नित्य प्रातःकाल पढे जाने वाले महत्वपूर्ण माङ्गलिक मंत्र : प्रातः स्मरण मंत्र

प्रातः स्मरण मंत्र - प्रातः वंदना

प्रातः स्मरण मंत्र का तात्पर्य मात्र स्मरण करना नहीं होता भले ही इसमें स्मरण शब्द ही प्रयुक्त होते हैं, किन्तु इनका सस्वर पाठ करना चाहिये। प्रातः स्मरण करने से दिन का आरंभ करते हुये अन्य नित्यकर्मों में संलग्न होना चाहिये एवं प्रातः स्मरण मंत्र का पाठ करना भी नित्यकर्म का एक अंग ही है। नीचे प्रातः स्मरण मंत्र दिया गया है जो कि संस्कृत में हैं, इन्हें ही “नित्य प्रातःकाल पढे जाने वाले महत्वपूर्ण माङ्गलिक मंत्र” भी कहा जाता है।

They need to recite the mantra continually morning (प्रातः स्मरण मंत्र). But Recitation (voice) simply can not read, if possible Smrn. If Smrn (remember) when not only can hear the full plant. Its biggest advantage is that the nightmare would destroy impurities and the grace of God continues throughout the day.

Therefore, even if the text is hard to rough these mantras must at least try to listen. Because to see and enough is available in the digital age. I also soon publish videos on its YouTube channel will, you’ll see there.

प्रातः स्मरण मंत्र का महत्व

इस प्रकार यहां ऊपर प्रातः स्मरण मंत्र दिये गये हैं जो कल्याणकारी हैं। आधुनिक शब्दावलियों में यदि प्रातः स्मरण मंत्र का महत्व बताना चाहें तो इस प्रकार से कहा जा सकता है :

  • नये दिन का प्रारम्भ सकारात्मक ऊर्जा के साथ होती है।
  • पिछले दिन के नकारात्मक प्रभाव नष्ट होते हैं।
  • मन में कल्याणकारी विचारों का प्राकट्य होने की संभावना बढ़ती है।
  • आत्मविश्वास की वृद्धि होती है जो सफलता प्राप्ति की दिशा में सहायक होता है।
  • कर्तव्यपारायणता के भाव की वृद्धि होती है जो आत्मकल्याण, परिवार में सुख-शांति, देश और समाज का विकास करने वाला है।
प्रातः स्मरण मंत्र - प्रातः वंदना, माङ्गलिक मंत्र
प्रातः स्मरण मंत्र – प्रातः वंदना

इस प्रकार ये सभी  मन्त्र  नित्य प्रातः काल पाठ करने चहिये । किन्तु  यदि सस्वर ( बोलकर ) न  पढ सके तो स्मरण मात्र भी कर सकते हैं । यदि स्मरन् में (याद) भी न हो तो मात्र सुनकर भी पूरा लाभ पा सकते हैं । इसका सबसे बड़ा लाभ यह है कि दुःस्वप्न का दोष नष्ट होता है और पूरे दिन भगवान की कृपा बनी रहती है ।

अतः यदि पाठ करना मुश्किल हो तो भी किसी न किसी प्रकार इन मन्त्रों को कम से कम सुनने का प्रयास अवश्य करें। 

यदि आप नित्यकर्म से संबंधित और जानकारी चाहते हैं तो यहां नित्यकर्मों को पांच भागों में बांटकर बताया गया है जो इस प्रकार हैं :

  • भाग १ भगवद्स्मरण : इसमें प्रातः काल उठने के बाद के नियम और भगवद्स्मरण के मंत्रों का अवलोकन करेंगे।
  • भाग २ शुद्धिकरण : इसमें शारीरिक शुद्धि को वर्तमान युग के तारतम्यानुसार समझेंगे।
  • भाग ३ पूजन : इसमें संध्या, तर्पण और पंचदेवता पूजा एवं विष्णु पूजन विधि का अवलोकन करेंगे।
  • भाग ४ पञ्चयज्ञ : इसमें पञ्च महायज्ञों या बलिवैश्वदेव कर्म का अवलोकन करेंगे।
  • भाग ५ इस भाग में भोजन, सायं कृत्य, शयन इत्यादि तथ्यों या विधियों को समझेंगे।

नित्य कर्म पूजा पद्धति मंत्र

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