स्वस्तिवाचन मंत्र पौराणिक – Swastiwachan

हम स्वस्तिवाचन (Swastiwachan) मंत्र अथवा भद्रसूक्त अथवा वेदोक्त स्वस्तिवाचन आदि से परिचित हैं, पाठ भी करते हैं। किन्तु जब यजमान अनुपनीत हो अथवा स्खलित ब्राह्मण हो तो वेद मंत्र का प्रयोग नहीं कर सकते और तब हमें पौराणिक स्वस्तिवाचन की आवश्यकता होती है। यहां पौराणिक स्वस्तिवाचन मंत्र दिया गया है जो उपरोक्त स्थिति में उपयोगी सिद्ध होगा।

स्वस्तिवाचन मंत्र पौराणिक – Swastiwachan

पूजा-अनुष्ठानकिसी भी धार्मिक अनुष्ठान में पवित्रीकरणादि के पश्चात प्रथमतः स्वस्तिवाचन किया जाता है।  भद्रसूक्त का पाठ करना स्वस्तिवाचन कहलाता है । भद्रसूक्त उन मंत्रों का समूह है जिसमें हम कल्याणकामना करते हैं । जब हमें पौराणिक स्वस्तिवाचन की आवश्यकता होती है तो सरलता से उपलब्ध नहीं होती और हम विकल्पाभाववश भद्रसूक्त का ही पाठ कर देते हैं।

किन्तु जहां भद्रसूक्त का पाठ निषिद्ध है वहां पौराणिक स्वस्तिवाचन ही करना चाहिये और यहां पौराणिक स्वस्तिवाचन दिया गया है इस कारण यह विशेष महत्वपूर्ण है।हाथ में अक्षत-पुष्प लेकर इष्ट का ध्यान करते हुए स्वस्तिवाचन करना चाहिए :-

विनम्र आग्रह : त्रुटियों को कदापि नहीं नकारा जा सकता है अतः किसी भी प्रकार की त्रुटि यदि दृष्टिगत हो तो कृपया सूचित करने की कृपा करें : info@karmkandvidhi.in

कर्मकांड विधि में शास्त्रोक्त प्रमाणों के साथ प्रामाणिक चर्चा की जाती है एवं कई महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा पूर्व भी की जा चुकी है। तथापि सनातनद्रोही उचित तथ्य को जनसामान्य तक पहुंचने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। एक बड़ा वैश्विक समूह है जो सनातन विरोध की बातों को प्रचारित करता है। गूगल भी उसी समूह का सहयोग करते पाया जा रहा है अतः जनसामान्य तक उचित बातों को जनसामान्य ही पहुंचा सकता है इसके लिये आपको भी अधिकतम लोगों से साझा करने की आवश्यकता है।

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