जानिये भगवान श्री हनुमान पूजा विधि मंत्र सहित pdf download ~ Hhanuman puja mantra

जानिये भगवान श्री हनुमान पूजा विधि मंत्र सहित pdf download ~ Hhanuman puja mantra

हनुमान जी को को कलयुग में विशेष पूज्य और कल्याणकारक कहा गया है। सभी अवतारों की लीला के उपरांत भगवान स्वधामगमन कर जाते हैं किन्तु हनुमान जी भूलोक पर ही विराजमान हैं। इन्हें चिरजीवी भी कहा गया है, आठों सिद्धियां और नौ निधियों का दाता कहा गया है। हनुमान जी सर्वाधिक प्रिय भगवान श्रीराम का नाम है अतः हनुमान जी की पूजा में भगवान श्रीराम का भी नाम कीर्तन करते रहना चाहिये। यहां पौराणिक मंत्रों से भगवान श्री हनुमान की पूजा विधि दी गई है।

सर्वप्रथम नित्यकर्म जो होते हैं वो संपन्न कर लें तत्पश्चात पूजा की तैयारी कर लें। सभी सामग्रियां व्यवस्थित कर लें। आसन हेतु अष्टदल निर्माण कर लें, धूप-दीप जला लें, नाना प्रकार के नैवेद्य की भी व्यवस्था कर लें। तत्पश्चात आगे दिये गये मंत्र और विधि के अनुसार संकल्प करके पूजा करें।

हनुमान पूजा (Hanuman Puja) में विशेष महत्वपूर्ण

हनुमान पूजा का विशेष प्रयोग पृथक होता है एवं वश्यादि षट्कर्म प्रयोग की विधि तो पूर्णतः भिन्न होती है। यहां सामान्य पूजा प्रयोग दिया गया है। विशेष पूजा में 22 ब्रह्मचारी को भोजन कराने के लिये कहा गया है “द्वाविंशतिब्रह्मचारिविप्रान्सम्भोजयेदथ” अथवा ऐसा भी कह सकते हैं कि हनुमान जी की पूजा में ब्रह्मचारी को भोजन कराना भी विशेष महत्वपूर्ण होता है।

हनुमान जी की पूजा में ये तीन विशेष महत्वपूर्ण कहे गए हैं :

  1. भगवान श्रीराम के नाम का उच्चारण करना।
  2. चमेली का तेल अर्पित करना।
  3. सिंदूर अर्पित करना।

पवित्रीकरणादि करने के पश्चात् संकल्प की आवश्यकता होती है। संकल्प हेतु प्रतिदिन के पञ्चाङ्गानुसार तिथि को जानना आवश्यक होता है यदि आप प्रतिदिन का पंचांग देखना चाहें तो यहां क्लिक करके देख सकते हैं : आज का पंचांग और शुभ मुहूर्त

यहां सरल संकल्प मंत्र दिया जा रहा विशेष संकल्प मंत्र हेतु अन्य आलेखों का अवलोकन कर सकते हैं। प्रतिदिन का संकल्प भी यहां क्लिक करके जान सकते हैं ~ आज का संकल्प मंत्र

हनुमान पूजा मंत्र ~ Hhanuman puja mantra

  • अष्टाक्षर मंत्र : “ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं ह्रीं ह्रीं ह्रीं ॐ”
  • द्वादशाक्षर मंत्र : “हौं ह्फ्रें ख्फ्रें ह्स्रों ह्स्ख्फ्रें सः ह्सौं हनुमते नमः”
  • अष्टादशाक्षर मंत्र : “नमो भगवते आञ्जनेयाय महाबलाय स्वाहा”
  • अन्य मंत्र : “ॐ हं पवननन्दनाय स्वाहा”

इस प्रकार उपरोक्त मंत्रों में से हनुमान पूजा करने के लिये मंत्र अष्टादशाक्षर मंत्र : “नमो भगवते आञ्जनेयाय महाबलाय स्वाहा” के साथ ही “ॐ हं पवननन्दनाय स्वाहा” का भी प्रयोग किया जा सकता है। तथापि यहां दी गई विधि में “ॐ हं हनुमते नमः” प्रयोग किया गया है।

हनुमान पूजा विधि ~ Hhanuman puja vidhi

सरल संकल्प मंत्र : ओं अद्यैतस्य ब्रह्मणोऽह्नि द्वितीयेपरार्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे वैवस्वत मन्वन्तरे अष्टाविंशति तमे कलियुगे कलिप्रथमचरणे महांमागल्यप्रद मासोतमे मासे ………. मासे ……… पक्षे ……… तिथौ ……… वासरे ………  गोत्रोत्पन्नः ……… मम आत्मन श्रुतिस्मृतिपुराणोक्त फलप्राप्यर्थं मम सकुटुम्बस्य दीर्घायु शरीरारोग्य कामनया धन-धान्य-बल-पुष्टि-कीर्ति-यश लाभार्थं, सकल मनोरथ सिद्ध्यर्थं, श्री हनुमत्प्रीत्यर्थं यथा शक्त्या यथा मिलितोपचार द्रव्यैः श्रीहनुमत्पूजनमहं करिष्ये ॥

