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कर्मकांड विधि

कलश स्थापना विधि और मंत्र

संपूर्ण कलश स्थापना विधि और मंत्र

कलश स्थापना विधि और मंत्र : कलश स्थापना से पूर्व वेदी या कुंकुम आदि से भूमि पर अष्टदल बनाकर उसपर धान्यपुञ्ज या चावल पुञ्ज बना ले।

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संकल्प मंत्र

संकल्प विधि – संकल्प मंत्र संस्कृत

संकल्प विधि – संकल्प मंत्र संस्कृत : संकल्प का अर्थ होता है किसी कार्य की उद्घोषणा करना। कोई काम जो कि करने वाले हैं उसकी उद्घोषणा करना जिसमें कार्य-अनुष्ठान, उद्देश्य, क्रियाविधि, काल (समय) आदि का स्पष्ट उल्लेख किया गया हो। संकल्प का अर्थ दृढ प्रतिज्ञा भी होता है जिसका तात्पर्य किसी भी स्थिति में उस कार्य को पूर्ण करना होता है। 

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गणेशाम्बिका पूजन विधि

गौरी गणेश पूजन मंत्र – 1st puja

गौरी गणेश पूजन मंत्र :  गणेशाम्बिका पूजा हेतु किसी पात्र में चावल भर कर उसपर कुंकुमादि से अष्टदल या स्वास्तिक बना लें। दो सुपारी में मौली लपेट कर उस पात्र में रख दें एक पात्र आगे में रख लें जिसमें जल-पंचामृत अर्पित करना है और आगे की विधि से पूजा करें :-

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स्वस्तिवाचन मंत्र

स्वस्तिवाचन मंत्र : पूजा-अनुष्ठानकिसी भी धार्मिक अनुष्ठान में पवित्रीकरणादि के पश्चात प्रथमतः स्वस्तिवाचन किया जाता है।  भद्रसूक्त का पाठ करना स्वस्तिवाचन कहलाता है । भद्रसूक्त उन मंत्रों का समूह है जिसमें हम कल्याणकामना करते हैं । हाथ में अक्षत-पुष्प लेकर ईष्ट का ध्यान करते हुए स्वस्तिवाचन करना चाहिए :-

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यहां गणेशाम्बिका पूजन विधि (मैथिलेत्तर) दी गयी है अर्थात इस आलेख में गौरी गणेश की जो पूजा विधि बताई गयी है वह मिथिलादेशीय परंपरा से भिन्न है। यदि आप मिथिलादेशीय परंपरानुसार गणेशाम्बिका पूजा विधि देखना चाहते हैं तो यहाँ क्लिक करके देख सकते हैं। 

पञ्चदेवता व विष्णु पूजा विधि

पञ्चदेवता व विष्णु पूजा विधि : नित्यकर्म में पंचदेवता पूजन भी आता है और यदि मिथिला की बात करें तो यहां पंचदेवता नहीं षड्देवता पूजन का विधान है और यही कारण है कि मिथिला में तंत्र से पंचदेवता पूजन करके विष्णु की पूजा भी की जाती है। विष्णु की पूजा को मिलाकर देखें तो षड्देवता पूजन सिद्ध हो जाता है। कुछ लोगों को यह भ्रम रहता है कि पंचदेवता पूजन में भी विष्णु की पूजा की गयी और पुनरावृत्ति भी की गयी। किन्तु वास्तविकता यह नहीं है, वास्तव में मिथिला षड्देवता पूजन की परम्परा का पालन करता है।

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रक्षा विधान - दिग्बंधन मंत्र

दिग्बंधन विधि या दिग्-रक्षण

दिग्बंधन विधि या दिग्रक्षण : बांये हाथ में पिली सरसों, तिल, दूर्वा आदि लेकर दांये हाथ से ढंककर रक्षोघ्नसूक्त का पाठ करना चाहिए। तत्पश्चात दशों दिशाओं में छिड़काव करना चाहिए। कर्म भंग न हो और असुरादिकों को भाग न मिले इसलिए रक्षाविधान एक विशेष प्रक्रिया है और सजगतापूर्वक इस क्रिया को वैदिक विधि से सम्पादित करने की आवश्यकता होती है।

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पूजा क्या है

पूजा क्या है पूजा क्या है ?       पूजा का शाब्दिक अर्थ ‘सम्मान देना/आदर-सत्कार करना’ बताया गया है। कर्मकाण्ड में पूजा एक प्रक्रिया है जो जीव और ईश्वर के मध्य घटित होता है। इसमें मनुष्य पत्र-पुष्प-फलादि ईश्वर को प्रतिमा या आवाहित स्थान पर समर्पित करता है और जब ये प्रक्रिया मन ही मन होती है…

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पूजा प्रकरण

पूजा विधि पूजा अथवा पूजन (Worshipping) किसी भगवान को प्रसन्न करने हेतु हमारे द्वारा उनका अभिवादन होता है। पूजा दैनिक जीवन का शांतिपूर्ण तथा महत्वपूर्ण कार्य है। यहाँ भगवान को पुष्प आदि समर्पित किये जाते हैं जिनके लिये वेद मंत्र एवं पौराणिक श्लोकों का उपयोग किया जाता है। वैदिक मंत्रों का उपयोग किसी बड़े कार्य…

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कर्मकाण्ड

कर्मकांड कर्मकाण्ड क्या है ?         सबसे पहले तो हमें यह जानने की आवश्यकता है कि कर्मकांड क्या है अथवा कर्मकांड किसे कहते हैं ? बहुधा कर्मकांड को श्राद्ध कर्म का पर्यायवाची समझने की भूल लोग करते हैं और श्राद्ध कराने वाले ब्राह्मण को कर्मकांडी कहते हैं। तो क्या जो श्राद्ध नहीं…

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आगामी व्रत-पर्व त्यौहार

व्रत-पर्व-त्योहार यहाँ वर्ष भर के व्रत-पर्व-त्योहारों के बारे में कि कब है ? विधि एवं नियम क्या हैं ? मंत्र क्या है ये सभी जानकारी उपलब्ध है। जिस व्रत-पर्व-त्यौहार के बारे में जानना हो उसको चुने :

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