दीपावली सनातन का एक प्रमुख पर्व है किन्तु 2024 की दीपावली को लेकर बहुत विवाद चल रहा है। 2024 में दो दिन प्रदोषकालीन अमावास्या है और इस कारण से कुछ लोग 31 अक्टूबर को दीपावली मनाने की बात कर रहे हैं तो कुछ लोग 1 नवम्बर को। यहां इसी विवाद का गंभीरतापूर्वक विश्लेषण किया गया है और सही निर्णय क्या है अर्थात किस दिन शास्त्र सम्मत दीपावली है ये बताया गया है।
Deepawali 2024 दीपावली कब है 2024 – 31 को या 1 को ?
दीपावली का शास्त्रसम्मत निर्णय समझने के लिये हमें प्रथमतया पंचांग से अमावास्या काल का अवलोकन करना होगा। यद्यपि पूर्व आलेख में भी ये बताया गया है किन्तु आवश्यक होने के कारण यहां पुनः बताया जा रहा है।
यदि हम 31 अक्टूबर गुरुवार की बात करें तो दिन 3:52 बजे तक चतुर्दशी है उसके बाद अमावास्या और अगले दिन 1 नवम्बर शुक्रवार को रात 8 बजकर 16 मिनट तक अमावास्या है। इस प्रकार दोनों ही दिन प्रदोषकाल में अमावास्या है और यदि दोनों ही दिन प्रदोषकाल में अमावास्या हो तो दूसरे दिन दीपावली मनाई जाती है। चूंकि दूसरे दिन अर्थात 1 नवम्बर 2024, शुक्रवार को भी प्रदोषकाल में अमावास्या है इस कारण 2024 की दीपावली दूसरे दिन ही है। इस प्रकार 2024 में दीपावली 1 नवम्बर 2024 शुक्रवार के दिन है।
स्पष्टतः नियमानुसार दूसरे दिन दीपावली होनी चाहिए, यदि मुख्य नियम का कोई अन्य बाधक नियम न हो अथवा अपवाद व्रतों वाला कोई अन्य विशेष नियम न हो तो। ऐसी स्थिति में दीपावली हेतु दो और विशेष नियम हैं जो मुख्य नियम का बाधक है। दीपावली पर अदृश्य पंचांगों द्वारा दिया जो बताया गया है वह ग्राह्य नहीं है।

यहां पर एक विशेष नियम तिथितत्व में वर्णित है कि यदि दोनों दिन अमावास्या प्रदोष व्यापिनी हो तो भी अगले दिन रात में अर्थात् सूर्यास्त के पश्चात् न्यूनतम 1 दण्ड अमावास्या हो तो ही पहले दिन का त्याग और अगले दिन को ग्रहण करना जाना चाहिए ।
अर्थात् यदि दूसरे दिन सूर्यास्त के पश्चात् एक दण्ड से कम अमावास्या रहे तो पहले दिन करना चाहिए। इस विशेष नियम से जहां सूर्यास्त (18:16-00:24) = 17:52 से पहले होगा वहां 1 नवम्बर 2024 को और जहां सूर्यास्त 17:52 बजे के बाद होगा वहां 31 अक्टूबर 2024 को दीपावली होनी चाहिए। ये दीपावली कब है 2024 के संदर्भ में है ।
विवाद क्यों है ?
- जिस दिन प्रदोषकाल में अमावास्या हो उसी दिन दीपावली होती है।
- यदि दो दिन प्रदोषकाल में अमावास्या हो तो अगले दिन दीपावली होती है।
विवाद का कारण दोनों दिन प्रदोषकाल में अमावास्या होना नहीं है अपितु प्रथम दिन 31 अक्टूबर को मध्यरात्रि में अमावास्या का होना है।
कुछ व्यवसायी वर्ग मध्यरात्रि को सिंह लग्न में लक्ष्मी पूजा करते हैं और उनके लिये ही दीपावली को ही एक दिन पूर्व सिद्ध किया जा रहा है। यदि कुछ व्यवसायी वर्ग सिंह लग्न में लक्ष्मी पूजा करते हैं तो ये दीपावली का निर्णायक नहीं है। दीपावली का निर्णय सर्वसामान्य जनों के लिये किया जाता है न कि कुछ व्यवसायी वर्ग के लिये। सर्वसामान्य जनों के लिये दीपावली बिना किसी विवाद के 1 नवम्बर को ही है क्योंकि सामान्य जनों के लिये प्रदोषकाल में ही पूजा का विधान है।
एवं व्रत-पर्वों का निर्णय शास्त्र से किया जाता है एवं सामान्य जनों के लिये किया जाता है न कि कुछ विशेष वर्ग के लिये। जो लोग मध्यरात्रि में अमावास्या बताकर 31 नवम्बर को ही दीपावली कह रहे हैं उनको यह भी बताना चाहिये कि मध्य रात्रि में कितने लोग पूजा करते हैं ? क्या कुछ व्यवसायी लोग अथवा सामान्य जन ?
दूसरी बात हम यदि अपने अनुसार कुछ करें चाहे विशेष वर्ग हो अथवा सामान्य जन भी तो क्या उससे निर्णय होगा अथवा शास्त्र से निर्णय होगा ? क्या शास्त्रों में ऐसा कहा गया है कि जिस दिन मध्य रात्रि में अमावास्या हो उस दिन दीपावली हो अथवा ये कहा गया है कि जिस दिन कुछ व्यवसायी वर्ग मध्य रात्रि में लक्ष्मी पूजा करे उस दिन ही दीपावली हो ? ऐसा कहीं नहीं कहा गया है। दीपावली के लिये प्रदोषकाल में ही अमावास्या का विधान बताया गया है और जहां कहीं मध्यरात्रि की चर्चा की गयी है वो काली-तारा आदि विशेष साधना के लिये कहा गया है न कि दीपावली के लिये।
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यदि व्यवसायी वर्ग का भी विचार करें तो क्या सभी व्यवसायी सिंह लग्न में पूजा करते हैं अथवा कुछ व्यवसायी ही करते हैं ? यहां हमें ज्ञात होगा कि मात्र 5 से 10 प्रतिशत व्यवसायी ही मध्यरात्रि में जब सिंह लग्न हो तो लक्ष्मी पूजा करते हैं। हर जगह अनेकों दुकान हैं और सब स्वयं विचार करें कि पूजा कब की जाती है प्रदोषकाल में अथवा सिंह लग्न में। क्या 1 – 2 प्रतिशत लोगों के लिये व्रत-पर्व का निर्णय ही बदल देना उचित कहा जा सकता है ?
निष्कर्ष : भले ही व्यवसायी वर्ग उसमें भी अत्यल्प कुछ ही प्रतिशत, मध्य रात्रि को सिंह लग्न में लक्ष्मी पूजा करते हों किन्तु उसके आधार पर दीपावली का निर्णय नहीं किया जाता है। दीपावली का निर्णय शास्त्र के आधार से किया जाता है और शास्त्र प्रदोषकालीन अमावास्या के दिन दीपावली का निर्देश देता है एवं यदि दो दिन प्रदोषकाल में अमावास्या हो तो दूसरे दिन दीपावली होता है। कुछ व्यवसायी वर्गों के लिये दीपावली का निर्धारण शास्त्र विरुद्ध नहीं करना चाहिये और इसलिये 2024 में दीपावली 1 नवम्बर शुक्रवार को है। कुछ व्यवसायी वर्ग चाहे इस दिन लक्ष्मीपूजा करें अथवा 31 अक्टूबर को ही करें।
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