पौराणिक अग्न्युत्तारण विधि मंत्र – agni uttaran mantra
पौराणिक अग्न्युत्तारण विधि मंत्र – agni uttaran mantra : यहां अग्न्युत्तारण के पौराणिक मंत्रों का संकलन किया गया है जो कर्मकांडियों के लिये विशेष उपयोगी सिद्ध होगा।
मंत्र सूक्त (mantra-sukta) पर अनेकों वेद मंत्र व सूक्त दिये गये हैं; जैसे पुरुष सूक्त, रुद्रसूक्त, रक्षोघ्न सूक्त, श्रीसूक्त, सरल रुद्री अर्थात रुद्राष्टाध्यायी इत्यादि।
पौराणिक अग्न्युत्तारण विधि मंत्र – agni uttaran mantra : यहां अग्न्युत्तारण के पौराणिक मंत्रों का संकलन किया गया है जो कर्मकांडियों के लिये विशेष उपयोगी सिद्ध होगा।
पंच देवता ध्यान मंत्र – panch devta dhyan mantra : पंचदेवता की पूजा में हमें उनके मंत्रों का विशेष रूप से ज्ञान होना आवश्यक है और पूजा भले ही नाम मंत्र से भी कर लें किन्तु ध्यान के मंत्र तो ज्ञात होने ही चाहिये। यहां पंचदेवता के ध्यान मंत्र दिये गये हैं जो कि संस्कृत में हैं।
पढ़िये सस्वर संपूर्ण रुद्राष्टाध्यायी पाठ संस्कृत में – rudrashtadhyayi pdf : वेदों के कुछ विशेष ८ अध्याय (शान्त्याध्याय और स्वस्ति प्रार्थना सहित १०) का अलग से संकलन किया गया है जिसे रुद्राष्टाध्यायी नाम से जाना जाता है। रुद्राभिषेक करते समय भी इसी रुद्राष्टाध्यायी का पाठ किया जाता है और इसके साथ ही यदि संपूर्ण वेद पाठ न करना हो तो भी रुद्राष्टाध्यायी का ही पाठ किया जाता है। यहां सस्वर संपूर्ण रुद्राष्टाध्यायी पाठ संस्कृत में (rudrashtadhyayi) दी गई है।
दिग्बंधन मंत्र अर्थात दिग्रक्षण मंत्र – digbandhan mantra : अनेकों प्रकार के मंत्रों की जानकारी कर्मकांडी के लिये आवश्यक है इसके अनुसार जब एक मन्त्र की आवश्यकता हो तो एक मंत्र से ही दिग्बंधन करे और जब अधिक मंत्रों की आवश्यकता हो तो अधिक मंत्रों का भी प्रयोग किया जा सके।
आज का संकल्प मंत्र – aaj ka sankalp mantra : यहां आज का संकल्प तो दिया जा रहा है जो प्रतिदिन मध्यरात्रि को परिवर्तित भी होता है किन्तु इसका उद्देश्य यह नहीं है कि बिना पंडित के किया जाये। ब्राह्मण की आज्ञा/अनुमति के बिना किसी भी कर्म का अधिकार ही प्राप्त नहीं होता है एवं दान-दक्षिणा-ब्राह्मण भोजन के बिना कोई कर्म पूर्ण भी नहीं होता भले ही वह कोई व्रत ही क्यों न हो।
शिखा बंधन मंत्र : 3 shikha bandhan mantra – चिद्रूपिणि महामाये दिव्यतेजः समन्विते। तिष्ठ देवि शिखामध्ये तेजोवृद्धिं कुरुष्व मे॥ पौराणिक मंत्र (2) : ब्रह्मवाक्य सहस्राणि शिववाक्य शतेन च । विष्णोर्नाम सहस्रेण शिखा ग्रंथि करोम्यहम् ॥
आसन शुद्धि मंत्र – asan shuddhi mantra : इस आलेख में आसन शुद्धि के विभिन्न मंत्र प्रयोग दिये गये हैं जो कर्मकांड सीखने वालों के लिये विशेष उपयोगी हैं। आसन शुद्धि के मुख्य मंत्र “पृथ्वी त्वया” के साथ-साथ और भी अनेक प्रकार के मंत्रों को यहां समाहित किया गया है।
आचमन मंत्र – Achaman Mantra : सामान्यतः आचमन तीन आचमन के मंत्रों का सर्वत्र विधान और मंत्र देखा जाता है और सभी जानते हैं। किन्तु यदि दो बार ही आचमन करना हो तो ? देवता भेद, कर्मभेद आदि के आधार पर आचमन के मंत्रों में कोई परिवर्तन भी होता है क्या अथवा जब भी आचमन करना हो उन्हीं मंत्रों से करना चाहिये ?
रुद्राष्टाध्यायी के पाठक्रम और महत्व – Rudrashtadhyayi : 8 की संख्या का कर्मकांड में विशेष महत्व है, कमल में 8 दल होते हैं और कमल पुष्प अर्पित करना बहुत महत्वपूर्ण होता है। उसी प्रकार सभी देवताओं के लिये एक विशेष स्तुति होती है जिसमें 8 मंत्र होते हैं और उसे देवता का अष्टक कहा जाता है जैसे रुद्राष्टक, भवान्यष्टक, कृष्णाष्टक इत्यादि। इसी प्रकार वेद से 8 अध्याय लेकर अष्टक का निर्माण किया गया जिसे रुद्राष्टाध्यायी कहा जाता है।