
सोलह संस्कार क्या है ? संस्कार का महत्व
गर्भाधान से विद्यारंभ तक के संस्कारों को गर्भ संस्कार भी कहते हैं। इनमें पहले तीन (गर्भाधान, पुंसवन, सीमन्तोन्नयन) को अन्तर्गर्भ संस्कार तथा इसके बाद के छह संस्कारों को बहिर्गर्भ संस्कार कहते हैं। गर्भ संस्कार को दोष मार्जन वा शोधक संस्कार भी कहा जाता है। दोष मार्जन संस्कार से तात्पर्य है कि शिशु के पूर्व जन्मों…