वैशाख मास के त्यौहार व व्रत पर्वों को जानें – vaishakha maas ke tyohar

वैशाख मास के त्यौहार व व्रत पर्वों को जानें - vaishakha maas ke tyohar

वैशाख मास का पंचांग 2025 के बारे में : शक १९४७, संवत २०८२, दिनांक १४/०४/२०२५ से १२/०५/२०२५ तक, शुद्ध, वसंत ऋतु, सौम्य गोल, सौम्यायन, काल – दक्षिण। जूड़शीतल, जाह्नवी सप्तमी, जानकी नवमी, नृसिंह चतुर्दशी, षाण्मासिक रविव्रत विसर्ग के साथ वैशाख माह में अक्षय तृतीया एक विशेष महत्वपूर्ण पर्व होता है जिस दिन परशुराम जयंती भी होती है। वैशाख मास के कृष्ण पक्ष के एकादशी का नाम वरुथिनी एकादशी और शुक्ल पक्ष की एकादशी का नाम मोहिनी एकादशी है। यहां वैशाख माह के व्रत-पर्वादि की जानकारी दी गयी है।

यद्यपि अदृश्य पंचांग कर्ताओं द्वारा यह बताया जा रहा है कि व्रत-पर्व-मुहूर्तादि में अदृश्य पंचांग ही ग्राह्य होता है किन्तु यह व्यापारिक वक्तव्य होता है, वास्तविकता यही है कि व्रत-पर्व हो अथवा मुहूर्त शोधन सर्वत्र दृक पंचांग ही ग्राह्य है, और अदृश्य पंचांग के पोषक जो तथ्य (प्रमाण) देकर अदृश्य पंचांग का समर्थन करते हैं वो भी अदृश्य पंचांग का खंडन करते हुये दृश्य पंचांग की ही सिद्धि करते हैं। इस प्रकार व्रत-पर्व हो अथवा शुभ मुहूर्त सर्वत्र दृश्य पंचांग से ही निर्णय करना चाहिये, जातक तो निर्विवाद दृक पंचांग से करे।

वैशाख मास की चर्चा में आपको वैशाख मास के पंचांग की भी आवश्यकता हो सकती है, यदि आप वैशाख 2025 का दृक पंचांग देखना चाहें अथवा pdf डाउनलोड करना चाहें तो यहां क्लिक करके का सकते हैं।

वैशाख मास 2025

जूड़शीतल, अक्षय तृतीया, जाह्नवी सप्तमी, जानकी नवमी, नृसिंह चतुर्दशी, षाण्मासिक रविव्रत विसर्ग, कूर्मावतार व बुद्धावतार अर्थात वैशाख पूर्णिमा। इस प्रकार यदि अवतारों की चर्चा करें तो दशावतार में से चार अवतार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष में ही है और सीता प्राकट्य भी वैशाख शुक्ल नवमी को ही हुआ था जिसे जानकी नवमी कहा जाता है एवं जह्नु ऋषि के कर्ण से वैशाख शुक्ल सप्तमी को ही गंगा बाहर निकली थी इसी दिन गंगा का नाम जाह्नवी हो गया और वैशाख शुक्ल सप्तमी को जाह्नवी सपत्मी कहा जाता है।

द्वादश मासों में से तीन मास को विशेष महत्वपूर्ण बताया गया है कार्तिक, माघ और वैशाख। तीनों मास में प्रातः स्नान करके धर्माचरण करने का विधान है। 2025 में 14 अप्रैल, सोमवार से लेकर 12 मई सोमवार तक वैशाख माह है जो चांद्र माह है। इसमें 5 सोमवार पड़ते हैं। यदि स्नानादि हेतु आप प्रतिदिन का संकल्प जानना चाहें तो यहां क्लिक करके जान सकते हैं : आज का संकल्प , इसके साथ ही एक अन्य मंत्र है जो इस प्रकार है :

ओं माधवे मेषगे भानौ मुरारे मधुसूदन। प्रातःस्नानेन में नाथ फलदो भव पापहन् ॥

इसके साथ ही मेष संक्रांति के दिन जलपूर्ण कुम्भदान किया जाता है। एवं भगवान शिव के मंदिर में शिवलिंग के ऊपर मासपर्यन्त जलधारा करने का भी विधान है, जिसके लिये त्रिपदिका (तीन पौवे वाला टेबल) लगाकर उसके ऊपर सछिद्र-सकुशा घट स्थापित किया जाता है जिसकी एक विशेष विधि है।

