Pragya Panchangam – प्रज्ञा पञ्चाङ्गम् 2081

Pragya Panchangam - प्रज्ञा पञ्चाङ्गम् | कार्तिक 2081

वैसे तो दृक पंचांग सर्वोपलब्ध है और सभी अपने मोबाइल में कोई भी ज्योतिष/पंचांग संबंधी ऐप्लिकेशन डाउनलोड करके देख सकते हैं। इसमें दिया गया तिथि, नक्षत्रादि का काल विशेष शुद्ध व सूक्ष्म होता है, तथापि व्रत-पर्वादि व मुहूर्त संबंधी शास्त्रसम्मत निर्णय का अभाव भी पाया जाता है। प्रकाशित होने वाले पंचांगों में अभी भी अधिकाधिक पंचांग अदृश्य अर्थात स्थूल गणना ही करते हैं और उनमें भी अधिकांशतः सारणी मात्र का ही प्रयोग करते हैं, गणना नहीं, परन्तु निर्णय तो शास्त्रसम्मत व परम्परा के अनुकूल करते हैं। अर्थात समस्या ये है कि जो दृश्य है उसमें निर्णय पर संशय और जिसका निर्णय शास्त्रसम्मत है वो दृश्य नहीं।

पंचांग प्रयोग से पूर्व आवश्यक जानकारी : प्रज्ञा पंचांग में सूर्योदय-सूर्यास्त हेतु आधार बेगूसराय का आधार लिया गया है जिसका अक्षांश 25/25 उत्तर है और रेखांश 86/08 पूर्व है। यदि व्रत-पर्व-मुहूर्तादि में क्षेत्रीय परंपरा को लें तो उसके लिये मिथिलादेशीय परम्परा को ग्रहण किया गया है। मास के लिये कृष्णादि अर्थात पूर्णिमांत मास को ग्रहण किया गया है।

पंचांग दो पक्षों में दिया गया है एवं दोनों पक्षों के लिये पृथक-पृथक दो सारणी का प्रयोग किया गया है। प्रथम सारणी में क्रमशः तिथि-तिथि समाप्ति काल, वार, नक्षत्र-नक्षत्र समाप्ति काल, योग-समाप्ति काल करण-करण समाप्ति काल, राशि-राशि समाप्ति काल, सूर्योदय, सूर्यास्त दिनांक अंकित किया गया है व द्वितीय सारणी में तिथि-दिनांक-दिन को अंकित करते हुये व्रत-पर्वादि का विवरण दिया गया है। क्षय तिथि, नक्षत्र आदि का उल्लेख भी सारणी 2 में किया गया है।

सारणी – 2 की पंक्तियों में जो विषय समाहित नहीं हो उसके अंत में 1, 2, 3, आदि क्रम दिया गया है और उसका शेष भाग सारणी – 2 के नीचे उसी क्रम से अंकित किया जाता है। पंचांग में अंकित समय भारतीय प्रामाणिक समय है एवं समाप्ति काल है।

  • सारणी – 1
  • सारणी – 2

संवत 2081, शक 1946, दिनांक 18 अक्टूबर से 1 नवम्बर 2024 तक, शरदृतु, याम्यायन, याम्यगोल, उत्तर काल, शुद्ध

