माघ मास अत्यंत ही पुण्यप्रद मास कहा गया है और अन्य व्रत-पर्वों की चर्चा तो अलग है माघ मास भी स्वयं में ही व्रत होता है। आस्थावान जन माघ मास में कल्पवास करते हैं, संपूर्ण माघ मास ही धर्म-कृत्यों में व्यतीत करते हैं जिसके लिये ग्रामीणों के पास ही समय हो सकता है, नगरवासियों के पास इतना समय कहां से आ सकता है की वो पूरे माह धर्म-कृत्यों में ही लीन रहें।
इसके साथ ही और भी अनेकों विशेष व्रत-पर्व होते हैं यथा : मकर संक्रांति, गुप्त नवरात्रि, सरस्वती पूजा, अचला सप्तमी, मौनी अमावस्या आदि। इस आलेख में सम्पूर्ण माघ मास के व्रत-पर्वों की जानकारी दी गयी है।
मासिक व्रत : माघ माह 2025 के सभी व्रत-पर्व ~ मकर संक्रांति, गुप्त नवरात्रि, सरस्वती पूजा, अचला सप्तमी, मौनी अमावस्या
यद्यपि अदृश्य पंचांग कर्ताओं द्वारा यह बताया जा रहा है कि व्रत-पर्व-मुहूर्तादि में अदृश्य पंचांग ही ग्राह्य होता है किन्तु यह व्यापारिक वक्तव्य होता है, वास्तविकता यही है कि व्रत-पर्व हो अथवा मुहूर्त शोधन सर्वत्र दृक पंचांग ही ग्राह्य है, और अदृश्य पंचांग के पोषक जो तथ्य (प्रमाण) देकर अदृश्य पंचांग का समर्थन करते हैं वो भी अदृश्य पंचांग का खंडन करते हुये दृश्य पंचांग की ही सिद्धि करते हैं। इस प्रकार व्रत-पर्व हो अथवा शुभ मुहूर्त सर्वत्र दृश्य पंचांग से ही निर्णय करना चाहिये, जातक तो निर्विवाद दृक पंचांग से करे।
माघ मास की चर्चा में आपको माघ मास के पंचांग की भी आवश्यकता हो सकती है, यदि आप माघ 2025 का दृक पंचांग देखना चाहें अथवा pdf डाउनलोड करना चाहें तो यहां क्लिक करके का सकते हैं।
माघ मास 2025
यहां हम माघ मास 2025 के व्रत-पर्वों की चर्चा करने जा रहे हैं जिनमें प्रमुख हैं : महाकुंभ 2025, मकर संक्रांति 2025, संकष्टी गणेश चतुर्थी 2025, नरक निवारण चतुर्दशी 2025, मौनी अमावास्या 2025, माघी गुप्त नवरात्रि 2025, सरस्वती पूजा 2025, अचला सप्तमी 2025, माघी पूर्णिमा आदि। आईये माघ मास 2025 के व्रत-पर्वों को जानते हैं :
पद्मपुराण – स्वर्गलोके चिरं वासो येषां मनसि वर्तते । यत्र कापि जले तैस्तु स्नातव्यं मृगभास्करे ॥
कार्तिक मास की भांति ही माघ मास का भी विशेष महत्व होता है और जिस प्रकार कल्पवास पूर्वक (अथवा घर में रहते हुये भी) श्रद्धालु कार्तिक मास करते हैं उसी प्रकार से माघ मास भी किया जाता है। माघ मास का माहात्म्य कार्तिक मास माहात्म्य में भी देखने को मिलता है। माघ मास की विधि और नियमों की जानकारी इस आलेख में बताई गयी है।
2025 में माघ मास दिनांक 14/01/2025 से 12/02/2025 तक है। माघ मास हेतु सौर मास की व्यवस्था तो मुख्य है ही किन्तु चान्द्र व सावन मास का भी विधान है। चान्द्र मास में भी तीन प्रकार बताया गया है। माघ मास में क्या करें
महाकुंभ 2025
वर्ष 2025 में गुरु वृष राशि में स्थित हैं एवं गुरु यदि वृष राशि में स्थित हो तो “मकरे च दिवानाथे वृष राशि स्थिते गुरौ। प्रयागे कुंभयोगो वै माघ मासे विधुक्षयै॥” से यदि सूर्य एवं चंद्र मकर राशि में एकत्र हों माघ की अमावास्या को सूर्य और चंद्र यदि मकर राशि में हों तो तीर्थराज प्रयाग में कुम्भ योग होता है।