आज का संकल्प मंत्र - aaj ka sankalp mantra
आज का संकल्प मंत्र

ध्यान

ॐ बालार्कायुततेजसं त्रिभुवनप्रक्षोभकं सुन्दरं
सुग्रीवादिसमस्तवानरगणैराराधितं साञ्जलिम् ।
नादेनैव समस्तराक्षसगणान् सन्त्रासयन्तं प्रभुं
श्रीमद्रामपदाम्बुजस्मृतिरतं ध्यायामि वातात्मजम्॥

आवाहन

ॐ देवेश भक्तिसुलभ परिवारसमन्वित ।
यावत्त्वां पूजयिष्यामि तावद्देव इहावह ।
आगच्छ भगवन्देव स्थाने चात्र स्थितो भव ।
यावत्पूजां करिष्यामि तावत्त्वं सन्निधौ भव ॥
॥ ॐ भूर्भुवःस्वः भगवन् हं हनुमन् इहागच्छ इहतिष्ठ ॥

आसन

ॐ देव देव जगन्नाथ केसरीप्रियनन्दन ।
रत्नसिंहासनं तुभ्यं ददामि हनुमत्प्रभो ॥
॥ इदमासनं ॐ हं हनुमते नमः ॥

पाद्य

ॐ योगिध्येयाङ्घ्रिपद्माय जगतां पतये नमः ।
पाद्यं मयार्पितं देव गृहाण पुरुषोत्तम ॥
॥ पादयोः पाद्यं ॐ हं हनुमते नमः ॥

अर्घ्य

ॐ लक्ष्मणप्राणसंरक्ष सीताशोकविनाशन ।
गृहाणार्घ्यं मया दत्तं अञ्जनाप्रियनन्दन ॥
॥ हस्तयोः अर्घ्यं ॐ हं हनुमते नमः ॥

मधुपर्क

ॐ अर्जुनध्वजसंवास दशाननमदापह ।
मधुपर्कं प्रदास्यामि हनुमन् प्रतिगृह्यताम् ॥
॥ इदं मधुपर्कं ॐ हं हनुमते नमः ॥

आचमन

ॐ वालाग्रसेतुबन्धाय शताननवधाय च ।
तुभ्यमाचमनं दत्तं प्रतिगृह्णीष्व मारुते ॥
॥ मुखे आचमनीयं ॐ हं हनुमते नमः ॥

स्नान

ॐ गङ्गादिसर्वतीर्थेभ्यः समानीतैर्नवोदकैः ।
भवन्तं स्नपयिष्यामि कपिनायक गृह्यताम् ॥
॥ इदं स्नानीयं जलं ॐ हं हनुमते नमः ॥

पञ्चामृत स्नान

ॐ पयो दधि घृतं चैव मधुं च शर्करायुतम् ।
पञ्चामृतं मयानीतं स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम् ॥
॥ इदं पञ्चामृतस्नानीयं ॐ हं हनुमते नमः ॥

शुद्धोदक – पंचामृत स्नानानंतर शुद्धोदक स्नानं ॐ हं हनुमते नमः॥

गंधोदक स्नान

ॐ मलयाचल सम्भूतं चन्दनागरु सम्भवम् ।
चन्दनं देव देवेश स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम् ॥
॥ इदं गंधोदकस्नानं हं हनुमते नमः ॥

शुद्धोदक स्नान

ॐ गङ्गा-सरस्वती-रेवा-पयोष्णी-नर्मदाजलैः ।
स्नापितोऽसि मया देव तथा शान्तिं कुरुष्व मे ॥
॥ इदं शुद्धोदक स्नानं ॐ हं हनुमते नमः ॥

वस्त्र

ॐ पीताम्बरमिदं तुभ्यं तप्तहाटकसन्निभम् ।
दास्यामि वानरश्रेष्ठ सङ्गृहाण नमोऽस्तु ते ॥
उत्तरीयं तु दास्यमि संसारोत्तारकारण ।
गृहाण च मया प्रीत्या दत्तं धत्स्व यथाविधि॥
॥ इमे वस्त्रोपवस्त्रे ॐ हं हनुमते नमः ॥ आचमनीयं ………

