They need to recite the mantra continually morning. But Recitation (voice) simply can not read, if possible Smrn. If Smrn (remember) when not only can hear the full plant. Its biggest advantage is that the nightmare would destroy impurities and the grace of God continues throughout the day.
Therefore, even if the text is hard to rough these mantras must at least try to listen. Because to see and enough is available in the digital age. I also soon publish videos on its YouTube channel will, you’ll see there.
नित्य प्रातःकाल पढे जाने वाले महत्वपूर्ण माङ्गलिक मंत्र :
प्रातः स्मरामि गणनाथमनाथबन्धुं
सिन्दूरपूर परिशोभित गण्डयुग्मं ।
उद्दण्डविघ्न परिखण्डन चण्ड दण्ड
माखण्डलादिसुरनायक वृन्दवन्द्यं ॥
प्रातः स्मरामि भवभीति महार्तिनाशं
नारायणं गरुडवाहनमब्जनाभं ।
ग्राहाभिभूत वरवारण मुक्तिहेतुं
चक्रायुधं तरुणवारिज पत्रनेत्रम ॥
प्रातः स्मरामि भवभीतिहरं सुरेशं
गङ्गाधरं वृषभवाहनमम्बिकेशम् ।
खट्वाङ्ग शूलवरदाभयहस्तमीशं
संसार रोगहरमौषधमद्वीतियं ॥
प्रातः स्मरामि शरदिंदु करोज्ज्वलाभां
सद्रत्न्वन्मकर कुंडल हारभूषाम् ।
दिव्यायुधोर्जित सुनील सहस्रहस्ताम्
रक्तोत्पलाभचरणां भवतीं परेशां ॥
प्रातः स्मरामि खलु तत्सवितुर्वरेण्यं
रूपं हि मंडलमृचोऽथतनुर्यजून्षि ।
सामानि यस्य किरणाः प्रभवादिहेतुं
ब्रह्माहरात्मकमलक्ष्यमचिंत्यरूपं ॥
ब्रह्मा मुरारीस्त्रिपुरांतकारी, भानुः शशि भूमिसुतो बुधश्च।
गुरुश्च शुक्रः शनिराहुकेतवः, कुर्वन्तु सर्वे मम सुप्रभातम् ॥
भृगुर्वसिष्ठः क्रतुरङ्गिराश्च मनुः पुलस्त्यः पुलहश्च गौतमः।
रैभ्यो मरीचिश्च्यवनश्च दक्षः कुर्वन्तु सर्वे मम सुप्रभातम् ॥
सनत्कुमारः सनकः सनन्दनः सनातनोऽप्यासुरिपिङगलौ च।
सप्त स्वराः सप्त रसातलानि कुर्वन्तु सर्वे मम सुप्रभातम् ॥
सप्तार्णवा सप्त कुलाचलाश्च सप्तर्षयो द्वीप वनानि सप्त।
भूरादिकृत्वा भुवनानि सप्त कुर्वन्तु सर्वे मम सुप्रभातम् ॥
पृथ्वी सगन्धा सरसास्तथापः स्पर्शी च वायुर्ज्वलितं च तेजः।
नभः सशब्दं महता सहैव कुर्वन्तु सर्वे मम सुप्रभातम् ॥
इत्थं प्रभाते परमं पवित्रं पठेत् स्मरेद्वा शृनुयाच्च भक्त्या ।
दुःस्वप्ननाशस्त्विह सुप्रभातं भवेच्च नित्यं भगवत्प्रसादात् ॥
इस प्रकार ये सभी मन्त्र नित्य प्रातः काल पाठ करने चहिये । किन्तु यदि सस्वर ( बोलकर ) न पढ सके तो स्मरन मात्र भी कर सकते हैं । यदि स्मरन् में (याद) भी न हो तो मात्र सुनकर भी पूरा लाभ प् सकते हैं । इसका सबसे बड़ा लाभ यह है कि दुःस्वप्न का दोष नष्ट होता है और पूरे दिन भगवान की कृपा बनी रहती है ।
अतः यदि पाठ करना मुश्किल हो तो भी किसी न किसी प्रकार इन मन्त्रों को कम से कम सुनने का प्रयास अवश्य करें।
- भाग १ – भगवद्स्मरण : इसमें प्रातः काल उठने के बाद के नियम और भगवद्स्मरण के मंत्रों का अवलोकन करेंगे।
- भाग २ – शुद्धिकरण : इसमें शारीरिक शुद्धि को वर्तमान युग के तारतम्यानुसार समझेंगे।
- भाग ३ – पूजन : इसमें संध्या, तर्पण और पंचदेवता पूजा एवं विष्णु पूजन विधि का अवलोकन करेंगे।
- भाग ४ – पञ्चयज्ञ : इसमें पञ्च महायज्ञों या बलिवैश्वदेव कर्म का अवलोकन करेंगे।
- भाग ५ – इस भाग में भोजन, सायं कृत्य, शयन इत्यादि तथ्यों या विधियों को समझेंगे।