : पितर
  • पूर्व नक्षत्र व देवता : आश्लेषा – सर्प
  • पर नक्षत्र व देवता : पूर्व फाल्गुनी – भग
  • 24 दलों पर देवता पूजन क्रम : अर्यमा से बृहस्पति पर्यन्त

नक्षत्र देवता पितर मंत्र – ॐ पितृभ्यः स्वायिब्भ्यः स्वधा नमः पितामहेभ्यः स्वायिब्भ्यः स्वधा नमः प्रपितामहेभ्यः स्वायिब्भ्यः स्वधा नमः। अक्षन्न्पितरोऽमीमदन्त पितरोऽतीतृपन्त पितरः, पितरो शुन्धद्ध्वम् ॥ ॐ भूर्भुवः स्वः पितरः इहागच्छत इह तिष्ठत॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः पितृभ्यो नमः॥

सर्प मंत्र – ॐ नमोस्तु सर्पेभ्यो ये के च पृथिवीमनु येऽअन्तरिक्षे ये दिवि तेभ्यः सर्पेभ्यो नमः॥ ॐ भूर्भुवः स्वः सर्पाः इहागच्छत इह तिष्ठत ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः सर्पेभ्यो नमः ॥

भग मंत्र – ॐ भगप्प्रणेतर्भग सत्यराधो भगे मान्धियमुदवाददन्नः । भग प्प्र नो जनय गोभिरश्वैर्भग प्प्र नृभिर्न्नृवन्तः स्याम ॥ ॐ भूर्भुवः स्वः भग इहागच्छ इह तिष्ठ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः भगाय नमः॥

  1. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः अर्यमन् इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः अर्यमणे नमः ॥
  2. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः विश्वकर्मन् इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः विश्वकर्मणे नमः ॥
  3. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः सविते इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः सवित्रे नमः, ॥
  4. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः वायो इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः वायवे नमः ॥
  5. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः इन्द्राग्नौ इहागच्छतं इहतिष्ठतं ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः इन्द्राग्निभ्यां नमः॥
  6. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः मित्र इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः मित्राय नमः॥
  7. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः इन्द्र इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः इन्द्राय नमः॥
  8. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः निर्ऋते इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः निर्ऋतये नमः ॥
  9. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः वरुण इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः वरुणाय नमः ॥
  10. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः विश्वेदेवा इहागच्छ इहतिष्ठ ॥१॥ ॐ भूर्भुवः स्वः विश्वेभ्यो देवेभ्यो नमः ॥
  11. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः विष्णो इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः विष्णवे नमः ॥
  12. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः अष्टवसवः इहागच्छत इहतिष्ठत ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः अष्ट्टवसुभ्यो नमः ॥
  13. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः वरुण इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः वरुणाय नमः ॥
  14. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः अजैकपाद इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः अजैकपदे नमः ॥
  15. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः अहिर्बुध्न्य इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः अहिर्बुध्न्याय नमः ॥
  16. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः पूषन् इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः पूष्णे नमः॥
  17. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः अश्विनौ इहागच्छतं इहतिष्ठतं ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः अश्विभ्यां नमः ॥
  18. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः यम इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः यमाय नमः ॥
  19. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः अग्ने इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः अग्नये नमः ॥
  20. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः प्रजापते इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः प्रजापतये नमः ॥
  21. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः सोम इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः सोमाय नमः ॥
  22. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः रुद्र इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः रुद्राय नमः ॥
  23. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः अदिते इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः अदितये नमः ॥
  24. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः बृहस्पते इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः बृहस्पतये नमः ॥

ज्येष्ठा शांति विधि

  • नक्षत्र देवता : इन्द्र
  • पूर्व नक्षत्र व देवता : अनुराधा – मित्र
  • पर नक्षत्र व देवता : मूल – निर्ऋति
  • 24 दलों पर देवता पूजन क्रम : वरुण से इन्द्राग्नि पर्यन्त

