भगवान श्री कृष्ण की पूजा करने की अनेकानेक विधियां हैं इसके साथ ही उपचार भेद से भी अनेक प्रकार की विधियां प्राप्त होती है। कृष्णाष्टमी अथवा अन्य किसी भी विशेष अवसर पर यदि आप भगवान श्री कृष्ण की विशेष पूजा करना चाहते हैं तो ये विधि उपयोगी हो सकती है। इसके साथ ही यदि प्रतिदिन करना चाहें तो प्रतिदिन भी कर सकते हैं। यहां पौराणिक मंत्रों से भगवान श्री कृष्ण की पूजा विधि दी गई है।
जानिये भगवान श्री कृष्ण पूजा विधि और मंत्र ~ Krishna puja vidhi
सर्वप्रथम नित्यकर्म जो होते हैं वो संपन्न कर लें तत्पश्चात पूजा की तैयारी कर लें। सभी सामग्रियां व्यवस्थित कर लें। आसन हेतु अष्टदल निर्माण कर लें, धूप-दीप जला लें, नाना प्रकार के नैवेद्य की भी व्यवस्था कर लें। तत्पश्चात आगे दिये गये मंत्र और विधि के अनुसार संकल्प करके पूजा करें।
- भगवान विष्णु की पूजा में अक्षत का प्रयोग नहीं करना चाहिये। भगवान कृष्ण भी विष्णु अवतार ही हैं अतः कृष्ण जी को भी अक्षत नहीं चढ़ाया जाता है अक्षत के स्थान पर तिल-जौ अर्पित करें।
- भगवान कृष्ण करनी हो अथवा उनके अवतारों की पूजा सबमें तुलसी की विशेष महत्ता होती है।
- इसके साथ ही शमी पत्र, दूर्वा आदि भी अर्पित करना चाहिये इसका भी विशेष महत्व होता है।
भगवान विष्णु व उनके अवतारों की पूजा में तुलसी की विशेष आवश्यकता होती है और इस कारण से कई बार दुविधाजनक स्थिति भी उत्पन्न होती है, कारण यह है कि रविवार, द्वादशी आदि अनेकों अवसर पर तुलसी पत्र तोड़ना निषिद्ध भी कहा गया है। और जब निषिद्ध वार तिथि आदि में भगवान विष्णु, राम, कृष्ण, सत्यनारायण आदि की पूजा करते हैं तो तुलसी तोड़ें तो कैसे तोड़ें यह दुविधा रहती है।
इस संबंध में पद्म पुराण का एक प्रमाण है जिससे यह सिद्ध होता है कि पूजा हेतु तुलसी तोड़ने में, होमार्थ समिधा ग्रहण करने में गाय हेतु तृण ग्रहण करने में कोई दोष नहीं होता अर्थात तोड़ा जा सकता है।
देवार्थे तुलसीच्छेदो होमार्थे समिधां तथा । इन्दुक्षये न दुष्येत गवार्थे तु तृणस्य च ॥
पवित्रीकरणादि करने के पश्चात् संकल्प की आवश्यकता होती है। संकल्प हेतु प्रतिदिन के पञ्चाङ्गानुसार तिथि को जानना आवश्यक होता है यदि आप प्रतिदिन का पंचांग देखना चाहें तो यहां क्लिक करके देख सकते हैं : आज का पंचांग और शुभ मुहूर्त