तिथितकवारनक्षत्रतकयोगतककरणतकराशितकसूर्योदयसूर्यास्तदि.
113:15शुक्रअश्विनी13:25वज्र21:33कौलव13:15मेष5:4717:1418
29:48शनिभरणी10:46सिद्धि17:40गर9:48मेष16:095:4717:1319
36:46रविकृत्तिका8:31व्यति.14:10विष्टि6:46वृष5:4817:1220
526:29सोमरोहिणी6:49वरी11:10कौलव15:17वृष18:145:4817:1121
625:28कुजमृग.5:50परिघ8:45गर13:52मिथुन5:4917:1122
725:18बुधपुन.शिव6:58विष्टि13:17मिथुन24:015:4917:1023
825:58गुरुपुन.6:15सिद्ध6:50बालव13:32कर्क5:5017:0924
927:22शुक्रपुष्य7:39शुभ29:25तैतिल14:35कर्क5:5017:0825
1029:23शनिश्ले.9:45शुक्लवणिज्16:19कर्क9:455:5117:0726
11रविमघा12:23शुक्ल5:56बव18:34सिंह5:5217:0727
117:50सोमपू.फ.15:23ब्रह्म6:46बालव7:50सिंह22:105:5217:0628
1210:31कुजउ.फ.18:33ऐन्द्र7:47तैतिल10:31कन्या5:5317:0529
1313:15बुधहस्त21:43वैधृति8:50वणिज्13:15कन्या5:5317:0530
1415:52गुरुचित्रा24:44विष.9:50शकुनि15:52कन्या11:155:5317:0431
3018:16शुक्रस्वाति27:30प्रीति10:40नाग18:16तुला5:5417:041 न.

संवत 2081, शक 1946, दिनांक 18 अक्टूबर से 1 नवम्बर 2024 तक, शरदृतु, याम्यायन, याम्यगोल, उत्तर काल, शुद्ध

ति.तकवा.दि.कार्तिक कृष्ण पक्ष, संवत 2081; 18 अक्टूबर से 1 नवम्बर 2024 तक
113:15शु18मासादि, सर्वार्थसिद्धियोग 13:25 तक, सिद्धियोग 13:15 तक तत्पश्चात मृत्युयोग।
29:4819भद्रा आरंभ 20:13 बजे से।
36:4620सिद्धियोग 6:46 तक, भद्रा 6:46 तक, श्रीगणेशचतुर्थी, करकचतुर्थी, चतुर्थी क्षय 28:16 तक।
526:29सो21स.सि.योग अहो., अ.यो. 26:29 तक, गृहारंभ 6:49 तक, द.यात्रा 18:14 तक तत्. पूर्वरहितयात्रा।
625:28कु22मृत्युयोग 25:28 तक तत्पश्चात अमृतयोग, आर्द्रा क्षय 29:38 तक, भद्रा 25:28 से।
725:18बु23सिद्धियोग 25:18 तक तत्पश्चात मृत्युयोग, भद्रा 13:17 तक, उत्तररहितयात्रा 25:18 तक।
825:58गु24स.सि.योग अहोरात्र, अ.योग 25:58 तक तत्पश्चात मृ.योग, पश्चिमोत्तरयात्रा 25:58 तक।
927:22शु25अमृतयोग 27:22 तक।
1029:2326मृत्युयोग 29:23 तक तत्पश्चात अमृतयोग, भद्रा 16:19 – 29:13,
1127मृत्युयोग अहोरात्र।
117:50सो28सिद्धियोग 7:50 तक, रम्भा एकादशीव्रत, दग्धतितिथि 7:50 से।
1210:31कु29बिल्वदल से पारण, दग्धतितिथि 10:31 तक, गोवत्स १२शी, प्रदोष १३शी, धनतेरस, यमदीपदान।
1313:15बु30प्रदोष १४शी, चतुर्दशशाकभोजन, शिवादि देवताओं को दीपदान, हनुमद्ध्वजदान, 1
1415:52गु31अकृतपितृपक्षीयश्राद्ध हेतु अनिवार्य अनिवार्य पार्वण श्राद्ध, पितृ विसर्जन, काली-तारा पूजन, 2
3018:16शु1 न.स्नानदान अमा., दीपावली, सुखरात्रि, उल्काभ्रमण, लक्ष्मी पूजन, रात्रिशेष में दरिद्रानिस्सारण, 3
  1. मृत्युयोग 13:15 तक, सर्वार्थसिद्धियोग 21:43 तक, भद्रा 13:15 – 26:35 ,
  2. मृत्युयोग 15:52 तक तत्पश्चात सिद्धियोग
  3. सिद्धियोग 18:16 से
  • सारणी – 1
  • सारणी – 2

संवत 2081, शक 1946, दिनांक 18 अक्टूबर से 1 नवम्बर 2024 तक, शरदृतु, याम्यायन, याम्यगोल, उत्तर काल, शुद्ध