मेषराशिं गते जीवे मकरे चन्द्रभास्करौ । अमावास्या तदा योगः कुम्भाख्यस्तीर्थनायके ॥ – स्कन्दपुराण
जब सूर्य एवं चंद्र मकर राशि में होते हैं और अमावस्या होती है तथा मेष अथवा वृषभ के बृहस्पति होते हैं तो प्रयाग में कुम्भ महापर्व का योग होता है। प्रयागराज में अत्यंत दुर्लभ कुंभ योग होता है। इस प्रकार गुरु मेष अथवा वृषभ दोनों में से किसी राशि में स्थित हों और माघ की अमावास्या को सूर्य और चंद्र दोनों मकर राशि में स्थित हों तो प्रयाग में दुर्लभ कुम्भ योग होता है। इस अवसर पर त्रिवेणी में स्नान करना सहस्रों अश्वमेध यज्ञों, सैकड़ों वाजपेय यज्ञों तथा एक लाख बार पृथ्वी की प्रदक्षिणा करने से भी अधिक पुण्य प्रदान करता है।
इस वर्ष 2025 में प्रयागराज में महाकुम्भ भी लगा है।
इस प्रकार का योग 2025 में बन रहा है 29 जनवरी, बुधवार को माघ मास की अमावास्या है और इस दिन सूर्य व चंद्र दोनों ही मकर राशि में स्थित हैं। गुरु तो पूर्व से वृष में स्थित है ही।
मकर संक्रांति 2025
2025 न ही लीप वर्ष है न ही लीप वर्ष का पूर्व वर्ष अपितु लीप वर्ष का आगामी वर्ष है अतः सामान्य विचार से भी वर्ष 2025 में 15 जनवरी को मकर संक्रांति होने की कोई संभावना ही नहीं होती। 2025 में मकर संक्रांति 14 जनवरी को ही सिद्ध होता है।
- सूर्य का मकर राशि में प्रवेश – 14 जनवरी मंगलवार प्रातः 8:54 (am) बजे।
- निकटतम उदित सूर्य – 14 जनवरी मंगलवार।
- चूंकि सूर्य मकर राशि में 14 जनवरी को प्रातः काल ही प्रविष्ट होंगे अतः नियमानुसार पुण्यकाल 14 जनवरी मंगलवार को सम्पूर्ण दिन होगा।
- अतः 2025 में मकर संक्रांति 14 जनवरी मंगलवार को होगा।
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संकष्टी गणेश चतुर्थी 2025
कथा के अनुसार माघ कृष्ण चतुर्थी को अवतरित हुये थे। माघ कृष्ण चतुर्थी के दिन भी गणेश जन्मोत्सव होता है :
सर्वदेवमयः साक्षात् सर्वमङ्गलकारकः । माघकृष्णचतुर्थ्यां तु प्रादुर्भूतो गणाधिपः ॥ – शिवधर्म
इस चतुर्थी को संकष्टहरण चतुर्थी कहा जाता है, जो मौखिक रूप से संकटहरण के रूप में या संकष्टी चतुर्थी के रूप में सुना जाता है। माघ कृष्ण चतुर्थी को व्रतपूर्वक भगवान गणपति की पूजा-कथा से संकटों का निवारण होता है, इसी कारण इसे संकष्टहरण चतुर्थी कहा जाता है।
- माघ कृष्ण चतुर्थी इस वर्ष 2025 में 17 जनवरी शुक्रवार को औदयिक है अर्थात उदयकाल से है और रात्र्यंत 5:30 तक है।
- अतः 2025 में संकष्टी गणेश चतुर्थी 17 जनवरी शुक्रवार को है।
नरक निवारण चतुर्दशी 2025
अश्वमेधसहस्राणि वाजपेयशतानि च। प्राप्नोति तत्फलं सर्वं नात्र कार्या विचारणा॥ एक हजार अश्वमेध यज्ञ और एक सौ वाजपेय यज्ञ करने से जो फल प्राप्त होता है वो फल नरक निवारण चतुर्दशी व्रत करने से प्राप्त होता है, इसमें विचार नहीं करना चाहिये अर्थात शंका नहीं करनी चाहिये।
- नरक निवारण चतुर्दशी 2025 में 28 जनवरी मंगलवार को है।
- 27/01/2025 – सोमवार को रात्रि 8:34 बजे (8:34 pm)चतुर्दशी तिथि का आरंभ होता है।