यहां सरल संकल्प मंत्र दिया जा रहा विशेष संकल्प मंत्र हेतु अन्य आलेखों का अवलोकन कर सकते हैं। प्रतिदिन का संकल्प भी यहां क्लिक करके जान सकते हैं ~ आज का संकल्प मंत्र
कृष्ण पूजा मंत्र ~ Krishna puja Mantra
सरल संकल्प मंत्र : ॐ अद्यैतस्य ब्रह्मणोऽह्नि द्वितीयेपरार्धे श्रीश्वेतवाराह- कल्पे वैवस्वत मन्वन्तरे अष्टाविंशति तमे कलियुगे कलिप्रथमचरणे महांमागल्यप्रद मासोतमे मासे ………. मासे ……… पक्षे ……… तिथौ ……… वासरे ……… गोत्रोत्पन्नः ……… मम आत्मन श्रुतिस्मृतिपुराणोक्त फलप्राप्यर्थं मम सकुटुम्बस्य दीर्घायु शरीरारोग्य कामनया धन-धान्य-बल-पुष्टि-कीर्ति-यश लाभार्थं, सकल मनोरथ सिद्ध्यर्थं, श्री कृष्णप्रीत्यर्थं यथा शक्त्या यथा मिलितोपचार द्रव्यैः श्रीकृष्णपूजनमहं करिष्ये ॥
ध्यान
ॐ वसुदेव सुतं देव कंस चाणूर मर्दनम्।
देवकी परमानंदं कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम् ॥
वन्दे कृष्णं गुणातीतं परं ब्रह्माच्युतं यतः।
आविर्बभूवुः प्रकृतिब्रह्मविष्णुशिवादयः॥
आवाहन
ॐ आवाहये तं गरुडोपरि स्थितं, रमार्ध देहं सुर राज वन्दितम् ।
कंसान्तकं चक्र गदाब्ज हस्तं, भजामि देवं वसुदेव सूनुम् ॥
॥ ॐ भूर्भुवःस्वः भगवन् श्रीकृष्ण इहागच्छ इहतिष्ठ ॥
आसन
ॐ रम्यं सुशोभनं दिव्यं सर्वसौख्यकरं शुभम् ।
आसनं च मया दत्तं गृहाण परमेश्वर ॥
॥ इदमासनं ॐ भूर्भुवःस्वः भगवते श्रीकृष्णाय नमः ॥
पाद्य
ॐ यद् भक्तिलेश सम्पर्कात् परमानन्द सम्भवः ।
तस्मै ते परमेशाय पाद्यं शुद्धाय कल्पये ॥
॥ पादयोः पाद्यं ॐ भूर्भुवःस्वः भगवते श्रीकृष्णाय नमः ॥
अर्घ्य
ॐ तापत्रय हरं दिव्यं परमानन्द सम्भवम् ।
तापत्रय विमोक्षाय तवार्घ्यं कल्पयाम्यहम् ॥
॥ हस्तयोः अर्घ्यं ॐ भूर्भुवःस्वः भगवते श्रीकृष्णाय नमः ॥
मधुपर्क
ॐ सर्व कल्मष हीनाय परिपूर्ण मुखात्मने ।
मधुपर्कमिदं देवं कल्पयामि प्रसीद मे ॥
॥ इदं मधुपर्कं ॐ भूर्भुवःस्वः भगवते श्रीकृष्णाय नमः ॥
आचमन
ॐ देवानामपि देवाय देवानां देवतात्मने ।
आचामं कल्पयामीश चात्मनां शुद्धि हेतवे ॥
॥ मुखे आचमनीयं ॐ भूर्भुवःस्वः भगवते श्रीकृष्णाय नमः ॥
स्नान
ॐ परमानन्द बोधाय निमग्न निज मूर्तये ।
साङ्गोपाङ्गमिदं स्नानं कल्पयाम्यहमीश ते ॥
॥ इदं स्नानीयं जलं ॐ भूर्भुवःस्वः भगवते श्रीकृष्णाय नमः ॥
पञ्चामृत स्नान
ॐ पयो दधि घृतं चैव मधुं च शर्करायुतम् ।
