नान्दी श्राद्ध करने की संपूर्ण विधि

नान्दीमुख श्राद्ध विधि – आभ्युदयिक श्राद्ध या वृद्धि श्राद्ध क्या है ?

नान्दीमुख श्राद्ध विधि – आभ्युदयिक श्राद्ध या वृद्धि श्राद्ध क्या है : सप्त घृत मातृका पूजन विधि अनुसार संपन्न करने के बाद नान्दीमुख श्राद्ध करना चाहिये। नान्दीमुख श्राद्ध को ही आभ्युदयिक श्राद्ध या वृद्धि श्राद्ध भी कहा जाता है। मातृका पूजन (षोडश और सप्तघृत मातृका) वास्तव में वृद्धिश्राद्ध का ही पूर्वाङ्ग होने के कारण ही कर्तव्य होता है। वैसे दुर्गा-काली आदि शक्ति पूजन करते समय यदि विशेष विधि ग्रहण किया गया हो तो मातृका पूजन शक्ति पूजांग के रूप में भी किया जाता है।

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