- 28/01/2025 मंगलवार को रात्रि 7:35 बजे चतुर्दशी तिथि समाप्त।
- प्रदोषव्यापिनी चतुर्दशी को ग्राह्य माना गया है और नरक निवारण चतुर्दशी के लिये भी यही नियम है।
मौनी अमावास्या 2025
माघ कृष्ण अमावास्या को मौनी अमावास्या के नाम से भी जाना जाता है। मौनी अमावास्या को स्नान पूर्व तक मौन रहने का विशेष महत्व होता है।
- दिन : बुधवार
- दिनांक : 29/01/2025
- अमावास्या : संध्या 6:05 तक
उपरोक्त विवरण के आधार पर वर्ष 2025 में मौनी अमावास्या दिनांक : 29/01/2025, बुधवार को है।
गुप्त नवरात्रि 2025
माघ मास के शुक्ल पक्ष की नवरात्रा को शिशिर नवरात्र और गुप्त नवरात्र भी कहा जाता है। वर्ष 2025 में शिशिर नवरात्र अर्थात गुप्त नवरात्रा 30 जनवरी गुरुवार से 7 फरवरी शुक्रवार तक है।
सरस्वती पूजा 2025
2025 में सरस्वती पूजा 3 फरवरी सोमवार को है :
- माघ शुक्ल पंचमी तिथि का आरंभ : 2 फरवरी रविवार को 9:14 am (प्रातः काल)
- सूर्योदय काल से परविद्धा पंचमी : 3 फरवरी सोमवार – 6:52 am (प्रातः काल)
- 2025 में सरस्वती पूजा : 3 फरवरी सोमवार को
घर पर सरस्वती पूजा करने की विधि इस प्रकार है :
- स्नानादि करके शुद्ध वस्त्र धारण करें।
- सूर्य भगवान को गायत्री मन्त्र से अर्घ्य प्रदान करें।
- पूजा स्थान को पवित्र करके धूप, दीप जला लें।
- प्रसाद हेतु नैवेद्य और पूजा की सामग्री जल, फूल, माला, चंदन, सिंदूर, अक्षत आदि व्यवस्थित कर लें।
- फिर क्रमशः सभी वस्तुयें इस प्रकार समर्पित करें – जल, चंदन, सिंदूर, फूल, माला, अक्षत, धूप, दीप, नैवेद्य।
- पुनः जल से मंडल करके आरती करें। पुष्पांजलि देकर प्रसाद आदि ग्रहण करें।
अचला सप्तमी 2025
अचला सप्तमी भगवान सूर्य की उपासना करने का महत्वपूर्ण व्रत है। यदि इस दिन रविवार हो तो इसे भानु सप्तमी भी कहा जाता है।
- अचला सप्तमी भगवान सूर्य का व्रत है इसलिए इस दिन पूर्ण निराहार रहकर व्रत नहीं किया जाता है।
- अचला सप्तमी भगवान सूर्य की उपासना का व्रत है इसलिए इस दिन नमक का निषेध होता है।
अचला सप्तमी कब है 2025
- वर्ष 2025 में अचला सप्तमी 4 फरवरी मंगलवार को है ।
- पंचांगों में अरुणोदयकालीन सप्तमी इसी दिन है।
- रात्रि 2 बजकर 30 मिनट तक सप्तमी तिथि है।
- सूर्योदय से पूर्व ही स्नान करना चाहिये।
माघी पूर्णिमा
12 फरवरी 2025, बुधवार को औदयिक पूर्णिमा रात्रि 7:22 तक है अतः 2025 की माघी पूर्णिमा 12 फरवरी, बुधवार को है।
कर्मकांड सीखें में शास्त्रोक्त प्रमाणों के साथ प्रामाणिक चर्चा की जाती है एवं कई महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा पूर्व भी की जा चुकी है। तथापि सनातनद्रोही उचित तथ्य को जनसामान्य तक पहुंचने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। एक बड़ा वैश्विक समूह है जो सनातन विरोध की बातों को प्रचारित करता है। गूगल भी उसी समूह का सहयोग करते पाया जा रहा है अतः जनसामान्य तक उचित बातों को जनसामान्य ही पहुंचा सकता है इसके लिये आपको भी अधिकतम लोगों से साझा करने की आवश्यकता है।