पञ्चामृतं मयानीतं स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम् ॥
॥ इदं पञ्चामृतस्नानीयं ॐ भूर्भुवःस्वः भगवते श्रीकृष्णाय नमः ॥
शुद्धोदक – पंचामृत स्नानानंतर शुद्धोदक स्नानं ॐ भूर्भुवःस्वः भगवते श्रीकृष्णाय नमः॥
गंधोदक स्नान
ॐ मलयाचल सम्भूतं चन्दनागरु सम्भवम् ।
चन्दनं देव देवेश स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम् ॥
॥ इदं गंधोदकस्नानं ॐ भूर्भुवःस्वः भगवते श्रीकृष्णाय नमः ॥
शुद्धोदक स्नान
ॐ मन्दाकिन्यास्तु यद् वारि सर्वपापहरं शुभम् ।
तदिदं कल्पितं देव स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम् ॥
॥ इदं शुद्धोदक स्नानं ॐ भूर्भुवःस्वः भगवते श्रीकृष्णाय नमः ॥
वस्त्र
ॐ मायाचित्र पटाछन्न निज गुह्योरु तेजसे ।
निवारण विज्ञाय वासस्ते कल्पयाम्यहम् ॥
॥ इमे वस्त्रोपवस्त्रे ॐ भूर्भुवःस्वः भगवते श्रीकृष्णाय नमः ॥ आचमनीयं ………
यज्ञोपवीत
ॐ यस्य शक्ति त्रयेणेदं सम्प्रोतमखिलं जगत् ।
यज्ञसूत्राय तस्मै ते यज्ञसूत्रं प्रकल्पये ॥
॥ इमे यज्ञोपवीते ॐ भूर्भुवःस्वः भगवते श्रीकृष्णाय नमः ॥ आचमनीयं ………
गन्ध
ॐ परमानन्द सौभाग्य परिपूर्ण दिगन्तरम् ।
गृहाण परमं गन्धं कृपया परमेश्वर ॥
॥ इदं गन्धं ॐ भूर्भुवःस्वः भगवते श्रीकृष्णाय नमः ॥
तिल-यव
ॐ तिला यवाः सुरश्रेष्ठ कम्बूजाश्च सुशोभनाः ।
वासुदेव जगन्नाथ प्रीत्यर्थं स्वीकुरु प्रभो॥
॥एते यव तिलाः ॐ भूर्भुवःस्वः भगवते श्रीकृष्णाय नमः ॥
पुष्प
ॐ तुरीय वन सम्भूतं नाना गुण मनोहरम् ।
सुमन्द सौरभं पुष्पं गृह्यतामिदमुत्तमम् ॥
॥ इदं पुष्पं ॐ भूर्भुवःस्वः भगवते श्रीकृष्णाय नमः ॥
तुलसी
तुलसीं हेमरूपां च रत्नरूपां च मञ्जरीम् ।
भवमोक्षप्रदां तुभ्यमर्पयामि हरिप्रियाम् ॥
॥ एतानि तुलसीदलानि ॐ भूर्भुवःस्वः भगवते श्रीकृष्णाय नमः ॥
माला
ॐ माल्यादीनि सुगन्धीनि मालत्यादीनि वै प्रभो ।
मयानीतानि पुष्पाणि गृहाण परमेश्वर ॥
॥ इदं पुष्पमाल्यं ॐ भूर्भुवःस्वः भगवते श्रीकृष्णाय नमः ॥
दूर्वा
ॐ विष्ण्वादि सर्व देवानां दूर्वे त्वं प्रीतिदा सदा ।
क्षीर सागर सम्भूते वंश वृद्धिकरी भव ॥
॥ इदं दूर्वां ॐ भूर्भुवःस्वः भगवते श्रीकृष्णाय नमः ॥
अङ्ग पूजा
- ॐ गोविन्दाय नमः, पादौ पूजयामि ॥
- ॐ माधवाय नमः, जंघयोः पूजयामि ॥
- ॐ मधुसूदनाय नमः, कटिं पूजयामि ॥
- ॐ पद्मनाभाय नमः, नाभिं पूजयामि ॥
- ॐ हृषिकेशाय नमः, हृदयं पूजयामि ॥
