Jitiya 2024 : जितिया की सम्पूर्ण जानकारी एवं महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर
जितिया अर्थात जीवित्पुत्रिका व्रत सर्वाधिक कठिन व्रतों में गिना जाता है। संतान और सौभाग्य की कामना से सभी स्त्रियां यह व्रत करती हैं। जितिया व्रत के दिन यदि सूर्योदय से पहले सप्तमी रहे तो रात्र्यंत में विशिष्ट भोजन भी किया जाता है और ताम्बूल भक्षण भी किया जाता है। प्रदोषकाल में जीमूतवाहन की पूजा की जाती है। अगले दिन अष्टमी समाप्त होने के पश्चात् पारण किया जाता है।
कुछ लोग सप्तमीवेध अष्टमी में व्रत के लिये निषेध की चर्चा भी करते हैं जबकि यह प्रमाण स्पष्ट है कि जिस किसी दिन भी प्रदोषव्यापिनी अष्टमी मिले उसी दिन व्रत करे। साथ ही सप्तमी में विशिष्ट भोजन (ओठगन) की जो विधि है वो सप्तमी वेध का निवारण करने के लिये ही होता है। जितिया व्रत में व्रत के दिन सूर्योदय होने से पूर्व यदि सप्तमी हो तो सप्तमी (रात्रि के अंत में) विशिष्ट भोजन किया जाता है जिसे ओठगन कहा जाता है। अब इसका कोई कारण नहीं बता पाते कि ओठगन का प्रयोजन क्या है किन्तु नाना प्रकार के तर्क-कुतर्क करते देखे जाते हैं।
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प्रश्न : जितिया कब है या जीवित्पुत्रिका व्रत 2024 में कब है?
- उत्तर : दृश्य पञ्चाङ्गानुसार आश्विन कृष्ण अष्टमी 24 सितंबर 2024, मंगलवार को मध्याह्न 12:38 बजे आरंभ होने के बाद उसी दिन प्रदोष व्यापिनी भी है अतः जीवित्पुत्रिका व्रत या जितिया व्रत 24 सितंबर 2024, मंगलवार को है।
- प्रश्न : जितिया के नहाए खाए कितना तारीख को है?
- उत्तर : चूंकि 2024 में जितिया व्रत 24 सितंबर, मंगलवार को है इसलिये उससे एक दिन पूर्व अर्थात 23 सितम्बर सोमवार को जितिया का नहाय खाय है।
- प्रश्न : जितिया अष्टमी कब तक है?
- उत्तर : आश्विन कृष्ण अष्टमी 24 सितंबर, मंगलवार मध्याह्न 12:38 बजे से अगले दिन 25 सितंबर बुधवार को मध्याह्न 12:10 बजे तक है।
- प्रश्न : जितिया का शुभ मुहूर्त क्या है?
- उत्तर : जितिया के शुभ मुहूर्त का अर्थ है कि जितिया व्रत में पूजा कब करनी चाहिये। जितिया में पूजा का समय प्रदोषकाल कहा गया है। प्रदोषकाल का अर्थ होता है सूर्यास्त होने के उपरांत रात्रि का प्रथम प्रहर । एक प्रहर में 3 घंटा होता है।
- प्रश्न : जीवित्पुत्रिका व्रत कब मनाया जाता है?
- उत्तर : जीवित्पुत्रिका व्रत जिसे जितिया भी कहा जाता है, आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की प्रदोष व्यापिनी अष्टमी को मनाया जाता है।
- प्रश्न : जितिया क्यों मानते हैं?
- उत्तर : स्त्रियां दीर्घायु पुत्र और सौभाग्य अर्थात् पति की लम्बी आयु के लिये करती है।
- प्रश्न : जितिया का खाना कितना बजे है?
- उत्तर : जितिया का खाना कहने से दो अर्थ होता है, एक तो पारण करके भोजन करना जो गौण अर्थ है, मुख्य अर्थ रात्रि के अंत में जब अष्टमी का आरंभ न हो उससे पूर्व किया जाने वाला विशिष्ट भोजन है जिसे ओठगन भी कहा जाता है। चूंकि 2024 में अष्टमी का आरंभ मध्याह्न काल में है अतः सूर्योदय से लगभग 1-2 घंटा पहले 4 बजे ओठगन करना चाहिये।
- प्रश्न : जितिया व्रत में क्या क्या खाना चाहिए?