तिथितकवारनक्षत्रतकयोगतककरणतकराशितकसूर्योदयसूर्यास्तदि.
120:21शनिविशाखाआयु.11:17किंस्तुघ्न7:21तुला23:235:5517:022 न.
222:05रविविशाखा5:58सौभा.11:39बालव9:16वृश्चिक5:5617:023
323:24सोमअनुराधा8:03शोभन.11:42तैतिल10:47वृश्चिक5:5717:014
424:16कुजज्येष्ठा9:44अ.गं.11:27वणिज्11:53वृश्चिक9:445:5717:015
524:41बुधमूल10:59सुकर्मा10:50बव12:32धनु5:5817:006
624:34गुरुपू.षा.11:46धृति9:50कौलव12:41धनु17:535:5916:597
723:56शुक्रउ.षा.12:02शूल8:27गर12:19मकर5:5916:598
822:45शनिश्रवण11:47गण्ड6:37विष्टि11:24मकर23:276:0016:589
921:01रविधनि.10:59ध्रुव25:41बालव9:57कुम्भ6:0116:5810
1018:46सोमशत.9:39व्या.22:35तैतिल7:57कुम्भ26:216:0116:5711
1116:04कुजपू.भा.7:51हर्षण19:08विष्टि16:04मीन6:0216:5712
1213:01बुधरेवती27:10वज्र15:24बालव13:01मीन27:106:0316:5713
139:42गुरुअश्विनी24:32सिद्धि11:29तैतिल9:43मेष6:0316:5614
146:18शुक्रभरणी21:54व्यति.7:29वणिज्6:19मेष27:166:0316:5615
तिथितकवारदि.कार्तिक शुक्ल पक्ष, संवत 2081; 2 नवम्बर से 15 नवम्बर 2024 तक
120:21शनि2 न.अन्नकूट, बलिपूजा, गोवर्द्धनपूजा, पापवारवश गोपूजा नहीं, गोक्रीड़ा, अमृतयोग 20:21 तक।
222:05रवि3चन्द्रदर्शन (चंद्रास्त 18:04 बजे), यमद्वितीया, भ्रातृद्वितीया, यमुनास्नान, भगिनीगृहभोजन, – (1)
323:24सोम4कटुमहुली ३, प्रतिहारषष्ठी व्रतियों का निरामिष भोजन, सर्वार्थ सिद्धियोग 8:03 तक।
424:16कुज5श्रीगणेश चतुर्थी, प्रतिहारषष्ठी व्रतियों का संयम (नहाय-खाय), भद्रा 11:54 – 24:16
524:41बुध6प्रतिहारषष्ठी व्रतियों का एकभुक्त (खरना), सिद्धियोग 24:41 से।
624:34गुरु7प्रतिहारषष्ठी व्रत, सायंकालिकार्घदान, गृहप्रवेश 24:41 से, सर्वार्थ सिद्धियोग 12:02 से – (2)
723:56शुक्र8प्रातःकालिकार्घदान और पारण, गृहप्रवेश 23:56 तक, जगद्धात्री-सामा पूजारंभ, भद्रा 23:56 से।
822:45शनि9गोपाष्टमी, गोपूजा, पंचकारम्भ 11:47 बजे, सिद्धियोग 22:45 से, सर्वार्थ सिद्धियोग 11:47 तक (3)
921:01रवि10अक्षयनवमी, गंगास्नान, गुप्त-कूष्माण्ड दान, धात्रीछाया में भोजन, दीक्षाग्रहण, सत्ययुगादि (4)
1018:46सोम11जगद्धात्री विसर्जन, विषययोग (अमृत+सिद्धि = विष), भद्रा 29:28 से।
1116:04कुज12देवोत्थान एकादशी व्रत सबका, एकादशी व्रतोद्यापन, भीष्मपञ्चक व्रतारम्भ, दग्धतिथि 16:04 से (5)
1213:01बुध13एकादशी व्रत पारण (बिल्वदल वा तुलसीदल), दामोदर द्वादशी, हरिवासर, तुलसीविवाह – (6)
139:42गुरु14प्रदोष १४शी, वैकुण्ठ १४शी, गृहारंभ-गृहप्रवेश 9:42 तक, सिद्धियोग 9:42 तक तत्पश्चात मृत्युयोग (7)
146:18शुक्र15कार्तिक पूर्णिमा, गंगास्नानादि, सोनपुर मेला, मासांत, भीष्मपञ्चक व्रत समाप्ति, कार्तिकेयावतार (8)
  1. श्रीचित्रगुप्त पूजा, सिद्धियोग 22:05 से।
  2. मृत्युयोग 23:56 तक।
  3. भद्रा 11:24 तक, वृद्धियोगक्षय 28:22 तक।
  4. अमृतयोग 21:01 से।
  5. भद्रा 16:04 तक, मृत्युयोग 16:04 तक तत्पश्चात अमृतयोग, उत्तरभाद्रनक्षत्रक्षय 29:40 तक।
  6. प्रदोष १३शी, पंचकान्त 27:10 बजे, गृहप्रवेश 13:01 से, चातुर्मास व्रत पारण, दग्धतिथि 13:01 तक, तामसमन्वादि, सिद्धियोग 13:01 तक तत्पश्चात मृत्युयोग।
  7. सर्वार्थ सिद्धियोग 24:32 तक।
  8. कार्तिकेयपूजन, पूर्णिमा व्रत, पूर्वाभिमुख सामाविसर्जन, कार्तिक-आकाशदीपदान-तुलसीव्रतोद्यापन, सिद्धियोग 6:18 तक तत्पश्चात मृत्युयोग, भद्रा 6:19 – 16:37, पूर्णिमाक्षय 26:58 तक।।

