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कर्मकांड विधि

पितृपक्ष कब है 2024

पितृपक्ष 2024 : महत्वपूर्ण प्रश्न और उनके उत्तर

 पितृपक्ष 2024 : महत्वपूर्ण प्रश्न और उनके उत्तर देवकर्म से अधिक महत्वपूर्ण पितृकर्म होता है। पितरों के निमित्त किया गया कर्म श्राद्ध कहलाता है। आश्विन माह का कृष्णपक्ष पितृपक्ष कहलाता है। पितृपक्ष में प्रतिदिन श्राद्ध करना चाहिये। जो प्रतिदिन श्राद्ध नहीं कर सकते वो कम-से-कम 10 दिन करे, जो 10 दिन भी नहीं कर सकते…

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नवग्रह मंडल पूजन विधि मंत्र

नवग्रह मंडल पूजा किसी भी पूजा-अनुष्ठान-यज्ञ में नवग्रह मंडल अवश्य ही बनाया जाता है। नियमानुसार नवग्रह मंडल हवन कुंड के ईशानकोण में बनाया जाना चाहिये। इससे दो बातें स्पष्ट होती है :  हवन कुंड या वेदी बनाने के बाद नवग्रह मंडल बनाना चाहिये।  नवग्रह मंडल हवन कुंड या वेदी अथवा यदि भूमि पर भी हवन…

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चतुर्लिंगतोभद्र देवता आवाहन पूजन मंत्र

चतुर्लिंगतोभद्र मंडल   भगवान शिव की जब पूजा की जाती है जैसे रुद्राभिषेक, रुद्रयज्ञ, महरूद्रयज्ञ, अतिरुद्र यज्ञ, महामृत्युञ्जय जप, पार्थिव पूजन आदि तो उसमें चतुर्लिंगतोभद्र मंडल बनाया जाता है। यहाँ चतुर्लिंगतोभद्र देवता आवाहन मंत्र और चतुर्लिंगतोभद्र पूजन मंत्र दिये जा रहे हैं जिससे कर्मकांडियों को लाभ प्राप्त हो सके।  चतुर्लिङ्गतोभद्र पूजन मन्त्र १. असिताङ्गभैरव : ॐ…

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सर्वतोभद्र मंडल पूजन मंत्र

सर्वतोभद्र मंडल सर्वतोभद्र मंडल पूजन मंत्र :  सर्वतोभद्र मंडल चित्र यहाँ दिया गया है जिसे देखकर वेदी बनाया जा सकता है। किसी भी देवता की पूजा में सर्वतो भद्र मंडल बनाया जाता है। वैसे शिवपूजन में चतुर्लिंगतो भद्र और देवी पूजन में गौरीतिलक मंडल भी बनाया जाता है लेकिन सर्वतोभद्र मंडल पर भी सभी देवताओं…

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वास्तु मंडल पूजन मंत्र pdf

वास्तु मंडल चक्र   वास्तु मंडल पूजन मंत्र  घर और यज्ञ के लिये वास्तुमंडल अलग -अलग होता है। यह घर में बनाया जाने वाला ८१ पदों का वास्तुचक्र है। नीचे पूजन के मंत्र दिये गए हैं और क्रम का अंक वास्तुमंडल चक्र में अंकित है। १. शिखि : ॐ नमः शम्भवाय च मयेभवाय च नमः शङ्कराय…

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नान्दी श्राद्ध करने की संपूर्ण विधि

नान्दीमुख श्राद्ध विधि – आभ्युदयिक श्राद्ध या वृद्धि श्राद्ध क्या है ?

नान्दीमुख श्राद्ध विधि – आभ्युदयिक श्राद्ध या वृद्धि श्राद्ध क्या है : सप्त घृत मातृका पूजन विधि अनुसार संपन्न करने के बाद नान्दीमुख श्राद्ध करना चाहिये। नान्दीमुख श्राद्ध को ही आभ्युदयिक श्राद्ध या वृद्धि श्राद्ध भी कहा जाता है। मातृका पूजन (षोडश और सप्तघृत मातृका) वास्तव में वृद्धिश्राद्ध का ही पूर्वाङ्ग होने के कारण ही कर्तव्य होता है। वैसे दुर्गा-काली आदि शक्ति पूजन करते समय यदि विशेष विधि ग्रहण किया गया हो तो मातृका पूजन शक्ति पूजांग के रूप में भी किया जाता है।

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सप्त घृत मातृका पूजन विधि । सम्पूर्ण वसोर्धारा पूजन ।

सप्त घृत मातृका पूजन विधि । सम्पूर्ण वसोर्धारा पूजन : मिथिला में षोडश मातृका पूजनोपरांत श्री पूजन करके ही वसोर्धारा की परिपाटी है। अलग से सप्तघृतमातृका पूजन की अनिवार्यता नहीं देखी जाती है । परन्तु अनुष्ठान-यज्ञों में अब देखे जाते हैं, फिर भी कर्मकांड संबधी मुख्य पुस्तकों में वृद्धिश्राद्ध प्रसङ्ग पर सप्तघृत मातृका पूजन प्राप्त नहीं होता । 

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कलश स्थापना विधि और मंत्र

संपूर्ण कलश स्थापना विधि और मंत्र

कलश स्थापना विधि और मंत्र : कलश स्थापना से पूर्व वेदी या कुंकुम आदि से भूमि पर अष्टदल बनाकर उसपर धान्यपुञ्ज या चावल पुञ्ज बना ले।

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संकल्प मंत्र

संकल्प विधि – संकल्प मंत्र संस्कृत

संकल्प विधि – संकल्प मंत्र संस्कृत : संकल्प का अर्थ होता है किसी कार्य की उद्घोषणा करना। कोई काम जो कि करने वाले हैं उसकी उद्घोषणा करना जिसमें कार्य-अनुष्ठान, उद्देश्य, क्रियाविधि, काल (समय) आदि का स्पष्ट उल्लेख किया गया हो। संकल्प का अर्थ दृढ प्रतिज्ञा भी होता है जिसका तात्पर्य किसी भी स्थिति में उस कार्य को पूर्ण करना होता है। 

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