जानिये भगवान श्री राम पूजा विधि और मंत्र ~ Ram puja vidhi

जानिये भगवान श्री राम पूजा विधि और मंत्र ~ Ram puja vidhi

भगवान राम की पूजा करने की अनेकानेक विधियां हैं इसके साथ ही उपचार भेद से भी अनेक प्रकार की विधियां प्राप्त होती है। उपचार भेद से अनेकानेक प्रकार की पूजा विधियों में षोडशोपचार पूजा विधि का विशेष महत्व होता है। भगवान श्रीराम की सबसे बृहत् पूजा जो की जाती है उसे रामार्चा कहते हैं जिसकी विशेष विधि और कथा होती है। यहां पौराणिक मंत्रों से पूजा विधि दी गई है।

रामनवमी अथवा अन्य किसी भी विशेष अवसर पर यदि आप भगवान श्री राम की विशेष पूजा करना चाहते हैं तो ये विधि उपयोगी हो सकती है। इसके साथ ही यदि प्रतिदिन करना चाहें तो प्रतिदिन भी कर सकते हैं।

सर्वप्रथम नित्यकर्म जो होते हैं वो संपन्न कर लें तत्पश्चात पूजा की तैयारी कर लें। सभी सामग्रियां व्यवस्थित कर लें। आसन हेतु अष्टदल निर्माण कर लें, राम जी की रंगोली का तात्पर्य भी अष्टदल ही होता है और सभी देवताओं की पूजा हेतु अष्टदल का ही निर्माण किया जाता है। धूप-दीप जला लें। नाना प्रकार के नैवेद्य की भी व्यवस्था कर लें। तत्पश्चात आगे दिये गये मंत्र और विधि के अनुसार संकल्प करके पूजा करें।

  • भगवान विष्णु की पूजा में अक्षत का प्रयोग नहीं करना चाहिये। भगवान राम भी विष्णु अवतार ही हैं अतः राम जी को भी अक्षत नहीं चढ़ाया जाता है अक्षत के स्थान पर तिल-जौ अर्पित करें।
  • भगवान विष्णु करनी हो अथवा उनके अवतारों की पूजा सबमें तुलसी की विशेष महत्ता होती है।
  • इसके साथ ही शमी पत्र, दूर्वा आदि भी अर्पित करना चाहिये इसका भी विशेष महत्व होता है।

पवित्रीकरणादि करने के पश्चात् संकल्प की आवश्यकता होती है। संकल्प हेतु प्रतिदिन के पञ्चाङ्गानुसार तिथि को जानना आवश्यक होता है यदि आप प्रतिदिन का पंचांग देखना चाहें तो यहां क्लिक करके देख सकते हैं : आज का पंचांग और शुभ मुहूर्त

यहां सरल संकल्प मंत्र दिया जा रहा विशेष संकल्प मंत्र हेतु अन्य आलेखों का अवलोकन कर सकते हैं। प्रतिदिन का संकल्प भी यहां क्लिक करके जान सकते हैं ~ आज का संकल्प मंत्र

राम पूजा मंत्र ~ Ram puja Mantra

सरल संकल्प मंत्र : ॐ अद्यैतस्य ब्रह्मणोऽह्नि द्वितीयेपरार्धे श्रीश्वेतवाराह- कल्पे वैवस्वत मन्वन्तरे अष्टाविंशति तमे कलियुगे कलिप्रथमचरणे महांमागल्यप्रद मासोतमे मासे …….…. मासे ……… पक्षे ……..… तिथौ ……..… वासरे …….…..  गोत्रोत्पन्नः ……..… मम आत्मन श्रुतिस्मृतिपुराणोक्त फलप्राप्यर्थं मम सकुटुम्बस्य दीर्घायु शरीरारोग्य कामनया धन-धान्य-बल-पुष्टि-कीर्ति-यश लाभार्थं, सकल मनोरथ सिद्ध्यर्थं, श्री रामप्रीत्यर्थं यथा शक्त्या यथा मिलितोपचार द्रव्यैः श्रीरामपूजनमहं करिष्ये ॥

आज का संकल्प मंत्र - aaj ka sankalp mantra
आज का संकल्प मंत्र

यदि सपरिवार श्रीराम की पूजा करनी हो तो संकल्प में “श्रीरामपूजन” के स्थान पर “साङ्गसायुधसपरिवार श्रीरामचन्द्रपूजनमहं करिष्ये” कहें।

