पढ़िये सस्वर संपूर्ण रुद्राष्टाध्यायी पाठ संस्कृत में - rudrashtadhyayi pdf

पढ़िये सस्वर संपूर्ण रुद्राष्टाध्यायी पाठ संस्कृत में – rudrashtadhyayi pdf

पढ़िये सस्वर संपूर्ण रुद्राष्टाध्यायी पाठ संस्कृत में – rudrashtadhyayi pdf : वेदों के कुछ विशेष ८ अध्याय (शान्त्याध्याय और स्वस्ति प्रार्थना सहित १०) का अलग से संकलन किया गया है जिसे रुद्राष्टाध्यायी नाम से जाना जाता है। रुद्राभिषेक करते समय भी इसी रुद्राष्टाध्यायी का पाठ किया जाता है और इसके साथ ही यदि संपूर्ण वेद पाठ न करना हो तो भी रुद्राष्टाध्यायी का ही पाठ किया जाता है। यहां सस्वर संपूर्ण रुद्राष्टाध्यायी पाठ संस्कृत में (rudrashtadhyayi) दी गई है।

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रक्षा विधान - दिग्बंधन मंत्र

दिग्बंधन मंत्र अर्थात दिग्रक्षण मंत्र – digbandhan mantra

दिग्बंधन मंत्र अर्थात दिग्रक्षण मंत्र – digbandhan mantra : अनेकों प्रकार के मंत्रों की जानकारी कर्मकांडी के लिये आवश्यक है इसके अनुसार जब एक मन्त्र की आवश्यकता हो तो एक मंत्र से ही दिग्बंधन करे और जब अधिक मंत्रों की आवश्यकता हो तो अधिक मंत्रों का भी प्रयोग किया जा सके।

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आज का संकल्प मंत्र - aaj ka sankalp mantra

आज का संकल्प मंत्र – aaj ka sankalp mantra

आज का संकल्प मंत्र – aaj ka sankalp mantra : यहां आज का संकल्प तो दिया जा रहा है जो प्रतिदिन मध्यरात्रि को परिवर्तित भी होता है किन्तु इसका उद्देश्य यह नहीं है कि बिना पंडित के किया जाये। ब्राह्मण की आज्ञा/अनुमति के बिना किसी भी कर्म का अधिकार ही प्राप्त नहीं होता है एवं दान-दक्षिणा-ब्राह्मण भोजन के बिना कोई कर्म पूर्ण भी नहीं होता भले ही वह कोई व्रत ही क्यों न हो।

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शिखा बंधन मंत्र : 3 shikha bandhan mantra

शिखा बंधन मंत्र : 3 shikha bandhan mantra

शिखा बंधन मंत्र : 3 shikha bandhan mantra – पौराणिक मंत्र (2) : ब्रह्मवाक्य सहस्राणि शिववाक्य शतेन च । विष्णोर्नाम सहस्रेण शिखा ग्रंथि करोम्यहम् ॥

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आचमन मंत्र - Achaman Mantra

आसन शुद्धि मंत्र 4 प्रयोग – asan shuddhi mantra

आसन शुद्धि मंत्र – asan shuddhi mantra : इस आलेख में आसन शुद्धि के विभिन्न मंत्र प्रयोग दिये गये हैं जो कर्मकांड सीखने वालों के लिये विशेष उपयोगी हैं। आसन शुद्धि के मुख्य मंत्र “पृथ्वी त्वया” के साथ-साथ और भी अनेक प्रकार के मंत्रों को यहां समाहित किया गया है।

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आचमन मंत्र - Achaman Mantra

आचमन मंत्र – 5 Achaman Mantra

आचमन मंत्र – Achaman Mantra : सामान्यतः आचमन तीन आचमन के मंत्रों का सर्वत्र विधान और मंत्र देखा जाता है और सभी जानते हैं। किन्तु यदि दो बार ही आचमन करना हो तो ? देवता भेद, कर्मभेद आदि के आधार पर आचमन के मंत्रों में कोई परिवर्तन भी होता है क्या अथवा जब भी आचमन करना हो उन्हीं मंत्रों से करना चाहिये ?

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पढ़िये सस्वर संपूर्ण रुद्राष्टाध्यायी पाठ संस्कृत में - rudrashtadhyayi pdf

रुद्राष्टाध्यायी के पाठक्रम और महत्व – Rudrashtadhyayi

रुद्राष्टाध्यायी के पाठक्रम और महत्व – Rudrashtadhyayi : 8 की संख्या का कर्मकांड में विशेष महत्व है, कमल में 8 दल होते हैं और कमल पुष्प अर्पित करना बहुत महत्वपूर्ण होता है। उसी प्रकार सभी देवताओं के लिये एक विशेष स्तुति होती है जिसमें 8 मंत्र होते हैं और उसे देवता का अष्टक कहा जाता है जैसे रुद्राष्टक, भवान्यष्टक, कृष्णाष्टक इत्यादि। इसी प्रकार वेद से 8 अध्याय लेकर अष्टक का निर्माण किया गया जिसे रुद्राष्टाध्यायी कहा जाता है।

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