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पूजा विधि |
पूजा अथवा पूजन (Worshipping) किसी भगवान को प्रसन्न करने हेतु हमारे द्वारा उनका अभिवादन होता है। पूजा दैनिक जीवन का शांतिपूर्ण तथा महत्वपूर्ण कार्य है। यहाँ भगवान को पुष्प आदि समर्पित किये जाते हैं जिनके लिये वेद मंत्र एवं पौराणिक श्लोकों का उपयोग किया जाता है। वैदिक मंत्रों का उपयोग किसी बड़े कार्य जैसे यज्ञ आदि की पूजा में ब्राह्मण द्वारा होता है। पूजा अपने इष्ट से सामीप्य का एहसास करने की एक सुगम कर्मकांडीय विधि है। सरल लौकिक विचारों से संजोकर यह एक ऐसी अर्चना प्रणाली तैयार की गई है कि जो हमें कुछ समय के लिए इस सांसारिक जीवन की गतिविधियों से अलग हटाकर एक आध्यात्मिक संसार में पहुंचा देती है, जहां तन्मयता है, भावना है, पवित्रता का आभास है, विभोर और तृप्त कर देने वाला मनोभाव है।
पूजा का शाब्दिक अर्थ है सम्मान करना।
पूजन के मुख्य छ: प्रकार है–
1. पंचोपचार (5 प्रकार)
2. दशोपचार (10 प्रकार)
3.षोडशोपचार (16 प्रकार)
4. द्वात्रिंशोपचार (32 प्रकार)
5. चतुषष्टि उपचार (64 प्रकार)
6. एकोद्वात्रिंशोपचार (132 प्रकार)