जूड़शीतल या जूडिशीतल 2025

जूड़शीतल या जूडिशीतल को पर्युषितान्न अर्थात बासी भोजन किया जाता है। इसके साथ ही घर के बच्चों के उठने से पूर्व ही उसके माथे को भिंगोया जाता है जो माता, पितामही आदि करती हैं। 2025 में जूडिशीतल 15 अप्रैल मंगलवार को है।

अक्षय तृतीया व परशुराम जयंती 2025

2025 में अक्षय तृतीया व परशुराम जयंती 30 अप्रैल बुधवार को है। इसी दिन भगवान विष्णु के दशावतार में से परशुरामावतार हुआ था। इस दिन किया गया कर्म अक्षय हो जाता है क्योंकि यह अक्षय तृतीया है। इसलिये इस दिन गंगा-गण्डकी-कमला-कौशिकी-वांग्मती आदि पवित्र नदियों में स्नान किया जाता है। इसके साथ ही पूजा-दान आदि पुण्य कर्म भी किये जाते हैं।

जाह्नवी सप्तमी 2025

2025 में जाह्नवी सप्तमी 4 मई रविवार को है। वैशाख शुक्ल सप्तमी को ही जह्नु मुनि के कर्णरंध्र से गंगा प्राकट्य हुआ था इसीलिये इस दिन जाह्नवी सप्तमी होता है।

जानकी नवमी 2025

वैशाख शुक्ल नवमी के दिन माता सीता का प्राकट्य हुआ था इसलिये इसे जानकी नवमी नाम से जाना जाता है। इसी दिन बगलामुखी जयंती भी होता है। 2025 में 6 मई मंगलवार के दिन वैशाख शुक्ल नवमी है और इसी दिन जानकी नवमी व बगलामुखी जयंती है।

नृसिंहावतार/नृसिंह जयंती व छिन्नमस्ता जयंती 2025

2025 में वैशाख शुक्ल चतुर्दशी 10 मई शनिवार को है। वैशाख शुक्ल चतुर्दशी को ही नृसिंहावतार होने से इसी दिन नृसिंह जयंती मनाई जाती है। प्रदोषकालीन होने से औदयिक त्रयोदशी होने पर भी इसी दिन नृसिंह जयंती है। इस दिन छिन्नमस्ता जयंती भी है।

रविव्रत विसर्ग अथवा रविवार व्रत विसर्ग 2025

आदौ वृश्चिक मेषांते से षाण्मासिक रविव्रत का विसर्ग मेष राशि में जब सूर्य स्थित हों तब विसर्ग किया जाता है। इसके साथ ही एक और तथ्य भी है कि शुक्ल पक्ष हो। यदि यह शुक्ल पक्ष चैत्र मास का भी हो जिसमें सूर्य मेषगत हों तो चैत्र मास के शुक्ल पक्ष में भी रविव्रत विसर्ग हो सकता है। 2025 में सूर्य मेषगत हैं तो वैशाख मास का ही शुक्ल पक्ष मिलता है जिसमें अंतिम रविवार 11 मई, वैशाख शुक्ल चतुर्दशी को है। इसी दिन षाण्मासिक रविव्रत का विसर्ग होगा।

कूर्मावतार व बुद्धावतार, वैशाख पूर्णिमा 2025

2025 में वैशाख शुक्ल चतुर्दशी 10 मई शनिवार को है। वैशाख शुक्ल चतुर्दशी को ही नृसिंहावतार होने से इसी दिन नृसिंह जयंती मनाई जाती है। प्रदोषकालीन होने से औदयिक त्रयोदशी होने पर भी इसी दिन नृसिंह जयंती है। इस दिन छिन्नमस्ता जयंती भी है।

व्रतादि वैशाख माह 2025

  • श्रीवक्रतुण्ड (गणेश) चतुर्थी : बुधवार दिनांक १६ अप्रैल २०२५
  • वरुथिनी एकादशी : गुरुवार दिनांक २४ अप्रैल २०२५
  • प्रदोष त्रयोदशी : शुक्रवार दिनांक २५ अप्रैल २०२५
  • प्रदोष चतुर्दशी : शनिवार दिनांक २६ अप्रैल २०२५
  • वैशाख मास की अमावास्या : रविवार दिनांक २७ अप्रैल २०२५
  • श्री गणेश चतुर्थी : बुधवार दिनांक ३० अप्रैल २०२५
  • मोहिनी एकादशी : गुरुवार दिनांक ८ मई २०२५
  • प्रदोष त्रयोदशी : शुक्रवार दिनांक ९ मई २०२५
  • प्रदोष चतुर्दशी : शनिवार दिनांक १० मई २०२५
  • वैशाख मास की पूर्णिमा : सोमवार दिनांक १२ मई २०२५

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