आज का संकल्प मंत्र – aaj ka sankalp mantra

आज का संकल्प मंत्र - aaj ka sankalp mantra

नित्यकर्म में प्रतिदिन संकल्प करना होता है और नित्यकर्म स्वयं ही करना होता है। इसलिये नित्यकर्म में संकल्प के लिये प्रतिदिन तिथ्यादि का उल्लेख करने में सावधानी की आवश्यकता होती है। साथ ही कई बार ऐसा भी होता है कि न तो पंचांग ही उपलब्ध है और न ही स्मरण है, इसके साथ ही स्थितियों में और अन्य लोगों को भी प्रतिदिन के संकल्प की आवश्यकता होती है। इस आलेख में प्रतिदिन का संकल्प दिया जा रहा है जो नित्य परिवर्तित भी होता रहेगा।

यहां नित्य संकल्प अर्थात प्रतिदिन के अनुसार जिसे आज का संकल्प कहकर ढूंढा जाता है दिया जा रहा है किन्तु इसके साथ कुछ स्पष्टीकरण की भी आवश्यकता है।

वर्त्तमान युग में सनातनद्रोहियों का एक समूह जो कि सनातन के ह्रास हेतु सर्वप्रकारेण प्रयास कर रहा है उसमें से ही एक प्रकार है “बिना पंडित के कैसे करे”, जो कोई भी किसी पूजा-पाठ आदि में ऐसा आलेख-विडियो प्रस्तुत कर रहा है वह वास्तव में सनातन द्रोही ही है। उस समूह को उसी गैंग के तरह समझना चाहिये जो भारत के विरुद्ध है, सनातन के विरुद्ध है। भारत और सनातन धर्म एक दूसरे से इस प्रकार संबद्ध हैं कि भले ही एक-दूसरे का पर्याय न हों किन्तु भाव प्रदान करते हैं।

सनातन में आत्मकल्याण प्रधान है और आत्मकल्याण हेतु व्रत-पूजा-पाठ-हवन-संस्कार आदि निरंतर करने का विधान है। किन्तु कर्मकांड में नित्यकर्मों को छोड़कर कोई भी ऐसा पूजा-पाठादि नहीं है जो ब्राह्मण के बिना किया जा सकता है। ये शास्त्र का ही विधान है कि प्रत्येक कर्म में ब्राह्मण (आचार्य) का वरण करे, ब्राह्मण को दान दे, ब्राह्मण को दक्षिणा दे, ब्राह्मण भोजन कराये। कोई भी कर्म ऐसा नहीं है जो ब्राह्मण को दान-दक्षिणा दिये बिना, ब्राह्मण भोजन कराये बिना पूर्ण हो सके।

अपितु शास्त्रों में तो किसी भी कर्म का अधिकार प्राप्त करने के लिये भी ब्राह्मण के आज्ञा की आवश्यकता कही गयी है। फिर बिना पंडित (ब्राह्मण) के कोई कर्म कैसे संपन्न हो सकता है अर्थात बिना पंडित (ब्राह्मण) के कोई भी कर्मकांड नहीं सिद्ध होता है। और जो ऐसा करते हैं वो शास्त्रसम्मत नहीं है।

पुनः कर्मकांड में देवता, अग्नि और ब्राह्मण तीनों कर्म के साक्षी होते हैं और सक्षीरहित कर्म नहीं करना चाहिये इस कारण भी प्रत्येक कर्म में ब्राह्मण की आवश्यकता होती ही है।

आप देखते होंगे “बिना पंडित के हवन कैसे करें”, “बिना पंडित के गृहप्रवेश कैसे करें”, “तुलसी विवाह स्वयं कैसे करें” आदि प्रकार से अनेकानेक आलेख और विडियो उपलब्ध हैं। किन्तु जो भी ऐसी सामग्री प्रस्तुत कर रहे हैं उसे शास्त्र का ज्ञान नहीं है और वह मूर्ख उसी गैंग का मेम्बर है जो भारत और सनातन से द्वेष रखता है, आघात करता है। अतः ऐसे किसी भी व्यक्ति को कर्मकांडी, विद्वान नहीं समझा जाना चाहिये और तिरष्कार करना चाहिये।

स्पष्टीकरण : यहां आज का संकल्प तो दिया जा रहा है जो प्रतिदिन मध्यरात्रि को परिवर्तित भी होता है किन्तु इसका उद्देश्य यह नहीं है कि बिना पंडित के किया जाये। ब्राह्मण की आज्ञा/अनुमति के बिना किसी भी कर्म का अधिकार ही प्राप्त नहीं होता है एवं दान-दक्षिणा-ब्राह्मण भोजन के बिना कोई कर्म पूर्ण भी नहीं होता भले ही वह कोई व्रत ही क्यों न हो। इसी कारण जब ब्राह्मण स्वयं भी कोई कर्म करते हैं तो अन्य ब्राह्मण को अनिवार्य रूप से रखते हैं, योग्य विद्वान के अनुपलब्ध होने पर गुरु अपने शिष्य को भी अवश्य ही ब्राह्मण रूप में रखते हैं और ऐसा व्यवहार में भी देखा जाता है।

आज का संकल्प कैसे करें

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कल का संकल्प मंत्र

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विनम्र आग्रह : त्रुटियों को कदापि नहीं नकारा जा सकता है अतः किसी भी प्रकार की त्रुटि यदि दृष्टिगत हो तो कृपया सूचित करने की कृपा करें : info@karmkandvidhi.in

मंत्र प्रयोग (कर्मकांड कैसे सीखें) में शास्त्रोक्त प्रमाणों के साथ प्रामाणिक चर्चा की जाती है एवं कई महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा पूर्व भी की जा चुकी है। तथापि सनातनद्रोही उचित तथ्य को जनसामान्य तक पहुंचने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। एक बड़ा वैश्विक समूह है जो सनातन विरोध की बातों को प्रचारित करता है। गूगल भी उसी समूह का सहयोग करते पाया जा रहा है अतः जनसामान्य तक उचित बातों को जनसामान्य ही पहुंचा सकता है इसके लिये आपको भी अधिकतम लोगों से साझा करने की आवश्यकता है।

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