ज्येष्ठ माह के बारे में : शक १९४७, संवत २०८२, दिनांक १३/०५/२०२५ से ११/०६/२०२५ तक, शुद्ध, वसंत ऋतु, सौम्य गोल, सौम्यायन, काल – दक्षिण। ज्येष्ठ माह के पर्वादि की बात करें तो इसमें दो विशेष पर्व होते होते हैं वटसावित्री और गंगादशहरा। इसके साथ ही ज्येष्ठ माह में रम्भा तृतीया भी होता है। इसके साथ ही पुत्रप्राप्ति हेतु विशेष रूप से वर्णित शनिप्रदोष भी ज्येष्ठ माह 2025 में है। शनि प्रदोष के साथ-साथ ज्येष्ठ माह में सोमवती अमावास्या भी देखने को मिल रहा है। यहां हम ज्येष्ठ माह के त्योहार व व्रत-पर्वादि (jyeshtha 2025) को जानेंगे।
जानिये ज्येष्ठ माह के त्योहार व व्रतादि – jyeshtha 2025
यद्यपि अदृश्य पंचांग कर्ताओं द्वारा यह बताया जा रहा है कि व्रत-पर्व-मुहूर्तादि में अदृश्य पंचांग ही ग्राह्य होता है किन्तु यह व्यापारिक वक्तव्य होता है, वास्तविकता यही है कि व्रत-पर्व हो अथवा मुहूर्त शोधन सर्वत्र दृक पंचांग ही ग्राह्य है, और अदृश्य पंचांग के पोषक जो तथ्य (प्रमाण) देकर अदृश्य पंचांग का समर्थन करते हैं वो भी अदृश्य पंचांग का खंडन करते हुये दृश्य पंचांग की ही सिद्धि करते हैं। इस प्रकार व्रत-पर्व हो अथवा शुभ मुहूर्त सर्वत्र दृश्य पंचांग से ही निर्णय करना चाहिये, जातक तो निर्विवाद दृक पंचांग से करे।
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शनिप्रदोष 2025
शास्त्रों में शनि प्रदोष का विशेष महत्व बताया गया है और विशेष फल पुत्र प्राप्ति कहा गया है। ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष में होने वाली प्रदोष त्रयोदशी के दिन शनिवार होने से यह शनिप्रदोष सिद्ध होता है। ज्येष्ठ माह 2025 में 24 मई शनिवार को रात्रि 7:20 तक द्वादशी है तदुपरांत त्रयोदशी है। इस प्रकार 24/05/2025, शनिवार को शनि प्रदोष है।
वटसावित्री 2025
वटसावित्री व्रत हेतु पूर्वविद्धा अर्थात चतुर्दशी युक्ता अमावास्या ग्रहण का विधान है। यदि हम 2025 के वट सावित्री के बारे में विचार करें तो दिनांक 26 मई सोमवार को मध्याह्न 12:11 बजे तक चतुर्दशी है तदुपरांत अमावास्या है अर्थात पूर्वविद्धा अमावास्या 26 मई को है और इसी कारण 2025 में वटसावित्री व्रत 26 मई सोमवार को होना सिद्ध होता है।
सोमवती अमावस्या 2025
शास्त्रों में सोमवती अमावास्या अर्थात जो अमावास्या सोमवार के दिन पड़ता हो उसकी विशेष महत्ता बताई गयी है। स्त्रियां इस दिन सौभाग्यादि की कामना से अश्वत्थ वृक्ष का पूजन, 108 प्रदक्षिणा आदि करती हैं। जब कभी भी अमावास्या के दिन सोमवार होता है तो उसे सोमवती अमावास्या कहा जाता है। अर्थात सोमवार और अमावास्या के योग को सोमवती अमावास्या कहा जाता है। सोमवती अमावस्या किसी भी सोमवार के दिन में यदि अमावास्या हो तो ही होती है। यदि सोमवार की रात में अमावास्या हो तो वह सोमवती अमावास्या नहीं कही जाती है। अर्थात सोमवती अमावास्या दिन में अमावास्या का योग रहे तभी मान्य होता है।