ध्यान

ॐ कोमलाङ्गं विशालाक्षमिन्द्रनीलसमप्रभम् ।
दक्षिणांशे दशरथं पुत्रावेक्षणतत्परम् ॥

पृष्ठतो लक्ष्मणं देवं सच्छत्रं कनकप्रभम् ।
पार्श्वे भरतशत्रुघ्नौ तालवृन्तकरावुभौ ॥

अग्रे व्यग्रं हनूमन्तं रामानुग्रहकांक्षिणम् ॥

आवाहन

श्री राम फोटो hd
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ॐ आवाहयामि विश्वेशं जानकीवल्लभं विभुम् । कौशल्यातनयं विष्णुं श्रीरामं प्रकृतेः परम् ॥

आसन

ॐ राजाधिराज राजेन्द्र रामचन्द्र महीपते ।
रत्नसिंहासनं तुभ्यं दास्यामि स्वीकुरु प्रभो
॥ इदमासनं ॐ भूर्भुवःस्वः भगवते श्रीरामचन्द्राय नमः ॥

पाद्य

ॐ त्रैलोक्यपावनानन्त नमस्ते रघुनायक ।
पाद्यं गृहाण राजर्षे नमो राजीवलोचन
॥ पादयोः पाद्यं ॐ भूर्भुवःस्वः भगवते श्रीरामचन्द्राय नमः

अर्घ्य

ॐ दशग्रीवविनाशाय जातोऽसि रघुनन्दन ।
गृहाणार्घ्यं मया दत्तं प्रसीद परमेश्वर ॥
॥ हस्तयोः अर्घ्यं ॐ भूर्भुवःस्वः भगवते श्रीरामचन्द्राय नमः ॥

मधुपर्क

ॐ नमः श्रीवासुदेवाय तत्त्वज्ञानरूपिणे ।
मधुपर्कं गृहाणेदं जानकीपतये नमः ॥
॥ इदं मधुपर्कं ॐ भूर्भुवःस्वः भगवते श्रीरामचन्द्राय नमः ॥

आचमन

ॐ नमः सत्याय शुद्धाय नित्याय ज्ञानरूपिणे ।
गृहाणाचमनं नाथ सर्वलोकैक नायक 
॥ मुखे आचमनीयं ॐ भूर्भुवःस्वः भगवते श्रीरामचन्द्राय नमः ॥

स्नान

ॐ ब्रह्माण्डोदरमध्यस्थैस्तीर्थतोयै रघूत्तम ।
त्वां स्नापयाम्यहं भक्त्या तद् गृहाण जनार्दन
॥ इदं स्नानीयं जलं ॐ भूर्भुवःस्वः भगवते श्रीरामचन्द्राय नमः ॥

पञ्चामृत स्नान

ॐ पयो दधि घृतं गव्यं माक्षिकं शर्करा तथा।
पञ्चामृतेन स्नपनं गृहाण जगतः पते ॥
॥ इदं पञ्चामृतस्नानीयं ॐ भूर्भुवःस्वः भगवते श्रीरामचन्द्राय नमः ॥

शुद्धोदक – पंचामृत स्नानानंतर शुद्धोदक स्नानं ॐ भूर्भुवःस्वः भगवते श्रीरामचन्द्राय नमः॥

गंधोदक स्नान

मलयाचलसम्भूतं चन्दनेन विमिश्रितं । इदं गन्धोदकस्नानं कुंकुमाक्तं नु गृह्यताम् ॥
॥ इदं गंधोदकस्नानं ॐ भूर्भुवःस्वः भगवते श्रीरामचन्द्राय नमः
शुद्धोदक – गंधोदक स्नानानंतर शुद्धोदक स्नानं ॐ भूर्भुवःस्वः भगवते श्रीरामचन्द्राय नमः

वस्त्र

ॐ तप्तकाञ्चनसंकाश पीताम्बरमिदं हरे ।
संगृहाण जगन्नाथ रामचन्द्र नमोऽस्तु ते
॥ इमे वस्त्रोपवस्त्रे ॐ भूर्भुवःस्वः भगवते श्रीरामचन्द्राय नमः ॥ आचमनीयं ………

यज्ञोपवीत

ॐ श्रीरामाच्युत यज्ञेश श्रीधरानन्त राघव ।
ब्रह्मसूत्रं सोतरीयं गृहाण रघुनन्दन
॥ इमे यज्ञोपवीते ॐ भूर्भुवःस्वः भगवते श्रीरामचन्द्राय नमः ॥ आचमनीयं ………