- ॐ संकर्षणाय नमः ,स्तनं पूजयामि ॥
- ॐ वामनाय नमः, बाहुं पूजयामि ॥
- ॐ दैत्यसूदनाय नमः, हस्तौ पूजयामि ॥
- ॐ श्रीकृष्णाय नमः, कण्ठं पूजयामि ॥
- ॐ सुमुखाय नमः, मुखं पूजयामि ॥
- ॐ त्रिविक्रमाय नमः, नासिकायां पूजयामि ॥
- ॐ पुण्डरीकाक्षाय नमः, नेत्रं पूजयामि ॥
- ॐ नृसिंहाय नमः, श्रोत्रं पूजयामि ॥
- ॐ उपेन्द्राय नमः, ललाटं पूजयामि ॥
- ॐ हरये नमः, शिरः पूजयामि ॥
- ॐ श्रीकृष्णाय नमः, सर्वाङ्गं पूजयामि ॥
धूप
ॐ वनस्पतिरसोद्भूतो गन्धाढ्यो गन्ध उत्तमः ।
रामचन्द्र महापाल धूपोऽयं प्रतिगृह्यताम् ॥
॥ एष धूपः ॐ भूर्भुवःस्वः भगवते श्रीकृष्णाय नमः ॥
दीप
ॐ सुप्रकाशो महादीपः सर्वतस्तिमिरापहः ।
स बाह्याभ्यन्तरं ज्योति दीपोऽयं प्रतिगृह्यताम् ॥
॥ एष दीपः ॐ भूर्भुवःस्वः भगवते श्रीकृष्णाय नमः ॥
नैवेद्य
ॐ सत्पात्र सिद्धं सुभगं विविधानेक भक्षणम् ।
निवेदयामि देवेश सानुगाय गृहाण तत् ॥
॥ एतानि नानाविध नैवेद्यानि ॐ भूर्भुवःस्वः भगवते श्रीकृष्णाय नमः ॥
आचमन
ॐ कर्पूर वासितं तोयं मन्दाकिन्या समाहृतम् ।
आचम्यतां जगन्नाथ मया दत्तं हि भक्तितः ॥
॥ मुखे आचमनीयं ॐ भूर्भुवःस्वः भगवते श्रीकृष्णाय नमः ॥
फल
ॐ बीजपूराम्र पनस खर्जूरी कदली फलम् ।
नारिकेल फलं दिव्यं गृहाण परमेश्वर ॥
॥ एतानि ऋतुफलानि ॐ भूर्भुवःस्वः भगवते श्रीकृष्णाय नमः ॥
ताम्बूलं
ॐ नागवल्लीदलैर्युक्तं पूगीफलसमन्वितम् ।
ताम्बूलं गृह्यतां देव कर्पूरादिसमन्वितम् ॥
॥ मुखवासार्थे सपूगीफल ताम्बूलं ॐ भूर्भुवःस्वः भगवते श्रीकृष्णाय नमः ॥
दक्षिणा
ॐ हिरण्यगर्भ गर्भस्थं हेमबीजं विभावसोः ।
अनन्तपुण्य फलदमतः शान्तिं प्रयच्छ मे॥
॥ पूजासाफल्यार्वथे दक्षिणाद्रव्यं ॐ भूर्भुवःस्वः भगवते श्रीकृष्णाय नमः ॥
नीराजन
ॐ कदली गर्भ सम्भूतं कर्पूरं च प्रदीपितम् ।
आरार्तिक्यमहं कुर्वे पश्य मे वरदो भव ॥
॥ इदं नीराजनं ॐ भूर्भुवःस्वः भगवते श्रीकृष्णाय नमः ॥
पुष्पाञ्जलि
ॐ नाना सुगन्धि पुष्पाणि यथा कालोद्भवानि च ।
पुष्पाञ्जलिर्मया दत्तो गृहाण परमेश्वर ॥
एष पुष्पाञ्जलिः ॐ भूर्भुवःस्वः भगवते श्रीकृष्णाय नमः ॥
प्रदक्षिणा
यानि कानि च पापानि जन्मांतर कृतानि च । तानि तानि विनश्यन्ति प्रदक्षिणपदे पदे ॥
साष्टांग प्रणाम
ॐ नमस्ते पुण्डरीकाक्ष त्राहि मां भवसागरात् । सर्वपापप्रणाशार्थं दण्डवत् प्रणमाम्यहम् ॥
नमस्कार
ॐ नमस्ते पुण्डरीकाक्ष त्राहि मां भवसागरात् ।
