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कर्मकांड विधि

कलश स्थापना विधि और मंत्र

पौराणिक कलश स्थापना विधि और मंत्र – kalash pujan

पौराणिक कलश स्थापना विधि और मंत्र – kalash pujan : हम यहां पौराणिक कलश स्थापना व पूजन मंत्र प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें यह समझना भी आवश्यक है कि पौराणिक विधि की आवश्यकता कब होती है ? जिसका वेदोक्त विधि में अनधिकार हो उसके लिये पौराणिक विधान होता है।

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स्वस्तिवाचन मंत्र पौराणिक – Swastiwachan

स्वस्तिवाचन मंत्र पौराणिक – Swastiwachan : पूजा-अनुष्ठानकिसी भी धार्मिक अनुष्ठान में पवित्रीकरणादि के पश्चात प्रथमतः स्वस्तिवाचन किया जाता है।  भद्रसूक्त का पाठ करना स्वस्तिवाचन कहलाता है । भद्रसूक्त उन मंत्रों का समूह है जिसमें हम कल्याणकामना करते हैं । जब हमें पौराणिक स्वस्तिवाचन की आवश्यकता होती है तो सरलता से उपलब्ध नहीं होती और हम विकल्पाभाववश भद्रसूक्त का ही पाठ कर देते हैं।

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अनुपनीतों के लिये पुराणोक्त नारायण बलि करने की विधि - narayan bali vidhi

अनुपनीतों के लिये पुराणोक्त नारायण बलि करने की विधि – narayan bali vidhi

अनुपनीतों के लिये पुराणोक्त नारायण बलि करने की विधि – narayan bali vidhi : नारायण बलि दुर्मरण दोष निवारण करने हेतु किया जाने वाला श्राद्ध कर्म है। नारायण बलि में 16 पिण्ड दान किया जाता है। नाग बलि सर्प दोष या कालसर्प दोष निवारण करने हेतु की जाने वाली सर्प पूजा विधि का नाम है। नाग बलि में द्वादश प्रकार के सर्पों की विशेष विधि से पूजा आदि किया जाता है। मुख्य नारायण बलि श्राद्ध विधि “संपूर्ण कर्मकांड विधि” पर प्रकाशित है यदि उसका अवलोकन करना चाहें तो यहां क्लिक करके कर सकते हैं।

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गणपत्यथर्वशीर्ष पुरश्चरण विधि - ganpati atharvashirsha purashcharan vidhi

गणपत्यथर्वशीर्ष पुरश्चरण विधि – ganpati atharvashirsha purashcharan vidhi

गणपत्यथर्वशीर्ष पुरश्चरण विधि – ganpati atharvashirsha purashcharan vidhi : गणपत्यथर्वशीर्ष तो कर्मकांड की पुस्तकों में सरलता से उपलब्ध है और सबको मिल जाती है। किन्तु यदि इसके पुरश्चरण प्रयोग अर्थात पुरश्चरण विधि की बात करें तो ढूंढते ही रह जाते हैं। यह आलेख इसलिये विशेष महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि यहां गणपत्यथर्वशीर्ष पुरश्चरण विधि (ganpati atharvashirsha purashcharan vidhi) दी गयी है।

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प्रदक्षिणा अनुष्ठान - pradakshina

प्रदक्षिणा अनुष्ठान – pradakshina

प्रदक्षिणा अनुष्ठान – pradakshina : प्रदक्षिणा तो सभी पूजा का अंग है और कोई भी पूजा हो अंत में प्रदक्षिणा भी की ही जाती है। प्रदक्षिणा ही प्रधान हो और विशेष निर्धारित संख्या में करनी हो तो उसे देवता संबंधी प्रदक्षिणा अनुष्ठान कहते हैं।

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संपूर्ण हवन मंत्र - Sampurn havan mantra

संपूर्ण हवन मंत्र – Sampurn havan mantra

संपूर्ण हवन मंत्र – Sampurn havan mantra : सबसे पहले हमें संपूर्ण हवन मंत्र का तात्पर्य समझना होगा, हवन विधि और हवन मंत्र के अंतर को समझकर तब वास्तविक मंत्रों का अवलोकन करेंगे तो उचित होगा, अन्यथा कितने भी मंत्र क्यों न दे दिये जायें कम ही प्रतीत होंगे क्योंकि भिन्न-भिन्न पूजा में प्रधानदेवता भिन्न-भिन्न होते हैं जिससे उनके मंत्र भी भिन्न हो जाते हैं।

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गण्डान्त योग होने पर शांति कैसे करें - gandanta dosha shanti

गण्डान्त योग होने पर शांति कैसे करें – gandanta dosha shanti

गण्डान्त योग होने पर शांति कैसे करें – gandanta dosha shanti : तीन प्रकार के गण्डान्त में से एक है नक्षत्र गण्डान्त। नक्षत्र गण्डान्त में यद्यपि 6 नक्षत्र आते हैं किन्तु इन सबमें सबसे अधिक अशुभ मूल नक्षत्र होता है इसी कारण इसे गंडमूल भी कहा जाता है।

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जानिये आषाढ़ माह के त्योहार व व्रतादि - ashadh 2025

जानिये आषाढ़ माह के त्योहार व व्रतादि – ashadh 2025

जानिये आषाढ़ माह के त्योहार व व्रतादि – ashadh 2025 : आषाढ़ माह के पर्वादि की बात करें तो इसमें दो विशेष गुप्त नवरात्रा और गुरु पूर्णिमा प्रमुख है। यदि एकादशी की बात करें तो कृष्णपक्ष में योगिनी एकादशी और शुक्ल पक्ष में हरिशयनी एकादशी होती है।

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जानिये ज्येष्ठ माह के त्योहार व व्रतादि - jyeshtha 2025

जानिये ज्येष्ठ माह के त्योहार व व्रतादि – jyeshtha 2025

जानिये ज्येष्ठ माह के त्योहार व व्रतादि – jyeshtha 2025 : ज्येष्ठ माह के पर्वादि की बात करें तो इसमें दो विशेष पर्व होते होते हैं वटसावित्री और गंगादशहरा। इसके साथ ही ज्येष्ठ माह में रम्भा तृतीया भी होता है। इसके साथ ही पुत्रप्राप्ति हेतु विशेष रूप से वर्णित शनिप्रदोष भी ज्येष्ठ माह 2025 में है। शनि प्रदोष के साथ-साथ ज्येष्ठ माह में सोमवती अमावास्या भी देखने को मिल रहा है।

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वैशाख मास के त्यौहार व व्रत पर्वों को जानें - vaishakha maas ke tyohar

वैशाख मास के त्यौहार व व्रत पर्वों को जानें – vaishakha maas ke tyohar

वैशाख मास के त्यौहार व व्रत पर्वों को जानें – vaishakha maas ke tyohar : जूड़शीतल, जाह्नवी सप्तमी, जानकी नवमी, नृसिंह चतुर्दशी, षाण्मासिक रविव्रत विसर्ग के साथ वैशाख माह में अक्षय तृतीया एक विशेष महत्वपूर्ण पर्व होता है जिस दिन परशुराम जयंती भी होती है। वैशाख मास के कृष्ण पक्ष के एकादशी का नाम वरुथिनी एकादशी और शुक्ल पक्ष की एकादशी का नाम मोहिनी एकादशी है।

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