गन्ध

ॐ कुङ्कुमागरुकस्तूरी कर्पूरं चन्दनं तथा ।
तुभ्यं दास्यामि राजेन्द्र श्रीराम स्वीकुरु प्रभो 
॥ इदं गन्धं ॐ भूर्भुवःस्वः भगवते श्रीरामचन्द्राय नमः

तिल-यव

ॐ तिला यवाः सुरश्रेष्ठ कम्बूजाश्च सुशोभनाः ।
वासुदेव जगन्नाथ प्रीत्यर्थं स्वीकुरु प्रभो
एते यव तिलाः ॐ भूर्भुवःस्वः भगवते श्रीरामचन्द्राय नमः

पुष्प

ॐ सुगन्धीनि सुपुष्पाणि देशकालोद्भवानि च ।
मयानीतानि पूजार्थं प्रीत्या स्वीकुरु तानि मे
॥ इदं पुष्पं ॐ भूर्भुवःस्वः भगवते श्रीरामचन्द्राय नमः

तुलसी

तुलसीं हेमरूपां च रत्नरूपां च मञ्जरीम्
भवमोक्षप्रदां तुभ्यमर्पयामि हरिप्रियाम् ॥
एतानि तुलसीदलानि ॐ भूर्भुवःस्वः भगवते श्रीरामचन्द्राय नमः

माला

ॐ नानापुष्पविचित्राढयां पुष्पमालां सुशोभनाम् ।
प्रयच्छामि च राजर्षे गृहाण परमेश्वर

इदं पुष्पमाल्यं ॐ भूर्भुवःस्वः भगवते श्रीरामचन्द्राय नमः

अङ्ग पूजा

  • ॐ श्रीरामचन्द्राय नमः, पादौ पूजयामि ॥
  • ॐ श्रीराजीवलोचनाय नमः, गुल्फौ पूजयामि ॥
  • ॐ श्रीरावणान्तकाय नमः, जानुनी पूजयामि ॥
  • ॐ श्रीवाचस्पतये नमः ऊरू पूजयामि ॥
  • ॐ श्रीविश्वरूपाय नमः, जङ्घे पूजयामि ॥
  • ॐ श्रीलक्ष्मणाग्रजाय नमः, कटिं पूजयामि ॥
  • ॐ श्रीविश्वमूर्तये नमः, मेढ्रं पूजयामि ॥
  • ॐ श्रीविश्वामित्रप्रियाय नमः, नाभिं पूजयामि ॥
  • ॐ श्रीपरमात्मने नमः, हृदयं पूजयामि ॥
  • ॐ श्रीश्रीकण्ठाय नमः, कण्ठं पूजयामि ॥
  • ॐ श्रीसर्वास्त्रधारिणे नमः, बाहू पूजयामि ॥
  • ॐ श्रीरघूद्वहाय नमः, मुखं पूजयामि ॥
  • ॐ श्रीपद्मनाभाय नमः, जिह्वां पूजयामि ॥
  • ॐ श्रीदामोदराय नमः, दन्तान् पूजयामि ॥
  • ॐ श्रीसीतापतये नमः, ललाटं पूजयामि ॥
  • ॐ श्रीज्ञानगम्याय नमः, शिरः पूजयामि ॥
  • ॐ श्रीसर्वात्मने नमः, सर्वाङ्गं पूजयामि ॥

धूप

ॐ वनस्पतिरसोद्भूतो गन्धाढ्यो गन्ध उत्तमः ।
रामचन्द्र महापाल धूपोऽयं प्रतिगृह्यताम्
॥ एष धूपः ॐ भूर्भुवःस्वः भगवते श्रीरामचन्द्राय नमः

दीप

ॐ ज्योतिषां पतये तुभ्यं नमो रामाय वेधसे ।
गृहाण दीपकं चैव त्रैलोक्य तिमिरापहम्
॥ एष दीपः ॐ भूर्भुवःस्वः भगवते श्रीरामचन्द्राय नमः

नैवेद्य

ॐ दिव्याम्नरससंयुक्तं नानाभक्ष्यैस्तु संयुतम् ।
चोष्यपेयसमायुक्तं गृहाणान्नं नमोऽतु ते॥
॥ एतानि नानाविध नैवेद्यानि ॐ भूर्भुवःस्वः भगवते श्रीरामचन्द्राय नमः