नक्षत्र देवता इन्द्र मंत्र – ॐ त्रातारमिन्द्रमवितारमिन्द्र ᳪ हवे हवे सुहव ᳪ शूरमिन्द्रम्, ह्वायामि शक्रम्पुरुहूतमिन्द्र ᳪ स्वस्ति नो मघवा धात्विन्द्रः॥ ॐ भूर्भुवः स्वः इन्द्र इहागच्छ, इह तिष्ठ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः इन्द्राय नमः॥

मित्र मंत्र – ॐ मित्त्रो न एहि सुमित्त्रध ऽइन्द्रस्योरुमाविश दक्षिणमुशन्नुशन्त ᳪ स्योनः स्योनम्॥ स्वानब्भ्राजाङ्घरिब्बर्भारे हस्त सुहस्त कृशानवेतेवः सोमवक्रयणात्तान्रक्षद्ध्वं मा वो दभन् ॥ ॐ भूर्भुवः स्वः मित्र इहागच्छ इह तिष्ठ। पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः मित्राय नमः ॥

निर्ऋति मंत्र – ॐ असुन्वन्तमयजमानमिच्छस्तेनस्येत्यामन्विहि तस्करस्य । अन्यमस्मद्रिच्छवातऽइत्या नमो देवि निर्ऋते तुभ्यमस्तु ॥ ॐ भूर्भुवः स्वः निर्ऋते इहागच्छ इह तिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः निर्ऋतये नमः॥

  1. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः वरुण इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः वरुणाय नमः ॥
  2. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः विश्वेदेवा इहागच्छ इहतिष्ठ ॥१॥ ॐ भूर्भुवः स्वः विश्वेभ्यो देवेभ्यो नमः ॥
  3. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः विष्णो इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः विष्णवे नमः ॥
  4. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः अष्टवसवः इहागच्छत इहतिष्ठत ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः अष्ट्टवसुभ्यो नमः ॥
  5. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः वरुण इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः वरुणाय नमः ॥
  6. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः अजैकपाद इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः अजैकपदे नमः ॥
  7. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः अहिर्बुध्न्य इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः अहिर्बुध्न्याय नमः ॥
  8. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः पूषन् इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः पूष्णे नमः॥
  9. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः अश्विनौ इहागच्छतं इहतिष्ठतं ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः अश्विभ्यां नमः ॥
  10. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः यम इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः यमाय नमः ॥
  11. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः अग्ने इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः अग्नये नमः ॥
  12. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः प्रजापते इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः प्रजापतये नमः ॥
  13. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः सोम इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः सोमाय नमः ॥
  14. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः रुद्र इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः रुद्राय नमः ॥
  15. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः अदिते इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः अदितये नमः ॥
  16. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः बृहस्पते इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः बृहस्पतये नमः ॥
  17. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः सर्पाः इहागच्छत इहतिष्ठत ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः सर्पेभ्यो नमः ॥
  18. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः पितरः इहागच्छत इहतिष्ठत ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः पितृभ्यो नमः ॥
  19. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः भग इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः भगाय नमः ॥
  20. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः अर्यमन् इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः अर्यमणे नमः ॥
  21. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः विश्वकर्मन् इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः विश्वकर्मणे नमः ॥
  22. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः सविते इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः सवित्रे नमः, ॥
  23. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः वायो इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः वायवे नमः ॥
  24. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः इन्द्राग्नौ इहागच्छतं इहतिष्ठतं ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः इन्द्राग्निभ्यां नमः॥

मूल शांति विधि

  • नक्षत्र देवता : निर्ऋति
  • पूर्व नक्षत्र व देवता : ज्येष्ठा – इन्द्र
  • पर नक्षत्र व देवता : पूर्वाषाढ़ – वरुण
  • 24 दलों पर देवता पूजन क्रम : विश्वेदेव से मित्र पर्यन्त