यह डिजिटल पंचांग जो कि दृक भी है आपके लिये विशेष उपयोगी हो सकता है क्योंकि डिजिटल पंचांग में पारम्परिक स्वरूप का अभाव होता है तो पारम्परिक पंचांग में दृश्यता/शुद्धता का अभाव होता है। यहां डिजिटल पंचांग को पारंपरिक स्वरूप भी प्रदान किया गया है और पारम्परिक पंचांगों की अदृश्यता/अशुद्धता का निवारण भी किया गया है।

यह स्वयं में संभवतः प्रथम प्रयास है जो कि पंचांग उपयोगकर्ताओं की अपेक्षा थी। वर्त्तमान में यह मासिक रूप से ही दिया जा रहा है और आगे के 1 – 2 मास ही उपलब्ध हो सकते हैं, किन्तु यदि आप लोगों को यह प्रयास लाभकारी लगे तो अधिकाधिक उपयोगकर्ताओं से साझा करके सहयोग कर सकते हैं और उपयोगकर्ताओं की संख्या में वृद्धि को देखते हुये आगामी 12 – 24 मास तक का पंचांग भी प्रकाशित किया जा सकता है। शनैः शनैः अन्य मार्गादि मासों का भी संकलन इसी पृष्ठ पर किया जायेगा।

विनम्र आग्रह : त्रुटियों को कदापि नहीं नकारा जा सकता है अतः किसी भी प्रकार की त्रुटि यदि दृष्टिगत हो तो कृपया सूचित करने की कृपा करें : info@karmkandvidhi.in

कर्मकांड विधि में शास्त्रोक्त प्रमाणों के साथ प्रामाणिक चर्चा की जाती है एवं कई महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा पूर्व भी की जा चुकी है। तथापि सनातनद्रोही उचित तथ्य को जनसामान्य तक पहुंचने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। एक बड़ा वैश्विक समूह है जो सनातन विरोध की बातों को प्रचारित करता है। गूगल भी उसी समूह का सहयोग करते पाया जा रहा है अतः जनसामान्य तक उचित बातों को जनसामान्य ही पहुंचा सकता है इसके लिये आपको भी अधिकतम लोगों से साझा करने की आवश्यकता है।

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