आचमन

ॐ नमस्ते देव देवेश सर्वंतृप्तिकर परम् ।
अखण्डानन्दसम्पूर्णं गृहाण जलमुत्तमम्
॥ मुखे आचमनीयं ॐ भूर्भुवःस्वः भगवते श्रीरामचन्द्राय नमः

फल

इदं फलं मयादेव स्थापितं पुरतस्तव
तेन मे सफलावाप्तिर्भवेत् जन्मनि जन्मनि
एतानि ऋतुफलानि ॐ भूर्भुवःस्वः भगवते श्रीरामचन्द्राय नमः

ताम्बूलं

ॐ नागवल्लीदलैर्युक्तं पूगीफलसमन्वितम् ।
ताम्बूलं गृह्यतां देव कर्पूरादिसमन्वितम्
॥ मुखवासार्थे सपूगीफल ताम्बूलं ॐ भूर्भुवःस्वः भगवते श्रीरामचन्द्राय नमः

दक्षिणा

ॐ हिरण्यगर्भ गर्भस्थं हेमबीजं विभावसोः ।
अनन्तपुण्य फलदमतः शान्तिं प्रयच्छ मे
पूजासाफल्यार्वथे दक्षिणाद्रव्यं ॐ भूर्भुवःस्वः भगवते श्रीरामचन्द्राय नमः

नीराजन

ॐ कदलीगर्भसम्भूतं कपूरं च प्रदीपितम्।
आरार्तिक्यमहं कुर्वे पश्य मे वरदो भव
॥ इदं नीराजनं ॐ भूर्भुवःस्वः भगवते श्रीरामचन्द्राय नमः

पुष्पाञ्जलि

प्रदक्षिणा

यानि कानि च पापानि जन्मांतर कृतानि च । तानि तानि विनश्यन्ति प्रदक्षिणपदे पदे ॥

साष्टांग प्रणाम

ॐ नमस्ते पुण्डरीकाक्ष त्राहि मां भवसागरात् । सर्वपापप्रणाशार्थं दण्डवत् प्रणमाम्यहम् ॥

नमस्कार

ॐ नमस्ते पुण्डरीकाक्ष त्राहि मां भवसागरात् ।
सर्वपापप्रणाशाय दण्डवत् प्रणमाम्यहम्

क्षमापण

आवाहनं न जानामि च जानामि विसर्जनम् । पूजां चैव न जानामि क्षमस्व परमेश्वर ॥
यस्य स्मृत्या च नामोक्त्या तपः पूजाक्रियादिषु । न्यूनं सम्पूर्णतां याति सद्यो वन्दे तमच्युतम् ॥
मन्त्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं जनार्दन । यत्पूजितं मया देव परिपूर्णं तदस्तु ते ॥
अपराधसहस्राणि क्रियन्तेऽहर्निशं मया । दासोऽयमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वर ॥
मत्समो नास्ति पापिष्ठः त्वत्समो नास्ति पापहा । इति सञ्चिन्त्य देवेश यथेच्छसि तथा कुरु ॥

प्रार्थना

ॐ देव पूजां मत्कृतां सौभाग्यशुभदां सदा । गृहीत्वा गच्छ स्वस्थानमपराधं क्षमस्व मे ॥
ॐ न्यूनाधिकं च यत्किञ्चिन्नवम्यां च मया कृतम् । कृपां मयि विधायेत्थं क्षमस्व पूरुषोत्तम ॥
ॐ रामचन्द्र सुराधीष वैकुण्ठं व्रज पार्थिव । पूजां मदीयामादाय मम स्वस्तिकरो भव ॥

विनम्र आग्रह : त्रुटियों को कदापि नहीं नकारा जा सकता है अतः किसी भी प्रकार की त्रुटि यदि दृष्टिगत हो तो कृपया सूचित करने की कृपा करें : info@karmkandvidhi.in

मंत्र प्रयोग (कर्मकांड कैसे सीखें) में शास्त्रोक्त प्रमाणों के साथ प्रामाणिक चर्चा की जाती है एवं कई महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा पूर्व भी की जा चुकी है। तथापि सनातनद्रोही उचित तथ्य को जनसामान्य तक पहुंचने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। एक बड़ा वैश्विक समूह है जो सनातन विरोध की बातों को प्रचारित करता है। गूगल भी उसी समूह का सहयोग करते पाया जा रहा है अतः जनसामान्य तक उचित बातों को जनसामान्य ही पहुंचा सकता है इसके लिये आपको भी अधिकतम लोगों से साझा करने की आवश्यकता है।

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