शेष जानकारी मूल शांति विधि में दी गयी है अतः मूल शांति विधि का अवलोकन करें।

रेवती शांति विधि

  • नक्षत्र देवता : पूषा
  • पूर्व नक्षत्र व देवता : उत्तराभाद्रपद – अहिर्बुध्न्य
  • पर नक्षत्र व देवता : अश्विनी – अश्विनी कुमार
  • 24 दलों पर देवता पूजन क्रम : यम से अजैकपाद पर्यन्त

नक्षत्र देवता पूषा मंत्र – ॐ पूषन्ततवव्रते वयन्नरिष्येम कदाचन। स्तोतारस्त इह स्मसि॥ ॐ भूर्भुवः स्वः पूषण इहागच्छ इह तिष्ठ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः पूष्णे नमः ॥

अहिर्बुध्न्य मंत्र – ॐ अहिरिव भोगै: पर्येति बाहुं ज्याया हेतिं परिबाधमान: । हस्तघ्नो विश्वा वयुनानि विद्वान् पुमान् पुमा ᳪ सं परि पातु विश्वत: ॥ ॐ भूर्भुवः स्वः अहिर्बुध्न्य इहागच्छ इह तिष्ठ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः अहिर्बुध्न्याय नमः ॥

अश्विनी मंत्र – ॐ यावांकशामधुमत्यश्विना सूनृतावती तया यज्ञम्मिमिक्षताम्॥ ॐ भूर्भुवः स्वः अश्विनौ ! इहागच्छतं, इह तिष्ठतं ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः अश्विभ्याम् नमः ॥

  1. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः यम इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः यमाय नमः ॥
  2. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः अग्ने इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः अग्नये नमः ॥
  3. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः प्रजापते इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः प्रजापतये नमः ॥
  4. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः सोम इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः सोमाय नमः ॥
  5. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः रुद्र इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः रुद्राय नमः ॥
  6. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः अदिते इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः अदितये नमः ॥
  7. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः बृहस्पते इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः बृहस्पतये नमः ॥
  8. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः सर्पाः इहागच्छत इहतिष्ठत ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः सर्पेभ्यो नमः ॥
  9. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः पितरः इहागच्छत इहतिष्ठत ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः पितृभ्यो नमः ॥
  10. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः भग इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः भगाय नमः ॥
  11. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः अर्यमन् इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः अर्यमणे नमः ॥
  12. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः विश्वकर्मन् इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः विश्वकर्मणे नमः ॥
  13. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः सविते इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः सवित्रे नमः, ॥
  14. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः वायो इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः वायवे नमः ॥
  15. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः इन्द्राग्नौ इहागच्छतं इहतिष्ठतं ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः इन्द्राग्निभ्यां नमः॥
  16. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः मित्र इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः मित्राय नमः॥
  17. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः इन्द्र इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः इन्द्राय नमः॥
  18. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः निर्ऋते इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः निर्ऋतये नमः ॥
  19. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः वरुण इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः वरुणाय नमः ॥
  20. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः विश्वेदेवा इहागच्छ इहतिष्ठ ॥१॥ ॐ भूर्भुवः स्वः विश्वेभ्यो देवेभ्यो नमः ॥
  21. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः विष्णो इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः विष्णवे नमः ॥
  22. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः अष्टवसवः इहागच्छत इहतिष्ठत ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः अष्ट्टवसुभ्यो नमः ॥
  23. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः वरुण इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः वरुणाय नमः ॥
  24. आवाहन मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः अजैकपाद इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ पूजा मंत्र : ॐ भूर्भुवः स्वः अजैकपदे नमः ॥