सर्वपापप्रणाशाय दण्डवत् प्रणमाम्यहम् ॥
क्षमापण
आवाहनं न जानामि च जानामि विसर्जनम् । पूजां चैव न जानामि क्षमस्व परमेश्वर ॥
यस्य स्मृत्या च नामोक्त्या तपः पूजाक्रियादिषु । न्यूनं सम्पूर्णतां याति सद्यो वन्दे तमच्युतम् ॥
मन्त्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं जनार्दन । यत्पूजितं मया देव परिपूर्णं तदस्तु ते ॥
अपराधसहस्राणि क्रियन्तेऽहर्निशं मया । दासोऽयमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वर ॥
मत्समो नास्ति पापिष्ठः त्वत्समो नास्ति पापहा । इति सञ्चिन्त्य देवेश यथेच्छसि तथा कुरु ॥
प्रार्थना
ॐ अनघं वामनं शौरिं वैकुण्ठं पुरुषोत्तमम् । वराहं पुण्डरीकाक्षं नृसिहं देत्यसूदनम् ॥१॥
दामोदरं पद्मनाभं केशवं गरुडध्वजम् । गोविन्दमच्युतं कृष्णमनन्तमपराजितम् ॥२॥
अधोक्षजं जगद्बीजं सर्गस्थित्यन्तकारकम् । अनादिनिधनं विष्णुं त्रिलोकेशं त्रिविक्रमम् ॥३॥
नारायणं चतुर्बाहुं शंखचक्रगदाधरम् । पीताम्बरधरं नित्यं वनमालाविभूषितम् ॥४॥
श्रीवत्साङ्कं जगत्सेतुं श्रीपतिं श्रीधरं हरिम् । प्रणतोऽस्मि सदा देवं देवदेवं जगत्पतिम् ॥५॥
नामान्येतानि सङ्कीर्त्य ईप्सितं प्राप्नुयान्नरः । त्राहि मां देव देवेश हरे संसारसागरात् ॥५॥
त्राहि मां दुःखशोकघ्न रोगशोकार्णवाद्धरे । दुर्गतांस्त्रायसे विष्णो ये स्मरन्ति सकृत् सकृत् ॥७॥
सोऽहं देवातिदुर्वृत्तस्त्राहि मां शोकसागरात् । पुष्कराक्ष निमग्नोऽहं महत्यज्ञानसागरे ॥८॥
त्राहि मां देव देवेश त्वदृतेऽन्यो न रक्षकः ॥८॥
विनम्र आग्रह : त्रुटियों को कदापि नहीं नकारा जा सकता है अतः किसी भी प्रकार की त्रुटि यदि दृष्टिगत हो तो कृपया सूचित करने की कृपा करें : info@karmkandvidhi.in
मंत्र प्रयोग (कर्मकांड कैसे सीखें) में शास्त्रोक्त प्रमाणों के साथ प्रामाणिक चर्चा की जाती है एवं कई महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा पूर्व भी की जा चुकी है। तथापि सनातनद्रोही उचित तथ्य को जनसामान्य तक पहुंचने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। एक बड़ा वैश्विक समूह है जो सनातन विरोध की बातों को प्रचारित करता है। गूगल भी उसी समूह का सहयोग करते पाया जा रहा है अतः जनसामान्य तक उचित बातों को जनसामान्य ही पहुंचा सकता है इसके लिये आपको भी अधिकतम लोगों से साझा करने की आवश्यकता है।