- उत्तर : जितिया व्रत निर्जला व्रत होता है। इसमें व्रत के दिन कुछ भी नहीं खाना चाहिये, यहां तक की पानी भी नहीं पीना चाहिये।
- प्रश्न : जीवित्पुत्रिका व्रत में किसकी पूजा की जाती है?
- उत्तर : जीवित्पुत्रिका व्रत में प्रधान पूजा राजा जीमूतवाहन की की जाती है। इसके साथ ही चिह्ली, श्रृगालि आदि की पूजा भी की जाती है।
- प्रश्न : जितिया व्रत का पूजन कैसे करें?
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उत्तर : गोबर से मंडल करके आंगन में गड्ढा करके पानी भर ले अर्थात कल्पित पुष्करिणी/तालाब बनाये। वहीं एक किनारे पर पाकर का एक वृक्ष लगाये। गोबर और मिट्टी से एक चिल्ली (पक्षी) बनाकर उस पाकर के वृक्ष की डाली पर बैठाये। वृक्ष के नीचे ही एक कोटर (बिल) बनाकर उसमें शृगाली बनाकर रखे। फिर वहीं पर अष्टदल निर्माण करके एक सुंदर-सुसज्जित कलश स्थापित करे।कुशाओं से जीमूतवाहन की प्रतिमा बनाकर कलश पर रखे।
- प्रश्न : जितिया व्रत का नियम क्या है?
- उत्तर : व्रत से एक दिन पूर्व नहाय-खाय करके व्रत का नियम ग्रहण किया जाता है। जितिया व्रत में एक और विशेष नियम ओठगन का होता है। यदि सप्तमी सूर्योदय के पश्चात् भी रहे तो सप्तमी में (सूर्योदय से पूर्व) पायस आदि भोजन करके ताम्बूल भक्षण किया जाता है जिसका तात्पर्य होता है सप्तमी व्रत भंग करना। क्योंकि ताम्बूल का व्रत में निषेध होता है। ये व्यवहार में देखा जाता है। अष्टमी के दिन व्रत करके प्रदोषकाल में जीमूतवाहन की पूजा करके अगले दिन अष्टमी समाप्त होने पर पारण किया जाता है।
- प्रश्न : जितिया में क्या चढ़ाया जाता है?
- उत्तर : नैवेद्य में पुरी-पक्वान्नादि के साथ तालफल (तार) भी अर्पित करने का विधान है और सात डाला में पीले वस्त्र से ढंककर अर्पित करें, डाला के स्थान पर बांस के पत्ते का भी उपयोग किया जाता है।
- प्रश्न : जितिया का पारण कब करना चाहिए?
- उत्तर : अष्टमी में पानी पीने का भी निषेध है, इसलिये जितिया व्रत का पारण नवमी में किया जाता है। नवमी में पारण करने का तात्पर्य है अष्टमी समाप्त होने पर।
- प्रश्न : जितिया व्रत कितने घंटे का है?
- उत्तर : 24 सितंबर 2024, मंगलवार को व्रत का आरंभ होगा कर 25 सितंबर, बुधवार को 12:10 pm के पश्चात् पारण होगा अर्थात 2024 में जितिया व्रत लगभग 30 घंटे का है।
- प्रश्न : जितिया का पारण कब है 2024 ?
- उत्तर : 2024 में होने वाली जितिया का पारण 25 सितंबर, बुधवार को अष्टमी समाप्त होने के उपरांत अर्थात् मध्याह्न 12:10 के पश्चात् है।
- प्रश्न : जितिया व्रत में पानी कब पीना चाहिए?
- उत्तर : वैसे व्रती जिनका स्वास्थ्य सही न हो पूजा करने के बाद रात में गोमुखी होकर दूध पी सकती है। यदि अपरिहार्य हो तो पानी भी पी सकती है।
- प्रश्न : क्या हम जितिया में पानी पी सकते हैं?
- उत्तर : नहीं, जितिया निर्जला व्रत की श्रेणी में आता है अतः इसमें पानी नहीं पिया जाता है। किन्तु यदि व्रती की स्थिति गंभीर हो तो गोमुखी होकर दूध पिया जा सकता है।