यदि आप मूल शांति विधि का अवलोकन कर लेते हैं तो आपको मूल के अतिरिक्त अन्य यथा अश्विनी आश्लेषा, मघा, ज्येष्ठा और रेवती शांति विधि में जो अंतर होगा वह ऊपर वर्णित है। पुनः आगे अभिषेक मंत्र में भी नक्षत्रानुसार अंतर होगा :

ॐ योऽसौ वज्रधरो देवो महेन्द्रो गजवाहनः । मूलजातं शिशोर्दोषं मातापित्रोर्व्यपोहतु ॥१॥
योऽसौ शक्तिधरो देवो हुतभुङ् मेषवाहनः । सप्तजिह्वश्चदेवोऽग्निर्मूलदोषं व्यपोहतु ॥२॥
योऽसौ दंडधरो देवो धर्मो महिषवाहनः । मूलजातं शिशोर्दोषं व्यपोहतु यमो मम ॥३॥
योऽसौ खड्गधरो देवो निर्ऋती राक्षसाधिपः । प्रशामयतु मूलोत्थं दोषं गण्डान्तसंभवम् ॥४॥
योऽसौ पाशधरो देवो वरुणश्च जलेश्वरः । नक्रवाहः प्रचेता नो मूलदोषं व्यपोहतु ॥५॥

योऽसौ देवो जगत्प्राणो मारुतो मृगवाहनः । प्रशामयतु मूलोत्थं दोषं बालस्य शान्तिदः ॥६॥
योऽसौ निधिपतिर्देवः खङ्गभृद्वाजिवाहनः । मातापित्रोः शिशोश्चैव मूलदोषं व्यपोहतु ॥७॥
योऽसौ पशुपतिर्देवः पिनाकी वृषवाहनः । मूलादिसर्वगण्डान्तं दोषमाशु व्यपोहतु ॥८॥
विघ्नेशः क्षेत्रपो दुर्गा लोकपाला नवग्रहाः । सर्वदोषप्रशमनं सर्वे कुर्वन्तु शान्तिदाः ॥९॥
मूलनक्षत्रजातस्य मातापित्रोर्धनस्य च । भ्रातृज्ञातिकुलोत्थानां दोषं सर्वं व्यपोहतु ॥१०॥
पितरः सर्वभूतानां रक्षन्तु पितरः सदा । मूलनक्षत्रजातस्य वित्तं च ज्ञातिबांधवान् ॥११॥

मूल शांति होने पर उपरोक्त मंत्रों को पढ़ते हुये शतछिद्र कलश से अभिषेक किया जाता है। अन्य नक्षत्र की शांति में जहां-जहां मूल पद है वहां-वहां नक्षत्र नाम का परिवर्तन करते हुये जिस नक्षत्र की शांति हो उस नक्षत्र का नाम प्रयोग किया जायेगा। यथा यदि अश्विनी नक्षत्र शांति हो तो “मूलजातं शिशोर्दोषं मातापित्रोर्व्यपोहतु” के स्थान पर “अश्विनीजातं शिशोर्दोषं मातापित्रोर्व्यपोहतु” पढ़ा जायेगा। अन्य जानकारी के लिये मूल शांति विधि का अवलोकन करें।

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मूल शांति पूजन सामग्री

विनम्र आग्रह : त्रुटियों को कदापि नहीं नकारा जा सकता है अतः किसी भी प्रकार की त्रुटि यदि दृष्टिगत हो तो कृपया सूचित करने की कृपा करें : info@karmkandvidhi.in

कर्मकांड विधि में शास्त्रोक्त प्रमाणों के साथ प्रामाणिक चर्चा की जाती है एवं कई महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा पूर्व भी की जा चुकी है। तथापि सनातनद्रोही उचित तथ्य को जनसामान्य तक पहुंचने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। एक बड़ा वैश्विक समूह है जो सनातन विरोध की बातों को प्रचारित करता है। गूगल भी उसी समूह का सहयोग करते पाया जा रहा है अतः जनसामान्य तक उचित बातों को जनसामान्य ही पहुंचा सकता है इसके लिये आपको भी अधिकतम लोगों से साझा करने की आवश्यकता है।

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