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कर्मकांड कैसे सीखें ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
यहां कर्मकांड सीखने से सम्बंधित बहुत सारी सामग्री उपलब्ध है जिसका अध्ययन करके कमर्काण्ड सीखा जा सकता है। यदि आप कमर्काण्ड सीखना चाहते हैं तो यह ब्लॉग आपके लिये उपयोगी सिद्ध हो सकता है।
कर्मकांड सीखने के लिए क्या आवश्यक है ?
कर्मकांड का अध्ययन करने के लिए आपको निम्नलिखित चीजें आवश्यक हो सकती हैं:
- कर्मकांड में रूचि : आप जो कुछ भी सीखना चाहते हैं सबसे पहली आवश्यकता यही होती है कि उसमें आपकी रूचि हो। यदि आप कर्मकांड सीखना चाहते हैं तो कर्मकांड में रूचि होना आवश्यक है।
- अध्ययन के लिए समय: कर्मकांड का अध्ययन करने के लिए समय और संवादनशीलता की आवश्यकता होती है, क्योंकि कर्मकांड में गंभीर ज्ञान और समझ की आवश्यकता होती है।
- गुरु का दिशानिर्देश : कर्मकांड को सीखने के लिए आपको एक गुरु का मार्गदर्शन और उनके शिक्षानुभव की आवश्यकता होती है।
- पूर्वज्ञान: धार्मिक ग्रंथों; जैसे कि वेद, सूत्र, स्मृति, उपनिषद, ब्राह्मण, और अरण्यक, का अध्धयन करने से पूर्वज्ञान प्राप्त किया जा सकता है।
- श्रद्धा और समर्पण: कर्मकांड का अध्ययन करने के लिए श्रद्धा और समर्पण की आवश्यकता होती है। यह विशेष आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करता है।
- अनुशीलन : कर्मकांड का अध्ययन करते समय, ध्यान और तापस्या की प्रक्रिया को अपनाने की आवश्यकता होती है। जो अध्धयन करते हैं उसका अनुशीलन भी करना चाहिये।
- संगठन: कर्मकांड के अध्ययन के लिए एक धार्मिक संगठन या समुदाय के साथ जुड़ने का प्रयास करते रहना चाहिये, क्योंकि इससे आपको क्षेत्रीय पहचान स्थापित करने में सहयोग प्राप्त होगा और साथ ही अन्यों का अनुभव भी मिलता है।
- ऑनलाइन ज्ञान प्राप्त करना : आधुनिक समय में किसी भी विषय को समझने के लिये ऑनलाइन ज्ञान की भी विशेष आवश्यकता होती है। ऑनलाइन ज्ञान हेतु आप कर्मकांड की विभिन्न वेबसाइटों, यूट्यूब चैनलों से जुड़े रह सकते हैं। और हमारे साथ भी जुड़े रहकर आप कर्मकांड के समबन्ध में विशेष जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
कर्मकांड सीखने के लिये आवश्यक पुस्तकें :
कर्मकांड सीखने के लिये कुछ विशेष महत्वपूर्ण पुस्तकों को हम पहले जानेंगे। वैसे कर्मकांड सीखने हेतु अनंत ग्रन्थ हैं किन्तु हम उनमे से जो विशेष सहयोगी पुस्तकें हैं उनको यहां देखेंगे।
कर्मकांड की पुस्तकें :
- वर्षकृत्य – कर्मकांड सीखने के लिये यह सबसे महत्वपूर्ण पुस्तक है। यह पुस्तक दो भागों में उपलब्ध होता है साथ ही यह पुस्तक क्षेत्र विशेष की विधियों के आधार से भी प्रकाशित होता है। अतः आपको अपने क्षेत्र में प्रयुक्त होने वाली पुस्तक ही लेना चाहिये।
- कर्मठगुरु – इस पुस्तक में नित्यकर्म और अनुष्ठान विधि के साथ कुछ शांतिप्रकरण भी समाहित है। यह पुस्तक संस्कृत में ही निर्देश भी प्रदान करता है अतः संस्कृत निर्देशों को समझने का ज्ञान होना आवश्यक है।
- नित्यकर्म पूजा प्रकाश – जिनको संस्कृत निर्देश समझने में समस्या होती हो उनके लिये यह पुस्तक अधिक उपयोगी सिद्ध हो सकता है क्योंकि इस पुस्तक में जो निर्देश दिया गया है वह हिन्दी में है। गीता प्रेस से प्रकाशित होने वाली नित्य कर्म पूजा प्रकाश बहुत ही प्रचलित है।
- पौरोहित्य कर्म प्रशिक्षक – यह पुस्तक भी नित्य कर्म पूजा प्रकाश की तरह ही हिंदी में निर्देश युक्त है। नित्य कर्म के साथ-साथ इसमें अनुष्ठान विधि, विभिन्न संस्कार (संक्षिप्त रूप से), संक्षित्प शांति प्रकरण उपलब्ध है।
- कर्मकाण्ड प्रदीप – ऊपर बताई गयी पुस्तकों का अध्ययन करने के बाद और विशेष ज्ञान के लिए जिस पुस्तक की आवश्यकत होती है वह है कर्मकांड प्रदीप। यद्यपि यह पुस्तक भी संस्कृत में ही निर्देशित करता है तथापि पूर्वोक्त पुस्तकों का अध्ययन करने के बाद इसका भी अध्ययन किया जा सकता है और कर्मकांड विधि की विशेष जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
- इसके अतिरिक्त अन्य महत्वपूर्ण पुस्तकें हैं – उपनयय पद्धति, विवाह पद्धति, श्राद्ध पद्धति, गृहप्रवेश विधि, (ये सभी अन्यान्य नामों से प्रकाशित होती हैं, क्षेत्रीय स्तर पर जो प्रचलित हो वही लेना चाहिये), सत्यनारायण पूजा-कथा विधि, श्री दुर्गार्चन पद्धति, श्री दुर्गा सप्तशती, रुद्राष्टाध्यायी, रामार्चा विधि (कथा), कृत्यसार समुच्चय, एकादशी माहात्म्य, कार्तिक माहात्म्य, गरुड़ पुराण आदि।
- कुछ अन्य विशेष पुस्तकें : चारों वेद, यज्ञ मंत्र संग्रह, प्रतिष्ठा मयूख, आह्निक सूत्रावली, बृहन्नित्य कर्म समुच्चय, निर्णय सिंधु, अन्त्यकर्म श्राद्ध प्रकाश, इत्यादि।
अग्निवास विचार पंचगव्य प्रकरण प्रज्ञा पञ्चाङ्ग (अप्रकाशित)
होम विधि (छन्दोग और वाजसनेयी हवन विधि) (अप्रकाशित)
वृद्धिश्राद्ध विधान (छन्दोग और वाजसनेयी दोनों मातृका पूजा सहित)
(अप्रकाशित)
सुगम श्राद्ध विधि (वाजसनेयी और छन्दोग दोनों) (प्रकाशित) शक्ति साधना (प्रकाशित)