यज्ञोपवीत

ॐ नवभिस्तन्तुभिर्युक्तं त्रिगुणं देवतामयम् ।
उपवीतं चोत्तरीयं गृहाण परमेश्वर ॥
॥ इमे यज्ञोपवीते ॐ हं हनुमते नमः ॥ आचमनीयं ………

गन्ध

ॐ कस्तूरीकुङ्कुमामिश्रं कर्पूरागरुवासितम् ।
श्रीचन्दनं तु दास्यामि गृह्यतां हनुमत्प्रभो ॥
॥ इदं गन्धं ॐ हं हनुमते नमः ॥

अक्षत

ॐ शालीयानक्षतान् रम्यान् पद्मरागसमप्रभान् ।
अखण्डान् खण्डितध्वान्त स्वीकुरुष्व दयानिधे ॥
॥एते यव तिलाः ॐ हं हनुमते नमः ॥

पुष्प

ॐ सुगन्धीनि सुरूपाणि वन्यानि विविधानि च ।
चम्पकादीनि पुष्पाणि कमलान्युत्पलानि च ॥
॥ इदं पुष्पं ॐ हं हनुमते नमः ॥

तुलसी

तुलसीदलबिल्वानि मनसा कल्पितानि च ।
गृहाण हनुमद्देव प्रणतोऽस्मि पदाम्बुजे ॥
॥ एतानि तुलसीदलानि ॐ हं हनुमते नमः ॥

माला

ॐ माल्यादीनि सुगन्धीनि मालत्यादीनि वै प्रभो ।
मयानीतानि पुष्पाणि गृहाण परमेश्वर ॥
॥ इदं पुष्पमाल्यं ॐ हं हनुमते नमः ॥

दूर्वा

ॐ विष्ण्वादि सर्व देवानां दूर्वे त्वं प्रीतिदा सदा ।
क्षीर सागर सम्भूते वंश वृद्धिकरी भव ॥
॥ इदं दूर्वां ॐ हं हनुमते नमः ॥

अङ्ग पूजा

  • ॐ मारुतये नमः । पादौ पूजयामि ॥
  • ॐ सुग्रीवसखाय नमः । गुल्फौ पूजयामि ॥
  • ॐ अङ्गदमित्राय नमः । जङ्घे पूजयामि ॥
  • ॐ रामदासाय नमः । ऊरू पूजयामि ॥
  • ॐ अक्षघ्नाय नमः । कटिं पूजयामि ॥
  • ॐ लङ्कादहनाय नमः । वालं पूजयामि ॥
  • ॐ सञ्जीवननगाहर्त्रे नमः । स्कन्धौ पूजयामि ॥
  • ॐ सौमित्रिप्राणदात्रे नमः । वक्षःस्थलं पूजयामि ॥
  • ॐ कुण्ठितदशकण्ठाय नमः । कण्ठं पूजयामि ॥
  • ॐ रामाभिषेककारिणे नमः । हस्तौ पूजयामि ॥
  • ॐ मन्त्ररचितरामायणाय नमः । वक्त्रं पूजयामि ॥
  • ॐ प्रसन्नवदनाय नमः । वदनं पूजयामि ॥
  • ॐ पिङ्गलनेत्राय नमः । नेत्रे पूजयामि ॥
  • ॐ श्रुतिपरायणाय नमः । श्रोत्रे पूजयामि ॥
  • ॐ ऊर्ध्वपुण्ड्रधारिणे नमः । ललाटं पूजयामि ॥
  • ॐ मणिकण्ठमालिकाय नमः । शिरः पूजयामि ॥
  • ॐ सर्वाभीष्टप्रदाय नमः । सर्वाण्यङ्गनि पूजयामि ॥

धूप

ॐ वनस्पतिरसोद्भूतो गन्धाढ्यो गन्ध उत्तमः ।
रामचन्द्र महापाल धूपोऽयं प्रतिगृह्यताम्
॥ एष धूपः हं हनुमते नमः

दीप

ॐ सुप्रकाशो महादीपः सर्वतस्तिमिरापहः ।
सबाह्याभ्यन्तरं ज्योतिर्दीपोऽयं प्रतिगृह्यताम्॥
॥ एष दीपः ॐ हं हनुमते नमः ॥

नैवेद्य

ॐ सत्पात्रसिद्धं सहविर्विविधं स्वादु भक्षणम् ।
निवेदयामि देवेश सानुगाय गृहाण तत् ॥
॥ एतानि नानाविध नैवेद्यानि ॐ हं हनुमते नमः ॥

