पौराणिक अग्न्युत्तारण विधि मंत्र – agni uttaran mantra
पौराणिक अग्न्युत्तारण विधि मंत्र – agni uttaran mantra : यहां अग्न्युत्तारण के पौराणिक मंत्रों का संकलन किया गया है जो कर्मकांडियों के लिये विशेष उपयोगी सिद्ध होगा।
यहां पर आपको पूजा से संबंधित महत्वपूर्ण आलेख दिये गये हैं और पूजा की विधि मंत्र दी गई है।
पौराणिक अग्न्युत्तारण विधि मंत्र – agni uttaran mantra : यहां अग्न्युत्तारण के पौराणिक मंत्रों का संकलन किया गया है जो कर्मकांडियों के लिये विशेष उपयोगी सिद्ध होगा।
चौसठ योगिनी पूजा विधि (पौराणिक) – chausath yogini puja : योगिनी मंडल में आवाहन पूजन वामावर्त्त अर्थात अप्रदक्षिण/अपसव्य क्रम से किया जाता है। चतुःषष्टि योगिनी मंडल में आठ पंक्तियां होती है अतः आठ आवरणों में मंडल पूजा की जाती है। इस आलेख में योगिनी मंडल का पौराणिक आवाहन मंत्र और पूजा विधि दी गयी है।
81 पद वास्तु मंडल पूजन मंत्र (पौराणिक) – vastu mandal pujan : यहां वास्तु मंडल पूजन के पौराणिक मंत्रों का संकलन किया गया है जो कि लक्ष्मीनारायण संहिता में वर्णित है अर्थात प्रामाणिक होने के कारण इसकी उपयोगिता में और वृद्धि होती है।
वर्त्तमान काल में जिस प्रकार से वेदाधिकार से लोग च्युत होते जा रहे हैं उस संदर्भ में यही आवश्यक हो जाता है कि पौराणिक मंत्रों से ही पूजनादि का आश्रय ग्रहण करें क्योंकि अनधिकृत रूप से वेदमंत्र का प्रयोग करना दोषद ही होता है। एवं उक्त परिस्थिति में यह संकलन अत्युपयोगी सिद्ध होगा। इस आलेख में सर्वतोभद्र मंडल देवताओं का पौराणिक आवाहन और पूजन विधि व मंत्र दिया गया है।
पौराणिक नवग्रह मंडल पूजा विधि और मंत्र – navgrah mandal pujan : जब नवग्रह मंडल बनाकर पूजा की जाती है तो नवग्रह मंडल पर अधिदेवता-प्रत्यधिदेवता-पंचलोकपालादि का भी आवाहन-पूजन किया जाता है। नवग्रह वेदी यदि बनाना न आये तो अष्टदल बनाकर भी पूजा की जा सकती है। इस आलेख में नवग्रह मंडल देवताओं का आवाहन और पूजन का पौराणिक मंत्र दिया गया है।
शिव पूजा में शंख बजाना चाहिए या नहीं – shiv puja me shankh bajana : शिव पूजा में शंख से जल अर्पित करना चाहिये अथवा नहीं यह चर्चा भी सप्रमाण की गयी है व अन्यान्य प्रश्नों के भी प्रामाणिक उत्तर देने का प्रयास किया गया है
पौराणिक पुण्याहवाचन विधि – punyahavachanam sanskrit : कल्याण कामना हेतु ब्राह्मणों से कल्याणकारी वचन प्राप्त करना पुण्याहवाचन कहलाता है। विशेष अवसरों के अतिरिक्त किसी प्रकार के अपशकुन आदि की स्थिति में भी पुण्याहवाचन कराया जा सकता है।
पौराणिक कलश स्थापना विधि और मंत्र – kalash pujan : हम यहां पौराणिक कलश स्थापना व पूजन मंत्र प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें यह समझना भी आवश्यक है कि पौराणिक विधि की आवश्यकता कब होती है ? जिसका वेदोक्त विधि में अनधिकार हो उसके लिये पौराणिक विधान होता है।
स्वस्तिवाचन मंत्र पौराणिक – Swastiwachan : पूजा-अनुष्ठानकिसी भी धार्मिक अनुष्ठान में पवित्रीकरणादि के पश्चात प्रथमतः स्वस्तिवाचन किया जाता है। भद्रसूक्त का पाठ करना स्वस्तिवाचन कहलाता है । भद्रसूक्त उन मंत्रों का समूह है जिसमें हम कल्याणकामना करते हैं । जब हमें पौराणिक स्वस्तिवाचन की आवश्यकता होती है तो सरलता से उपलब्ध नहीं होती और हम विकल्पाभाववश भद्रसूक्त का ही पाठ कर देते हैं।
अनुपनीतों के लिये पुराणोक्त नारायण बलि करने की विधि – narayan bali vidhi : नारायण बलि दुर्मरण दोष निवारण करने हेतु किया जाने वाला श्राद्ध कर्म है। नारायण बलि में 16 पिण्ड दान किया जाता है। नाग बलि सर्प दोष या कालसर्प दोष निवारण करने हेतु की जाने वाली सर्प पूजा विधि का नाम है। नाग बलि में द्वादश प्रकार के सर्पों की विशेष विधि से पूजा आदि किया जाता है। मुख्य नारायण बलि श्राद्ध विधि “संपूर्ण कर्मकांड विधि” पर प्रकाशित है यदि उसका अवलोकन करना चाहें तो यहां क्लिक करके कर सकते हैं।