सोमवती अमावस्या कब है 2025
2025 में दो सोमवती अमावस्या है जिसमें से पहली सोमवती अमावस्या दिनांक 26 मई सोमवार को है। सोमवती अमावस्या के पूजनादि का काल सोमवार के दिन जबतक अमावस्या रहे अथवा जब से अमावस्या आरम्भ हो तबसे होता है। 26 मई 2025, सोमवार को अमावास्या का आरंभ 12:11 बजे से होता है इस लिये सोमवती अमावस्या से संबंधित पूजनादि मध्याह्न 12:11 बजे से हो रहा है। इस प्रकार 2025 में वटसावित्री के दिन ही सोमवती अमावस्या भी है जो महत्वपूर्ण हो जाता है।
रम्भा तृतीया 2025
ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को रम्भा तृतीया के नाम से जाना जाता है। 2025 में ज्येष्ठ शुक्ल द्वितीया का क्षय हो रहा है और दिनांक 29 मई गुरुवार को औदयिक तृतीया है जो रात 11:18 बजे तक है। इस प्रकार 2025 की रम्भा तृतीया गुरुवार 29 मई को है।
गंगादशहरा 2025
मुख्यरूप से ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी को गंगा दशहरा कहा जाता है। शास्त्रों में प्रमाण मिलता है कि ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी यदि हस्त नक्षत्र युत हो तो दश पापों का हरण करने वाली होती है। दशहरा की विशेष महत्ता हेतु कुल दश योग भी शास्त्रों में वर्णित हैं जो इस प्रकार हैं : ज्येष्ठ मास, शुक्ल पक्ष, दशमी तिथि, बुधवार, हस्त नक्षत्र, व्यतिपात योग, गर करण, आनन्दादि योगों में से आनंद योग, कन्या का चंद्र, वृष के रवि। ऐसा आवश्यक नहीं होता कि प्रत्येक बार दशों योग मिलें ही मिले किन्तु अधिकांश मिलते हैं।
2025 में दिनांक 5 जून, गुरुवार को गंगादशहरा है। दशमी तिथि समस्त दिन है, किन्तु बुधवार के योग का अभाव है, मास-पक्ष-तिथि तो अवश्य ही मिलता है। हस्त नक्षत्र का योग भी हो रहा है जो समस्त दिन है, व्यतिपात योग की बात करें तो पूर्वाह्न 9:12 बजे से है, गर करण की बात करें तो मध्याह्न 1:02 बजे से है, आनंदादि में आनंद योग का अभाव है, चंद्र कन्या राशि में हैं और सूर्य वृष राशिगत।
व्रतादि ज्येष्ठ माह 2025
- श्रीआखुरथ (गणेश) चतुर्थी : शुक्रवार, दिनांक १६ मई २०२५
- अपरा एकादशी : शुक्रवार दिनांक २३ मई २०२५
- प्रदोष त्रयोदशी (शनि प्रदोष) : शनिवार दिनांक २४ मई २०२५
- प्रदोष चतुर्दशी : रविवार दिनांक २५ मई २०२५
- वटसावित्री, सोमवती अमावस्या : सोमवार, दिनांक २६ मई २०२५
- ज्येष्ठ अमावास्या : मंगलवार दिनांक २७ मई २०२५
- श्री गणेश चतुर्थी : शुक्रवार दिनांक ३० मई २०२५
- निर्जला एकादशी : शुक्रवार दिनांक ६ जून २०२५
- प्रदोष त्रयोदशी : रविवार दिनांक ८ जून २०२५
- प्रदोष चतुर्दशी : सोमवार दिनांक ९ जून २०२५
- ज्येष्ठ पूर्णिमा : बुधवार दिनांक ११ जून २०२५
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