आचमन

ॐ ब्रह्मेशाद्यैः सरसमभितः सूपविष्टैः समेतं
शिञ्जद्वालव्यजननिकरैर्वीज्यमानो गणौघैः ।
नर्मक्रीडा-प्रहसनपरो हासयन् पङ्क्तिभोक्तॄन्,
भुङ्क्ते पात्रे कनकघटिते षड्रसान् वायुपुत्रः ।
नमस्ते देवदेवेश सर्वतृप्तिकरं परम् ।
अखण्डानन्दसम्पूर्णं गृहाण जलमुत्तमम् ॥
॥ मुखे आचमनीयं ॐ हं हनुमते नमः ॥

फल

ॐ बीजपूराम्र पनस खर्जूरी कदली फलम् ।
नारिकेल फलं दिव्यं गृहाण परमेश्वर ॥
॥ एतानि ऋतुफलानि ॐ हं हनुमते नमः ॥

ताम्बूलं

ॐ नागवल्लीदलैर्युक्तं पूगीफलसमन्वितम् ।
ताम्बूलं गृह्यतां देव कर्पूरादिसमन्वितम्
॥ मुखवासार्थे सपूगीफल ताम्बूलं हं हनुमते नमः

दक्षिणा

ॐ हिरण्यगर्भ गर्भस्थं हेमबीजं विभावसोः ।
अनन्तपुण्य फलदमतः शान्तिं प्रयच्छ मे
पूजासाफल्यार्वथे दक्षिणाद्रव्यं हं हनुमते नमः

नीराजन

ॐ कदली गर्भ सम्भूतं कर्पूरं च प्रदीपितम् ।
आरार्तिक्यमहं कुर्वे पश्य मे वरदो भव ॥
॥ इदं नीराजनं ॐ हं हनुमते नमः ॥

पुष्पाञ्जलि

ॐ नाना सुगन्धि पुष्पाणि यथा कालोद्भवानि च ।
पुष्पाञ्जलिर्मया दत्तो गृहाण परमेश्वर ॥
एष पुष्पाञ्जलिः ॐ हं हनुमते नमः ॥

प्रदक्षिणा

ॐ यानि कानि च पापानि जन्मान्तरकृतानि वै ।
तानि सर्वाणि नश्यन्तु प्रदक्षिणपदे पदे ॥

साष्टांग प्रणाम

अपराधो भवत्येव सेवकस्य पदे पदे ।
कोऽपरः सहतां लोके केवलं स्वामिनं विना ॥

नमस्कार

यदुक्तं हृदि भावेन पत्रं पुष्पं फलं जलम् ।
निवेदितं च नैवेद्यं गृहाण त्वनुकम्पया॥

क्षमापण

आवाहनं न जानामि च जानामि विसर्जनम् । पूजां चैव न जानामि क्षमस्व परमेश्वर ॥
मन्त्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं कपीश्वर । यत्पूजितं मया देव परिपूर्णं तदस्तु ते ॥

प्रार्थना

ॐ अतुलितबलधाम स्वर्णशैलाभदेहं
दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम् ।
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं
रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि ॥

हनुमान जी की आरती – hanuman ji ki aarti

मंगल मूरती मारुत नंदन, सकल अमंगल मूल निकंदन ।
पवनतनय संतन हितकारी, हृदय बिराजत अवध बिहारी ।
मातु पिता गुरू गणपति सारद, शिव समेट शंभू शुक नारद ।
चरन कमल बिन्धौ सब काहु, देहु रामपद नेहु निबाहु ।
जै जै जै हनुमान गोसाईं, कृपा करहु गुरु देव की नाईं ।
बंधन राम लखन वैदेही, यह तुलसी के परम सनेही ॥

हनुमान पूजा विधि मंत्र सहित pdf download

यदि आप आप हनुमान पूजा विधि मंत्र सहित pdf download करना चाहते हैं तो नीचे PDF भी दिया गया है जिसे डाउनलोड किया जा सकता है।

Powered By EmbedPress

विनम्र आग्रह : त्रुटियों को कदापि नहीं नकारा जा सकता है अतः किसी भी प्रकार की त्रुटि यदि दृष्टिगत हो तो कृपया सूचित करने की कृपा करें : info@karmkandvidhi.in

मंत्र प्रयोग (कर्मकांड कैसे सीखें) में शास्त्रोक्त प्रमाणों के साथ प्रामाणिक चर्चा की जाती है एवं कई महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा पूर्व भी की जा चुकी है। तथापि सनातनद्रोही उचित तथ्य को जनसामान्य तक पहुंचने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। एक बड़ा वैश्विक समूह है जो सनातन विरोध की बातों को प्रचारित करता है। गूगल भी उसी समूह का सहयोग करते पाया जा रहा है अतः जनसामान्य तक उचित बातों को जनसामान्य ही पहुंचा सकता है इसके लिये आपको भी अधिकतम लोगों से साझा करने की आवश्यकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *